Thursday , 6 February 2025
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उत्तराखंड: नौकरियां गलत तो देने वालों पर एक्शन कब, उठने लग सवाल?

देहरादून: विधानसभा में बैकडोरी भर्ती मामले में नौकरी से निकाले गए कर्मचारियों को सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिली है। कुलमिलाकर उनको फिर से नौकरी मिलने का रास्ता लगभग बंद हो गया है। सुप्रीम कोर्ट के फैैसले के बाद अब फिर से चर्चाओं का बाजार गर्म है। एक नई मांग भी उठने लगी है। सवाल सरकार की नीयत पर भी उठ रहे हैं। लोगों का कहना है कि अगर नौकरियां गलत हैं तो फिर देने वाले अपराधी क्यों नहीं?

दरअसल, विधानसभा में अपने चहेतों को नौकरी देने वाले दो पूर्व विधानसभा अध्यक्ष रहे हैं। पहले कांग्रेस कार्यकाल में गोविंद सिंह कुंजवाल और भाजपा कार्यकाल में प्रेम चंद अग्रवाल रहे, जो वर्तमान में कैबिनेट मंत्री हैं। दोनों ही खुलेतौर पर यह हामी भर चुके हैं कि उन्होंने अपने चहेतों, रिश्तेदारों और अन्य लोगों को नौकरी पर लगाया था। अब सवाल यह उठ रहे हैं कि जब सबकुछ हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से साबित हो चुका है कि नौकरियां गलत तरीके से लगाई गई थी। फिर नौकरी देने वालों पर क्यों कार्रवाई नहीं की जा रही है?

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इस मामले में कॉमरेड इंद्रेश मैखरी ने भी गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा है कि उच्चतम न्यायालय ने उत्तराखंड विधानसभा के बर्खास्त तदर्थ कर्मचारियों की याचिका खारिज किए जाने से यह पुनः स्पष्ट है कि ये नियुक्तियां नियम विरुद्ध हुई थी। उच्च न्यायालय की डबल बेंच के बाद उच्चतम न्यायालय के इस फैसले ने विधानसभा में नियुक्तियों में धांधली होने की बात पर मोहर लगा दी है।

इस फैसले के बाद तत्काल उन लोगों के खिलाफ कार्यवाही की जानी चाहिए, जिन्होंने ये नियम विरुद्ध नियुक्तियां की, जिन्होंने बिना सार्वजनिक विज्ञप्ति और अन्य प्रक्रिया के अयोग्य, अक्षम लोगों की सैकड़ों की संख्या में विधानसभा में नियुक्ति की. विधानसभा में अयोग्य, अक्षम लोगों की नियुक्ति और उत्तराखंड के योग्य युवाओं से योग्यता और दक्षता के आधार पर विधानसभा में नियुक्ति पाने का अवसर छीनने वालों के खिलाफ कठोर कानूनी कार्यवाही अमल में लायी जानी चाहिए।

यह विचित्र विरोधाभास है कि उत्तराखंड सरकार और विधानसभा अध्यक्ष, नियम विरुद्ध नियुक्ति पाये कर्मचारियों की बर्खास्तगी का श्रेय तो लेना चाहते हैं, लेकिन इन नियम विरुद्ध नियुक्तियों को करने वालों के खिलाफ कार्यवाही के सवाल पर मुंह नहीं खोलना चाहते. यह हैरत की बात है कि जिन प्रेमचंद्र अग्रवाल ने विधानसभा अध्यक्ष रहते, विधानसभा में बैकडोर से नियम विरुद्ध भर्तियाँ की, वे वर्तमान सरकार में संसदीय कार्य,वित्त, शहरी विकास जैसे महत्वपूर्ण विभागों के मंत्री बने हुए है। यह भ्रष्टाचार का फल पाने वालों के खिलाफ कार्यवाही और भ्रष्टाचार का पेड़ लगाने वालों का संरक्षण करने जैसा कृत्य है।

उन्होंने अपनी मांग को दोहराते हुए कहा है कि प्रेमचंद्र अग्रवाल को मंत्रिमंडल से बर्खास्त किया जाये। विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल व प्रेमचंद्र अग्रवाल के विरुद्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम,1988और अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 के तहत मुकदमा दर्ज किया जाये। साथ ही उत्तराखंड की विधानसभा में 2000 से 2016 की बीच में हुई बैकडोर नियुक्तियों के मामले में भी नियुक्ति पाने और नियुक्ति करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जाये।

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

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