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युवा अवस्था में ही माता पिता का सिर से उठ गया था साया।
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गांव के प्राईमरी स्कूल से शुरू की पढ़ाई, इलाहाबाद विश्व विद्यालय में बने गोल्ड मेडिलिस्ट।
पुलिस…। पुलिस की छवि आज भी बहुत ज्यादा नहीं सुधर पाई है। हालांकि, पहले जिनती खराब स्थितियां आज के दौर में नहीं हैं। लेकिन, कुछ घटनाएं ऐसी सामने आ जाती हैं, जिसके चलते पुलिस को काले चश्मे से ही देखा जाता है। लेकिन, पुलिस में कई ऐसे अफसर भी हैं, जो पुलिस की छवि को दागदार होने से बचाने के साथ ही उम्मीद भी जगाते हैं कि पुलिस उनकी मदद के लिए है। उनको न्याय देने के लिए है। ऐसी ही उम्मीद जगाते हैं आईपीएस अनिल कुमार राय।
सरलता के लिए जाने जाते हैं।
आईपीएस अनिल कुमार राय पुलिस महकमें में अपने सरल व शालीन कार्यशैली के लिए पहचान रखने वाले आईपीएस अनिल कुमार राय ने मुश्किलों से लड़ते हुए सफलता की जो इबारत लिखी। वह हर किसी के लिए किसी नजीर से कम नही। युवा अवस्था में ही माता पिता का सिर से साया उठ जाने के बाद भी अपने आपको संयमित रखते हुए संयुक्त परिवार की परवरिश तो किया ही, साथ ही पुलिस विभाग में नौकरी करते हुए कर्तव्य निष्ठा व वर्दी की गरिमा को भी बरकरार रखा।
गांव से प्राथमिक शिक्षा
14 नवम्बर 1961 को उत्तर प्रदेश में भगवान भृगु की पवित्र धरा कहे जाने वाले बलिया के एक छोटे से गांव सुरही के रहने वाले शिक्षा विभाग में उपविद्यालय निरीक्षक के पद पर तैनात कविन्द्र नारायण राय व फूलबदन देवी के घर में एक होनहार बेटे ने जन्म लिया। सामान्य परिस्थितियों के अनुसार गांव के ही प्राथमिक विद्यालय से पढ़ाई की शुरूआत हुई और पांचवी कक्षा की परीक्षा गांव के ही प्राथमिक पाठशाला से अच्छे नम्बरो में उत्तीर्ण हुए।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के गोल्ड मेडिलिस्ट
इसके बाद मिडिल की पढ़ाई पूरी कर उन्होंने इण्टर मीडिएट तक की शिक्षा अपने पिता के साथ रहते हुए गाजीपुर जनपद में पूरा किया। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक करने के बाद इसी विश्वविद्यालय से प्राचीन इतिहास, संस्कृत एवं पुरातत्व विषय से उन्होंने परास्नातक की डिग्री हासिल की। अनिल कुमार राय 1982 बैच में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के गोल्ड मेडिलिस्ट छात्रो में भी शामिल रहे। पढ़ाई के दौरान ही प्रतियोगिक परीक्षाओं की तैयारियां शुरू किया तो वर्ष 1984 में यूपीपीसीएस की परीक्षा उत्तीर्ण कर वह प्रान्तीय पुलिस सेवा में चयनित हो गये।
माता-पिता का असामयिक निधन
1986 में जब वह पुलिस उपाधीक्षक का प्रशिक्षण ले रहे थे तभी अचानक इनके माता पिता का असामयिक निधन हो गया। उन्होंने घर परिवार की जिम्मेदारी उठाई और अपने से छोटी दो बहनों व भाई की शिक्षा-दीक्षा का ध्यान रखते हुए उनकी हर जरूरतो को पूरा किया। प्रशिक्षण के बाद पहली बार 1988 में देवरिया जिले में पुलिस उपाधीक्षक के पद पर राय की तैनाती हुई। तब से लगातार वह देवरिया के अलावा वाराणसी, बस्ती व प्रतापगढ़ जनपद में डिप्टी एसपी के पद पर कार्यरत रहे।
बस्ती परिक्षेत्र में पुलिस महानिरीक्षक
1997 में अपर पुलिस अधीक्षक के पद पर प्रोन्नति किये गये। 2012 में भारतीय पुलिस सेवा में प्रोन्नति पाने के बाद श्री राय 2002 में भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी बने। 2016 में फिर एक बार इन्हे प्रमोशन मिला लिहाजा पुलिस उप महानिरीक्षक के पद पर तैनात किये गये। वर्ष 2020 में एक बार फिर इन्हे प्रमोशन मिला और उन्हे पुलिस महानिरीक्षक के पद पर तैनात किया गया। वर्तमान में आईपीएस अनिल कुमार राय बस्ती परिक्षेत्र में पुलिस महानिरीक्षक के पद पर कार्यरत हैं।
पीड़ितों को न्याय
भारतीय पुलिस सेवा के 2002 बैंच के आईपीएस अनिल कुमार राय के कार्यालय में पीड़ितो की लम्बी कतार हमेशा देखी जाती है। कहा जाता है किआईपीएस अनिल कुमार राय के कार्यालय से कोई भी फरियादी निराश होकर नही लौटता। उसकी फरियाद पर हर सम्भव मदद कराने का भरोसा तो वह पीड़ित को दिलाते ही है साथ ही उनकी यथा सम्भव मदद भी करते है। उनका कहना है कि
युवाओं करते हैं प्रेरित
पुलिस सेवा में आने के बाद उनका उद्देश्य हमेशा से समाज के शोषित, वंचित व पीड़ित जनों को न्याय दिलाने का रहा है। नौकरी के दौरान उन्होने कोशिश किया कि अपराध में लिप्त होकर अपने पथ से दिग्भ्रमित हुए युवाओं को किस तरह से समाज की मुख्य धारा से जोड़ा जा सके जिससे समाज के साथ साथ राष्ट्र के विकास में युवा अपना योगदान दे सके।
बस्ती परिक्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक
अगर मन में कुछ कर गुजरने की प्रबल इच्छा शक्ति हो तो कोई भी रूकावट किसी का भी मार्ग अवरूद्ध नही कर सकती। इस कथन को मूर्त रूप दिया वर्तमान में बस्ती परिक्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक के पद पर तैनात आईपीएस अनिल कुमार राय ने। गांव के प्राथमिक विद्यालय से पढ़ाई शुरू करने वाले अनिल कुमार राय ने पांचवी की परीक्षा अपने छोटे से गांव सुरही के प्राथमिक विद्यालय से उत्तीर्ण तो किया ही साथ ही ग्रामीण अंचल के ही मिडिल स्कूल से इन्होंने आठवी की बोर्ड परीक्षा भी इन्होने प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण किया।
सीओ से आईजी तक का सफर
10वीं तथा इण्टर मीडिएट तक की पढ़ाई गाजीपुर जनपद में रहकर पूरी की तो वहीं स्नातक के लिए इलाहाबाद विश्व विद्यालय में दाखिला लिया। इसी विश्व विद्यालय में परास्नातक की पढ़ाई के दौरान संस्कृत एवं पुरातन विषय में 1982 के बैच के विद्यार्थियों में शामिल अनिल कुमार राय को गोल्ड मेडल मिला। बिना किसी प्रतियोगी परीक्षा के तैयारियों के यूपीपीसीएस की परीक्षा उन्होने 1984 में क्वालीफाइ की और आज पुलिस महकमे के एक बड़े ओहदे आईजी के पद तक पहुंचे।
ग्रामीण अंचल की छाप
उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में जन्मे अनिल कुमार राय के जीवन शैली में पूर्वी उत्तर प्रदेश के ग्रामीण अंचल की छाप दिखाई देती है। चाहे आम जनता से सीधा व सपाट शब्दो में संवाद हो या फिर अपने सहकर्मियों के साथ उनका व्यौहार हर जगह पूर्वांचल की वह शैली दिखाई देती है, जिसके लिए यह क्षेत्र पूरी दुनिया में मशहूर है।
जानवरों से प्रेम
सुबह उठकर लोगों की कुशल क्षेम पूछना और सरकारी आवास में पाले गये गायों व अन्य जानवर से वह एक बार जरूर मिलते हैं। जानवरों के प्रति अपना आदर व सम्मान भी इनकी जीवनशैली में शामिल है। रोजमर्रा की जिंदगी की भागदौड़ के बाद भी प्रकृति के प्रति उनका प्रेम काफी अगाध है मौका मिलते ही वह परिसर में लगे पेड़ पौधों की सुरक्षा तथा उन्हें पानी देने तक की निगरानी खुद ही करते हैं।