आखिर मौत से इतना प्यार क्यों…? क्या जिंदगी कठिन लगने लड़ी है…? इस सवाल जवाब मांग रहे हैं। सवाल ये है कि क्या इनका सही जवाब मिल पायेगा या फिर तर्कों और कुतर्कों में उलझे रह जाएंगे। हाल ही में युवा एक्टर सुशांत सिंह राजपूत ने आत्महत्या कर थी। उन्होंने ये कदम क्यों उठाया ? इसके लिए कौन जिम्मेदार है ? इससे कैसे बचा जाना चाहिए ? इन तमाम सवालों पर लंबी बहसें चल रही हैं। चलती रहेंगे। सवालों के दौर भी जारी हैं ? जवाब मिलने बाकी हैं। सटीक जवाब कब मिलेगा…कोई नहीं जानता ? सवाल ये है कि लोग मौत से क्यों प्यार करने लगे हैं। आपको ये बात चौंका का सकती है, लेकिन है पूरी तरह सच। ये सच सरकारी रिकाॅर्ड में दर्ज आत्महत्या के मामलों से पता चलता है। कई मामले ऐसे भी होते हैं…जो दस्तावेजों में दर्ज नहीं होते। लोक-लाज के मायाजाल में दफन कर दिये जाते हैं।
पिछले चार महीनों में हुई आत्महत्या के मामलों की समीक्षा उत्तराखंड के लिए भी चिंता लाया है। दरअसल, पिछले चार माह इसलिए कि इस दौरान कोरोना महामारी ने सबको घरों में कैद कर दिया था। इन चार महीनों में आत्महत्या के मामले तेजी से बढ़े हैं। इतनी तेजी से कि इनमें 20 प्रतिशत तक का इजाफा हो गया। केवल शहर ही नहीं। पहाड़ में भी आत्महत्या के मामले बढ़े हैं।
इस साल पर जनवरी से अप्रैल तक 187 लोगों ने अपनी जीवनलीला समाप्त कर दी। मौत को गले लगा लिया है, जिसमें पहले नंबर पर हरिद्वार में 42, देहरादून 42 मामले सामने आए। नैनीताल में भी आत्महत्या के मामले तेजी से बढ़े हैं। जून महीने की बात करें तो पिछले 27 दिनों में 39 लोगों ने आत्महत्या कर चुके हैं। चिंता की बात यह है कि अपनी जीवरडोर काटने वाले 39 में से 12 नाबालिग हैं।