देहरादून: चेहरे की राजनीति चुनाव में बड़ा मुद्दा रही। भाजपा ने सीएम धामी का चेहरा आगे किया। कांग्रेस में अंत तक लड़ाई होती रही, लेकिन तय नहीं हो पाया। लेकिन, चुनाव संचालन समिति की कमान हरीश रावत को सौंप दी गई। आम आदमी पार्टी उत्तराखंड में केवल वोट कटवा साबित हुई। उन्होंने कर्नल अजय कोठियाल को अपना चेहरा घोषित किया था। अब असल सवाल पर आते हैं।
असल मुद्दा यह है कि जिन चेहरों को आगे रखा गया था, चुनाव में वो कहीं पीछे छूट गए। पिछले चुनावों से भाजपा की जीत की गारंटी एक ही चेहरा है। उस चेहरे के अलावा जो भी चेहरे घोषित होते हैं। वह चेहरा किसी और का नहीं। बल्कि पीएम नरेंद्र मोदी का है। उनके अलावा अन्य सभी चेहरे केवल और केवल मोहरे भर हैं। ऐसा चुनाव परिणों के बाद सामने आए आंकड़ों से भी साफ नजर आ रहा है। दरअसल, जिन-जिन सीटों पर पीएम मोदी ने रैलियां की, उन सीटों पर बड़ा असर देखने को मिला है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तराखंड में तीन चुनावी रैलियां कीं। पहली रैली 10 फरवरी को पौड़ी गढ़वाल के श्रीनगर में थी। यहां छह सीटें हैं और 2017 में इन सभी पर भाजपा प्रत्याशियों ने जीत हासिल की थी। इसी तरह दूसरी रैली पीएम ने 11 फरवरी को अल्मोड़ा में की थी। यहां भी छह सीटें हैं। तीसरी और आखिरी रैली 12 फरवरी को उधम सिंह नगर में हुई थी।
यहां सबसे ज्यादा नौ विधानसभा सीटें हैं। इन तीनों जिलों में कुल 21 सीटें हैं। पिछली बार इनमें से 18 सीटों पर भाजपा के प्रत्याशियों ने जीत हासिल की थी। इस बार इनमें से 14 सीटें भाजपा के खाते में गईं। इनमें भी दो ऐसी सीटें हैं, जो पिछली बार कांग्रेस के खाते में थी।
जहां तक यूपी का सवाल है। प्रधानमंत्री मोदी ने यहां कुल 32 फिजिकल और 12 वर्चुअल रैली की। ज्यादातर वर्चुअल रैली पहले चरण वाली सीटों के लिए हुईं थीं। प्रधानमंत्री ने फिजिकल रैली की शुरुआत 10 फरवरी को सहारनपुर से की थी। तब पहले चरण का मतदान चल रहा था। इन रैलियों के जरिए पीएम ने यूपी की 132 सीटों को कवर किया। पिछली बार इनमें से 108 सीटें भाजपा के खाते में थीं।
2017 के मुकाबले इस बार सीटों के आंकड़ों में कमी तो आई, लेकिन उतनी नहीं, जितने का अनुमान था। इस बार इन 132 सीटों में से 92 सीटों पर भारतीय जनता पार्टी और गठबंधन दलों के प्रत्याशियों ने जीत हासिल की। मतलब साफ है, यूपी में मोदी का जादू अभी भी बरकरार है।