Friday , 20 September 2024
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उत्तराखंड : क्या गैर कानूनी है CPU, RTI में बड़ा खुलासा, ये पूरा मामला

  • डीजीपी कार्यालय से मिली सूचना, सीपीयू के गठन को लेकर नहीं है कोई शासनादेश।
  • आरटीआई एक्टिविस्ट विकेश नेगी ने मांगी थी जानकारी।

देहरादून : उत्तराखंड में पुलिस की एक नई यूनिट काम कर रही है। यह यूनिट सिटी पेट्रोल यूनिट यानी (CPU) के नाम से जानी जाती है। इस यूनिट का गठन पूर्व DGP बीएस सिद्द्धू ने किया था। इस यूनिट को यातायात व्यवस्था सुधारने का जिम्मा दिया हुआ है। CPU यातायात के उल्लंघन करने वालों से जुर्माना भी वसूलती है।

RTI एक्टिविस्ट एडवोकेट विकेश सिंह नेगी ने सीपीयू के गठन को लेकर सवाल उठाए हैं। उन्होंने इस संबंध में सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत पुलिस से जानकारी मांगी कि क्या सीपीयू के गठन को लेकर कोई शासनादेश जारी हुआ है? यदि हां तो उसकी प्रति उन्हें उपलब्ध कराई जाएं।

DGP कार्यालय के लोक सूचना अधिकारी उपमहानिरीक्षक सेंथिल, अबूदई कृष्णराज एस ने इस संबंध में आरटीआई के तहत जानकारी दी है कि सीपीयू के गठन को लेकर अब तक कोई शासनादेश जारी नहीं हुआ है। सीपीयू का गठन तत्कालीन डीजीपी बी एस सिद्द्धू के कार्यालय ज्ञाप पत्रांक डीजीपी-अप.- 294/2013 जो कि 19 नवम्बर 2013 को जारी किया गया है। एडवोकेट विकेश नेगी का कहना है कि इस आधार पर सीपीयू का गठन पूरी तरह से गैर-कानूनी है। उनके अनुसार इस तरह की पुलिस का उल्लेख पुलिस एक्ट में भी नहीं है। ऐसे में सीपीयू के गठन पर सवाल खड़े होते हैं।

इन बिंदुओं पर मांगी थी जानकारी

आरटीआई एक्टिविस्ट एडवोकेट विकेश नेगी ने सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत उत्तराखंड पुलिस के लोक सूचना अधिकारी से चार बिन्दुओं पर सूचना मांगी थी। उन्होंने सीपीयू के गठन से संबंधित शासनादेश तथा अधिनियम की छाया प्रति मांगी। दूसरे बिंदु में उन्होंने सीपीयू के अधिकार क्षेत्र से और उससे संबंधित कार्यों के नियम की छाया प्रति की मांग की।

तीसरे बिंदु में उन्होंने सीपीयू की वर्दी से संबंधित शासनादेश और अधिनियम की छाया प्रति मांगी। इसके अलावा अंतिम बिन्दु में उनहोंने ट्रेफिक पुलिस, सिटी पेट्रोल यूनिट और सामान्य पुलिस की ओर चालान से एकत्रित की गयी धनराशि राज्य सरकार के जिस मद में जमा होती है, उससे संबंधित शासनादेश की छायाप्रति की भी मांग की।

एडवोकेट विकेश नेगी के अनुसार पुलिस महानिदेशक कार्यालय से उनके द्वारा मांगी गई सूचना के बिन्दु एक के जवाब में बताया गया कि सीपीयू का गठन 2013 में किया गया। इसके गठन डीजीपी के कार्यालय ज्ञाप से हुआ है। बिन्दु संख्या दो के जवाब में बताया गया कि सीपीयू का प्रमुख कर्तव्य यातायात व्यवस्था को सुचारु रूप से बनाए रखना है। स्ट्रीट क्राइम, चेन स्नेचिंग पर अंकुश तथा यातायात का उल्लंघन करने वाले वाहन चालकों के विरुद्ध प्रवर्तन की कार्रवाई करना है। सीपीयू कर्मी जनपद के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन आते हैं।

बिंदु संख्या तीन के जवाब में पुलिस ने जानकारी दी कि सीपीयू द्वारा धारण की जाने वाली वर्दी से संबंधित विवरण की छाया प्रति दी गयी है। साथ ही चौथे और अंतिम बिन्दु के जवाब में पुलिस ने बताया कि सीपीयू यूनिट जनपद पुलिस द्वारा चालान से वसूल की गयी धनराशि को राजकोष में कराया जाता है। आरटीआई एक्टिविस्ट एडवोकेट विकेश सिंह नेगी ने कहा बिना शासनादेश के काटे जा रहे चालान अवैध वसूली की श्रेणी में आते हैं।

आरटीआई एक्टिविस्ट एडवोकेट विकेश सिंह नेगी का कहना है कि पुलिस एक्ट में इस सीपीयू की वर्दी का कहीं को जिक्र नहीं है। इसका सीधा मतलब है कि यह पुलिस एक्ट के बाहर काम करते हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सीपीयू को मिलने वाली सुविधाओं पर खर्च किया जाने वाला बजट किस निधि से आ रहा है इसकी भी कोई जानकारी नहीं दी जा रही है।

पुलिस द्वारा दी गयी सूचना को एडवोकेट विकेश नेगी ने आधा-अधूरा माना है। वो इस सूचना से संतुष्ट नहीं हुए और उन्होंने इस मामले में प्रथम अपीलीय अधिकारी के यहां अपील की है। एडवोकेट नेगी के अनुसार पुलिस ने उन्हें गोेलमोल जवाब दिये हैं। यानी सूचना भ्रामक है। उन्हें सीपीयू के गठन के शासनादेश की छाया प्रति उपलब्ध नहीं करायी गयी। अब पुलिस ने मान लिया कि इस संबंध में कोई शासनादेश नहीं है।

गौरतलब है कि पुलिस द्वारा काटे गये चालान को परिवहन विभाग के पास जमा कराया जाता है जबकि पुलिस का कथन है कि यह राजकोष में जमा कराया जाता है। इस सूचना को लेकर भी भ्रम की स्थिति है। एडवोकेट विकेश नेगी के अनुसार वह इस पूरे मामले को लेकर नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर करने जा रहे हैं।

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

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