देहरादून : चारधाम यात्रा को लेकर अब तक इतनी स्थिति तो साफ़ हो गयी है कि चारों धामों के कपाट तय समय पर ही खुलेंगे. यमुनोत्री और गंगोत्री के कपाट स्थानीय पुरोहित या रावल खोलते हैं, लेकिन केदारनाथ धाम और बद्रीनाथ धाम के कपाट खोलने की व्यवस्था अलग है. दोनों ही धामों के कपाट दक्षिण भारत के रावल खोलते हैं. इसके चलते कई तरह के सवाल भी उठ रहे हैं, रावल उत्तराखंड पहुँच चुके हैं. उनको क्वारंटीन कर दिया गया है. लोगों के मन में ये सवाल है कि रावल कपाट खोलेंगे या नहीं ? इन सवालों के जवाब भी हैं, लेकिन वर्तमान स्थितियों में कुछ बातों को लेकर चिंता भी है.
चारधाम यात्रा के शुरू होने से पहले केदारनाथ धाम की कपाट पूजा के लिए रावल भीमाशंकर लिंग अपने सेवादारों के साथ उत्तराखंड पहुंच गए हैं. रविवार को ऊखीमठ पहुंचने पर प्रशासन की टीम ने मौके पर पहुंचकर उनका हाल जाना और रावल समेत रावल समेत उनके पांच सेवादारों को भी होम क्वारंटीन कर दिया. नियमानुसार उनको 14 दिनों तक क्वारंटीन में रखा जाना चाहिए, लेकिन केदारनाथ धाम के कपाट 29 अप्रैल को खुलने हैं। बाबा केदार की चल विग्रह उत्सव डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ से धाम के लिए प्रस्थान करेगी. रावल भी डोली के साथ ही धाम के लिए रवाना होंगे. इसी बात को लेकर चिंता है कि उनको धाम तक पहुँचाने के दौरान सोशल डिस्टेंस किस तरह मेंटेन किया जाएगा ?
हलांकि जो सबसे बड़ी चिंता की बात है. उसका समाधान करने की जरूरत नहीं है. उसके लिए पहले से ही व्यवस्था है. रावलों के धाम में रहने के कड़े हैं. क्वारंटीन इन दिनों सबसे ज्यादा चर्चा में है. इसी बात की ही सबको चिंता थी. इसका समाधान रावलों का सेल्फ क्वारंटीन में रहना है. उनके एकांतवास का नियम इतना कठिन है कि उनको साथ बैठना तो दूर उन्हें कोई छू भी नहीं सकता.
पुरोहित महापंचायत अध्यक्ष कृष्णकांत और महामंत्री हरीश डिरी का कहना है कि परंपरा के अनुसार राज्य से बाहर जाने पर रावल सेल्फ आइसोलेशन में ही रहते हैं. उनके कमरे में कोई जा भी नहीं सकता और न ही रावल किसी को छू सकते हैं.इस हिसाब से देखा जाए तो रावल धामों के कपाट खोल सकते हैं.