चमोली: ये कहानी तो आपने सुनी ही होगी कि पढ़ाई की गई उम्र नहीं होती। इसकी मिसालें भी अक्सर समाज में देखने और सुनने को मिलती रहती हैं। ये वो कहानियां हैं, जो लोगों को प्रेरित करती है। लोगों को यह सिखाती हैं कि कुछ करने की लगन हो तो कोई काम कठिन नहीं होता। कदम बढ़ाते रहने से राहें खुद ही असानी होती चली जाती हैं, लेकिन जज्बा और मेहनत कम नहीं होनी चाहिए।
ऐसी ही एक कहानी है चमोली जिले के दशोली विकासखंड के ठेली गांव की 39 साल कह कमला रावत की। उनकी शादी 2006 में हुई थी। उनके पति सुरेंद्र दिल्ली में प्राइवेट नौकरी करते हैं। कमला को पढ़ने का शौक था और कुछ कर दिखाने की ललक भी। लेकिन, शादी के बाद उनकी पढ़ाई अचानक से बंद हो गई।
एक वक्त ऐसा भी था कि उनको यह लगने लगा था कि अब शादी के बाद परिवार की जिम्मेदारियों के बीच आगे नहीं पढ़ पाएंगी। लेकिन, उन्होंने अपने मन में चल रह युद्ध को कभी समाप्त नहीं होने दिया और ना उससे हार मानी। बेटी पढ़ाओ-बेटी बचाओ नारे से प्रभावित कमला ने ठान लिया कि वो पढ़ाई जारी रखेंगी।
उनकी बड़ी बेटी आईशा रावत इंटर कालेज मैठाणा में 10वीं में पढ़ती हैं। बेटा प्रसून रावत जूनियर हाईस्कूल पलेठी में 8वीं और छोटी बेटी कृष्णा 5वीं में पढ़ रही हैं। बच्चों की पढ़ाई के दौरान वो भी खुद को पढ़ने से नहीं रोक पाती थीं। बच्चों से भी पढ़ने की इच्छा जाहिर की।
उनकी इच्छा का उनके परिवार वालों ने भी सम्मान किया और 2018 में राजकीय इंटर कालेज नंद्रप्रयाग से 10वीं का प्राइवेट का फार्म भरवा दिया। केवल फार्म ही नहीं भरा, बल्कि उन्होंने परीक्षा भी पास की। इस साल नंदप्रयाग इंटर कॉलेज से उन्होंने सेकेंड डिवीजन में 12वीं की परीक्षा भी पास कर ली है। उनके कदम थमें नहीं हैं। उनको कहना है कि वो पढ़ाई जारी रखेंगी।