देहरादून: शिक्षा विभाग ट्रांसफर-पोस्टिंग के लिए हमेशा से ही बदनाम रहा है। पिछले कुछ महीनों में अधिकारियों ने गुपचुप तरीके से कुछ शिक्षकों को अटैचमेंट पर ट्रांसफर दिया गया था। मामले को लेकर शिक्षकांे ने नाराजगी भी जताई थी। कोरोना काल में किए गए इन अटैचमेंट को निरस्त करने का आदेश जारी कर दिया गया है। हैरानी की बात यह है कि ये सभी ट्रांसफर जीरो ट्रांसफर आदेश जारी होने के बाद हुए थे। जाहिर है इनमें सेटिंग भी बड़ी रही होगी।
अब शिक्षा मंत्री के निर्देश 9 जुलाई को हुए 3 शिक्षकों के अटैचमेंट को निरस्त कर दिया गया है। अग्रेजी की सहायक अध्यापिका आशा को राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय कनोल घाट चमोली से राजकीय इंटर कॉलेज सोमेश्वर अल्मोड़ा में अटैच किया गया था।
दीपशिखा ग्रोवर सहायक अध्यापक एलटी अंग्रेजी को राजकीय इंटर कॉलेज कांडा बागेश्वर से राजकीय इंटर कॉलेज बागवाला उधम सिंह नगर, और नीति जोशी को देहरादून शहर के निकटस्थ राजकीय इंटर कॉलेज से राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में अटैच किया गया था।
शिक्षा सचिव रहते हुए मीनाक्षीसुंदरम के द्वारा इन तीनों शिक्षकों का अटैचमेंट किया गया था, जिन्हें मीनाक्षीसुंदरम के हटते ही निरस्त कर दिया गया है। बताया गया है कि शिक्षा मंत्री का अनुमोदन भी इन तीनों अटैचमेंट में नहीं लिया गया था, जिसको लेकर शिक्षा मंत्री ने नाराजगी जताते हुए तीनों शिक्षकों के अटैचमेंट निरस्त करने के निर्देश दिए थे।
लेकिन, सवाल यह है कि इनको निरस्त करने के लिए मंत्री को सचिव के हटने का इंतजार क्यों करना पड़े, अटैचमेंट होने के तत्काल बाद इनको क्यों नहीं हटाया गया? अगर मंत्री का अनुमोदन नहीं लिया गया था, तो अधिकारी पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई? क्या मंत्री को अधिकारी के हटने का इंतजार था या फिर अफसर मंत्री पर हावी थे?