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उत्तराखंड : पहले दो हिस्सों में बंटा उत्तरकाशी जिले का ये गांव, अब एक होने की चाह, CM को लिखी चिट्ठी

नौगांव: विवाद हमेशा बर्बादी लाता है। आपने भारत पाकिस्तान के बंटवारे के साथ ही कई तरह के बंटवारों की कहानियां सुनी, पढ़ी और देखी होंगी। भाइयों में भी बंटवारा होता है। लेकिन, आपने कभी किसी गांव का बंटवारा होता हुआ नहीं देखा होगा। लेकिन, उत्तरकाशी जिले के नौगांव ब्लॉक का भाटिया गांव ऐसा गांव है, जिसका बंटवारा हो गया।

कभी एक ही ग्रामसभा हुआ करती थी

इस गांव की कभी एक ही ग्रामसभा हुआ करती थी। लेकिन, 2013-2014 में इस गांव के दो टुकड़े हो गए। मामला यहीं पर नहीं थमा। गांव के इस बंटवारे के बाद अब गांव में महाभारत छिड़ने लगी है। दोनों ग्रामसभाओं के बीच संपत्तियों को लेकर विवाद गहरा गया है।

जमीनें एक-दूसरे के क्षेत्र में

दरअसल, दोनों ग्रामसभाओं की जमीनें एक-दूसरे के क्षेत्र में हैं। पहले एक ही गांव था, तो कोई समस्या नहीं थी। तब ग्रामसभा भी एक ही थी। लेकिन, दो ग्रामसभाएं बनने के बाद विवाद खड़े होने लगे हैं। इसको लेकर पहले ही शासन स्तर पर जांच चल रही थी। अब गांव के सामाजिक कार्यकर्ता केंद्र सिंह राणा ने मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिखकर मामले का समाधान कराने की मांग की है।

मुख्यमंत्री को लिखी चिट्ठी

मुख्यमंत्री को लिखी चिट्ठी में कहा गया है कि गांव के बंटवारे के समय जो बंटवारा किया गया। ग्रामसभाओं का परिसीमन किया गया, वह पूरी तरह से गलत है और उस दौरान दोनों ग्रामसभाओं के लोगों को तत्कालीन अधिकारियों ने भरोसे में भी नहीं लिया था।

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दोनों के ग्रामसभाओं के बीच विवाद

जिसके चलते तमाम खामियां रह गई हैं। इन्हीं खामियों के कारण अब दोनों के ग्रामसभाओं के बीच विवाद हो रहा है। विवाद की स्थिति यहां तक रुप ले चुकी है कि लोगों को एक गांव में रखने में ही भलाई और शांति नजर आ रही है। यहि वजह है कि गांव के लोग संम्भवतः पुनः गांव के एकीकरण के बारे में लिख रहे हैं। उन्होंने शासन और जिला स्तर के अधिकारियों को इस समस्या के समाधान के लिए नर्देशित करने की मांग की है।

भूमि भाटिया प्रथम में दर्ज

भाटिया गांव के लोगों की 75 प्रतिशत भूमि भाटिया प्रथम में दर्ज है, पूरी तरह से गलत है। अहम बात यह हभी है कि भाटिया से भाटिया प्रथम अलग हुआ है, उसे प्रथम कहा गया है। जबकि, मूल गांव को प्रथम कहा जाना चाहिए था और जो अलग हुआ है, उसे द्वितीय कहा जाना चाहिए था।

गंभीर घटनाओं की स्थिति ना बने

परीसीमन की खामियों के कारण मकान, छानियां, चरान-चुगान, भूमि, जल, जंगल और अन्य जो भी सम्पतियां हैं, उन पर स्वामित्व को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है। दोनों गांव के बीच विवाद लगातार गहरा रहे हैं। गंभीर घटनाओं की स्थिति ना बने। इससे पहले ही इसका समाधान होना जरूरी है।

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

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