बड़कोट: सरकार दावे तो करती है, लेकिन दावों क्या वो बस दावे ही होते हैं। बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ के नारे भी खूब लगाए जाते हैं। सवाल यह है कि जहां बेटियां पढ़ना चाह रही हैं, वहां उनको पढ़ाने के लिए शिक्षकों की तैनाती तक नहीं हैं। सरकार सरकारी स्कूलों में स्टूडेंट्स की संख्या बढ़ाने के लिए तमाम प्रयास कर रही है, लेकिन जिस स्कूल में पहले से ही 400 बालिकाएं पढ़ रही हों, उस स्कूल पर ना तो सरकार ध्यान दे रही है और ना जिले के शिक्षा अधिकारी।
1985 में उत्तरकाशी जिले के बड़कोट में राजकीय बालिका हाई स्कूल खुला था, जिसको बाद में 1989 में उच्चीकृत कर इंटर कॉलेज कर दिया गया था। इस बालिका इंटर कालेज में छात्राओं की संख्या में थोड़ा-बहुत छात्राओं की संख्या जरूर घटी है, लेकिन यहां आज भी 400 बालिकाएं विभिन्न कक्षाओं में पढ़ती हैं।
कोरोना काल के बाद काफी संख्या में बालिका इंटर कॉलेज में हाई स्कूल और इंटर की कक्षाओं के अलावा लोगों ने प्राइवेट स्कूलों से बच्चों को निकालकर यहां भर्ती कराया। इस उम्मीद के साथ कि उनके बच्चों को कम खर्च में अच्छी शिक्षा मिलेगी। लेकिन, यहां हाल और बुरा हो गया। बालिका इंटर कॉलेज में पांच शिक्षकों के पद रिक्त चल रहे हैं। कई बार पत्राचार भी किया गया, लेकिन शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हुई।
राजकीय आर्दश बालिका इंटर कॉलेज बड़कोट (उत्तरकाशी) नौगांव ब्लॉक का एक मात्र बालिका इंटर कॉलेज है। आदर्श विद्यालय होने के बावजूद भी विद्यालय में प्रधानाचार्या के साथ-साथ 1 प्रवक्ता अंग्रेजी, 3 सहायक अध्यापक अंग्रेजी, हिन्दी और सामान्य के पद खाली हैं। इनको भरने के लिए लगातार मांग की जा रही है, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं हैं। इसके अलावा 3 पद परिचारक के भी रिक्त हैं।
अभिभावक शिक्षक संघ अध्यक्ष ललिता भंडारी का कहना है कि विभाग राजकीय विद्यालयों में घटती छात्र संख्या बढ़ाने के लिए प्रवेशोत्सव और अन्य तरह के कार्यक्रम आयोजित करा रहा है। लेकिन, जिस विद्यालय में 400 बालिकाएं पढ़ रही हों, वहां शिक्षकों के पद खाली चल रहे हैं।
उस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में अभिभावक अपने पाल्यों को राजकीय विद्यालयों में कैसे प्रवेश दिलायेंगे। यह तो छात्राओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। ललिता भंडारी ने बालिका इंटर कॉलेज में शीघ्र शिक्षकों की नियुक्ति की मांग की है।