हल्द्वानी: सैन्य धाम बनाने के लिए शहीदों के आंगन की मिट्टी लाई जा रही है। इसी शहीद सम्मान यात्रा के तहत ही नैनीताल जिले में भी शहीदों के आंगन की मिट्टी लाई जा रही थी। यात्रा नैनीताल जिले के बिंदुखता गांव में शहीद मोहन नाथ गोस्वामी के घर पहुंची। इसमें सैनिक और पूर्व सैनिक सहित अधिकारी और जनप्रतिनिधि शामिल हुए। इस दौरान अधिकारियों, विधायक और पूर्व सैनिकों को शहीद मोहन नाथ गोस्वामी के परिजनों की नाराजगी झेलनी पड़ी।
मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित शहीद मोहन नाथ गोस्वामी के घर पहुंची शहीद सम्मान यात्रा में शामिल लोगों को शहीद मोहन नाथ गोस्वामी की मां राधिका देवी के गुस्से का सामना करना पड़ा। उनका आरोप है कि छह साल पहले उनके बेटे ने देश की सेवा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी थी। कई नेता, अधिकारी, मंत्री और खुद मुख्यमंत्री उनके घर पहुंचे थे। कई घोषणाएं की थीं, लेकिन दुख की बात यह है कि आज तक एक भी मांग पूरी नहीं हुई है।
शहीद मोहन नाथ गोस्वामी के नाम पर स्कूल का नाम रखे जाने की घोषणा की गई थी। मिनी स्टेडियम बनाए का ऐलान भी हुआ था। शहीद की पत्नी को सरकारी नौकरी देने का वादा भी किया गया था। लेकिन आज तक एक भी मांग पूरी नहीं हो पाई। ऐसे में वो अपने आंगन से मिट्टी उठाने की इजाजत नहीं देंगे।
शहीद की पत्नी भावना गोस्वामी ने कहा कि जिस तरह से सरकार ने बड़े-बड़े दावे किए थे, वो आज सिर्फ फाइलों तक सीमित हैं। मुख्यमंत्री से मुलाकात भी कर चुकी हैं, लेकिन कोई ठोस जवाब नहीं मिला। उन्होंने कहा है कि अगर इस ओर ध्यान नहीं दिया गया, तो सरकार के खिलाफ अपने परिवार के साथ आमरण अनशन पर बैठेंगे। विरोध के बीच किसी तरह वहां से मिट्टी लाई गई।
इस दौरान शहीद मोहन नाथ गोस्वामी के भाई शंभू नाथ गोस्वामी ने भी सरकार पर परिवार की उपेक्षा का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि, सरकार के रवैये से साफ जाहिर हो रहा है कि सरकार सैनिकों के प्रति गंभीर नहीं है और आज उनके आंगन से जबरदस्ती शहीद के नाम पर मिट्टी ले जाई गई है।
बिन्दुखत्ता निवासी शहीद मोहन नाथ गोस्वामी ने 2 सितंबर, 2015 को जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा के हंदवाड़ा के जंगल में आतंकियों से लोहा लेते हुए 10 आतंकियों को मार गिराया था, जहां वह उन्होंने अपनी शहादत दी थी। जिसके बाद केंद्र सरकार ने शहीद मोहन नाथ गोस्वामी को अशोक चक्र से नवाजा था।