Saturday , 19 April 2025
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CM योगी की कलम से : कल्याण सिंह…एक राजनीतिक संत, जिसने सत्ता से ऊपर श्रीराम को स्थान दिया

उत्तर प्रदेश की राजनीति के पुरोधा कल्याण सिंह के निधन के साथ ही  राजनीति के एक युग का अंत हो गया। सीएम योगी आदित्यनाथ ने लिखा कि दशकों तक अपनी आभा से आलोकित करने वाले श्रद्धेय कल्याण सिंह नहीं रहे।उनका देहावसान हो गया।

अपार शोक की इस घड़ी में सोच रहा हूँ कि अब जबकि वह हमारे बीच नहीं हैं, तो उन्हें किस तरह याद किया जाए। उन्हें एक राजनीतिक संत कहूं, जिसे पद-प्रतिष्ठा का मोह छू तक न गया हो अथवा दृढ़ संकल्प की प्रतिमूर्ति मानूं, जो लक्ष्य का संधान होने तक अर्जुन की भांति एकनिष्ठ भाव के साथ सतत प्रयत्नशील रहे और अंतत: सफलता ने उनका वरण किया।

वास्तव में, पांच दशक लंबा उनका सार्वजनिक जीवन इतना विविधतापूर्ण और संघर्षपूर्ण रहा है कि उसे कुछ एक विशेषणों के माध्यम से पूरा नहीं किया जा सकता।

हां! इस विस्तृत समृद्ध राजनीतिक काल खंड में शुचिता, कर्तव्यपरायणता, ईमानदारी, सख्त प्रशासक और कुशल नेतृत्व उनके व्यक्तित्व की पहचान जरूर बने रहे। भारतीय राजनीति के एक वृहत कालखंड में भारतरत्न श्रृद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी, पूर्व उप प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी और कल्याण सिंह की तिकड़ी में भारतीय जनमानस के आकांक्षाओं की छवि स्पष्ट दृष्टिगोचर होती थी। मैं सौभाग्यशाली हूं कि इन तीनों का सहयोग और स्नेह पाने की योग्यता मुझमें बनी रही।

आंदोलन के अग्रणी

कल्याण सिंह, श्रीराम मंदिर आंदोलन के अग्रणी नेतृत्वकर्ताओं में से एक थे। मंदिर के लिए सत्ता छोड़ने में उन्होंने एक क्षण भी नहीं लगाया। उनका यह कथन प्रभु श्रीराम के प्रति उनकी आस्था की झलक है। ‘‘…प्रभु श्रीराम में मुझे अगाध श्रद्धा है। अब मुझे जीवन में कुछ और नहीं चाहिए। राम जन्मभूमि पर मंदिर बनता हुआ देखने की इच्छा थी। जो अब पूरी हो गयी। सत्ता तो छोटी चीज है, आती-जाती रहती है। मुझे सरकार जाने का न तब दुख था, न अब है। मैंने सरकार की परवाह कभी नहीं की।

मैंने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि कारसेवकों पर गोली नहीं चलाऊंगा। अन्य जो भी उपाय हों, उन उपायों से स्थिति को नियंत्रण में किया जाए…।’’ सत्ता में ऐसे लोग विरले ही मिलेंगे। सच में उनके लिए भगवान श्रीराम पहले थे, सत्ता उसके बाद में। यही कारण है कि अयोध्या में 6 दिसंबर 1992 को विवादित ढांचा गिराए जाने के बाद बतौर मुख्यमंत्री उन्होंने सारी जिम्मेदारी अपने ऊपर ले ली। यह उनकी महानता थी और त्याग भी।

अटूट विश्वास

चूंकि मेरे दादा गुरु ब्रह्मलीन महंत दिग्विजय नाथ और पूज्य गुरुदेव ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ भी मंदिर आंदोलन के अग्रणी नेतृत्वकर्ताओं से थे इसीलिए जब भी उनसे कभी मुलाकात होती या उनका गोरखनाथ मंदिर आना होता तो मंदिर आंदोलन और अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण को लेकर पूज्य गुरुदेव से उनकी लंबी चर्चा होती थी। उनका अटूट विश्वास था कि प्रभु श्रीराम का भव्य और दिव्य मंदिर जन्मभूमि पर ही बनेगा।

जब भी मंदिर आंदोलन पर चर्चा होती थी, तब वह कहते थे कि मंदिर निर्माण का काम मेरे जीवनकाल में ही शुरू होगा। प्रभु श्रीराम ने उनकी सुनी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय जनमानस की 500 वर्षों की प्रतीक्षा को पूर्णता प्रदान करते हुए मंदिर निर्माण का शुभारंभ किया। आज कोटि-कोटि आस्था के प्रतीक मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के भव्य-दिव्य मंदिर का निर्माण अवधपुरी में सतत जारी है।

गोरक्षपीठ से लगाव

गोरक्षपीठ की तीन पीढ़ियां (ब्रह्मलीन महंत दिग्विजय नाथ, ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ और आज मैं, स्वयं) मंदिर आंदोलन से जुड़ी रहीं, इस नाते पीठ से उनका खास लगाव था। वह बड़े महाराज ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ का बहुत सम्मान करते थे। यही वजह है कि जब भी गोरखपुर जाते थे, वे हमारे पूज्य गुरु जी से मिलने जरूर जाते थे। दोनों का एक ही सपना था, उनके जीते जी अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण हो।

ये मेरा सौभाग्य है कि जब जन्मभूमि का ताला खुला तब पूज्य दादा गुरु ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी आंदोलन से जुड़े थे। जब ढांचा गिरा तब हमारे पूज्य गुरु ब्रह्मलीन अवेद्यनाथ जी मंदिर आंदोलन के अग्रणी नेता थे और अब जब अयोध्या में प्रभु श्रीराम का भव्य और दिव्य मंदिर बन रहा है तब मैं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का दायित्व निर्वहन कर रहा हूं।

प्रेरणा के स्रोत

समाज, कल्याण सिंह जी को उनके युगांतरकारी निर्णयों, कर्तव्यनिष्ठा व शुचितापूर्ण जीवन के लिए सदियों तक स्मरण करते हुए प्रेरित होता रहेगा। कल्याण सिंह, मंदिर आंदोलन के अग्रणी नेताओं में थे। मंदिर के लिए सत्ता छोड़ने में उन्होंने एक क्षण भी नहीं लगाया। सत्ता में ऐसे लोग विरले ही मिलेंगे। उनके लिए भगवान श्रीराम पहले थे, सत्ता बाद में। यही वजह है कि अयोध्या में 6 दिसंबर 1992 को विवादित ढांचा गिराए जाने के बाद बतौर मुख्यमंत्री उन्होंने सारी जिम्मेदारी अपने ऊपर ले ली। यह उनकी महानता थी और त्याग भी।

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री, राजस्थान के पूर्व राज्यपाल भारतीय जनता पार्टी परिवार के वरिष्ठ सदस्य व लोकप्रिय जननेता कल्याण सिंह का देहावसान संपूर्ण राष्ट्र के लिए अपूरणीय क्षति है। मैं उनके निधन पर विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। प्रभु श्री राम से प्रार्थना है कि दिवंगत पुण्यात्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें और शोक-संतप्त परिजनों को दु:ख सहने की शक्ति प्रदान करें।

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

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