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EXCLUSIVE
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आखिर किसने बोया गांव को बांटने का बीज.
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मानकों को धत्ता बता कर बना दो ग्रामसभाएं.
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क्या जिम्मेदार अधिकारियों पर होगी कार्रवाई?
बड़कोट: दुनिया आज ग्लोबल गांव बन चुकी है। लेकिन, उत्तराखंड का एक ऐसा गांव भी है, जिसे महज जातियों के आधार पर बांटने का मामला फिर चर्चाओं में है। यह हम नहीं कह रहे, बल्कि शासन में हुई शिकायत में कही गई हैं। मामले की जांच भी इसी आधार पर शुरू कर दी गई है। लेकिन, बड़ा सवाल यह है कि आखिर गांव को क्यों बांटा गया? किसके कहने पर एक ही गांव को दो सीमाओं में बांट दिया गया? कैसे एक ही गांव में जातिवाद का जहर घोल दिया गया? वो कौन अधिकारी और कौन लोग थे, जिन्होंने मानकों के विपरीत एक गांव के दो दुकड़े कर दिए ?
नौगांव विकासखंड के भाटिया गांव को दो ग्राम सभाओं में बांट दिया गया है। यह मामला काफी पुराना है, लेकिन अब फिर चर्चा में है। गांव के जयपाल सिंह रावत ने शासन से भाटिया ग्राम पंचायत को फिर से ही ग्रामसभा बनाने की मांग की है। उनकी मांग पर शासन ने जांच के निर्देश दिए हैं, जिस पर अब जांच शुरू हो गई है। जांच के लिए समिति का गठन कर दिया गया है। अब देखने वाली बात यह है की अपने अधिकारियों की गलती को विभाग कितनी जल्दी सुधारता है?
मामले में पंचायतीराज निदेशालय के उप निदेशक मनोज कुमार तिवारी ने जिला पंचायती राज अधिकारी से जांच कर पत्रावाली शासन को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। मामले की जांच भी शुरू हो चुकी है। उन्होंने आदेश में कहा है कि जातिवाद के आधार पर अलग की गई ग्रामसभा को पूर्व की भांति करने की मांग पर कार्रवाई कर शासन को रिपोर्ट उपलब्ध कराने को कहा गया है।
बड़ा सवाल
- आखिर क्यों बांटी गई ग्रामसभा?
- किस आधार पर किया गया बंटवारा?
- क्या जाति को बनाया गया आधार?
- किसीने बोया बंटवारे का बीज?
- कौन हैं, जिम्मेदार अधिकारी?
- सरकार को किसने किया गुमराह?
- क्या जिम्मेदारों पर होगी कार्रवाई?
- आज तक जिला प्रशासन ने क्यों नहीं लिया संज्ञान?
ये है पूरा मामला
- नौगांव विकासखंड की भाटिया ग्राम सभा को जाति के आधार पर बांटने का आरोप लगा है।
एक ही गांव को दो हिस्सों में बांट दिया गया। - जिसके लिए मामनकों को भी अनदेखा कर दिया गया।
- आरोप है कि कुछ लोगों ने अपने राजनीतिक फायदे और ठेकेदारी चमकाने के लिए ग्राम भाटिया से भाटिया (प्रथम) कि पत्रावली तैयार कर भाटिया प्रथम के नाम से अलग ग्राम सभा बना दी गई।
- भाटिया प्रथम में मात्र तीन-चार परिवार अनुसूचित जाति हैं। जबकि, दस्तावेजों में अनुसूचित जाति के 30-40 परिवार भाटिया (प्रथम) में दर्शाये गये है। जो गम्भीर जांच का विषय है।
- पृथक ग्राम सभा के कोई भी मानक नहीं हैं। यह एक षड्यंत्र और जातिवाद के आधार पर गांव को बांटा गया है।
- आरोप है कि उन दिनों निचले स्तर के अधिकारी और कर्मचारियों को प्रभाव था। जिलाधिकारी भी उसी वर्ग की थी। यह मामला पूर्व सीएम विजय बहुगुणा केे समय का है।
- मानकों को दरकिनार करते हुए भाटिया से भाटिया प्रथम अलग ग्राम सभा बनाने के लिए यही लोग सबसे बड़े जिम्मेदार हैं।
- भाटिया से भाटिया (प्रथम) की पत्रावली पर जिन अधिकारी-कर्मचारीयों और जन प्रतिनिधियों के हस्ताक्षर हैं। उनके विरूध कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए।
- एक ही गांव की दो ग्रामसभाएं बनाने जाने से राजस्व की भी हानि हो रही है।
- विकासखण्ड नौगांव में भाटिया से क्षेत्रफल और जनसंख्या के मामले में ग्राम कफनौल, पौंटी कहीं बड़ी हैं।
- पुरोला में गुदियाट गांव, मोरी में जखोल आदि ग्रामसभाएं हैं, जो मानकों के आभाव में पृथक ग्रामसभाएं नहीं पाई हैं।
- सवाल है कि फिर भाटिया गांव को दो हिस्सों में किन मानकों और आधार पर दो ग्रामसभाओं में बांट दिया गया है?