कॉमरेड के.के. बोरा, आल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियंस(एक्टू/ AICCTU) के उत्तराखंड प्रदेश के महासचिव और भाकपा(माले) के राज्य कमेटी सदस्य हैं. वे एक लोकप्रिय ट्रेड यूनियन नेता हैं, जो पिछले दसियों बरस से निरंतर मजदूरों के अधिकारों के लिए काम कर रहे हैं. छात्र जीवन में वे आइसा की उत्तराखंड इकाई के पहले सचिव थे. उसके बाद उत्तराखंड में मजदूरों को संगठित करने और उनके अधिकारों के संघर्ष के मोर्चे पर वे अग्रिम पांत में हैं.
कॉमरेड के.के. बोरा का जिक्र इसलिए क्यूंकि आज उनको एक मोबाइल नंबर से फोन आया. फोन करने वाले ने स्वयं को हल्द्वानी की भोटिया पड़ाव चौकी का प्रभारी बताया और के.के. बोरा को तुरंत चौकी आने को कहा. वजह पूछने पर फोन करने वाले ने वजह बताने से इंकार कर दिया. साथ ही कहा कि यदि के.के.बोरा नहीं आएंगे तो वे, के.के.बोरा के घर आ जाएंगे.इस तरह धमकी भरे अंदाज में बिना कारण बताए, बुलाने पर के.के बोरा ने चौकी जाने से साफ इंकार कर दिया.
यह पूरा वार्तालाप बेहद गंभीर एवं आपत्तिजनक है. कोई व्यक्ति जो मजदूरों के अधिकारों की पैरवी करता हो,उसे इस तरह धमकाने वाले अंदाज में चौकी क्यूँ बुलाया जाना चाहिए ? अव्वल तो कॉमरेड के.के. बोरा के खिलाफ हल्द्वानी में किसी किस्म का, कोई मुकदमा नहीं है. लेकिन मुकदमा हो भी,तो भी किसी व्यक्ति को, जो कि एक लोकप्रिय ट्रेड यूनियन नेता हो,इस तरह धमकाने वाले अंदाज में चौकी आने को क्यूँ कहा जाना चाहिए ?
ऊपर वर्णित टेलेफोनिक वार्तालाप से ऐसी आशंका पैदा होती है कि के.के.बोरा के विरुद्ध,राजनीतिक संबद्धता के चलते, कोई ऐसा षड्यंत्र तो नहीं रचा जा रहा,जिसके लिए कुछ शक्ति सम्पन्न लोग पुलिस के एक अधिकारी का इस्तेमाल कर रहे हों ? इस बात की गंभीरता को देखता हुए मामले को प्रदेश के पुलिस महानिदेशक,वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक,नैनीताल और अपर पुलिस अधीक्षक,हल्द्वानी को व्हाट्स ऐप पर सूचित कर दिया गया है.
- काॅमरेड इंद्रेश मैखुरी