उत्तरकाशी: जिला पंचायत अध्यक्ष दीपक बिजल्वाण ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को ज्ञापन भेजा है। इसमें उन्होंने कहा है कि सड़कों के किनारे से अतिक्रमण हटाने के होईकोर्ट के आदेश का सभी सम्मान करते हैं। उन्होंने मांग की है कि प्रभावित परिवारों को भूमि आवंटित कर विस्थापित किया जाना चाहिए। सालों से रह रहे लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट तक खड़ा हो गया है। उसे बचाने के लिए वैधानिक उपाय भी खोजा जाना चाहिए, जिससे लोगों को राहत मिल सके।
जिला पंचायत अध्यक्ष दीपक बिजल्वाण ने यह भी कहा कि इस कार्रवाई से कई परिवार बेघर हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि जिले के चिन्यालीसौंड़ समेत अन्य क्षेत्रों में लोग परेशान हैं। जिनको अतिक्रमण कहा जा रहा है, उनमें से कई घर लीज और सरकारी आवंटन की जमीन पर बने हैं। ऐसे में कैसे इन सभी को अवैध माना जा सकता है।
बिजल्वाण ने कहा कि अतिक्रमण हटाने के नाम पर लोगों को उजाड़ा जा रहा है। उन्होंने सीएम धामी से लोगों की इस समस्या के समाधान के लिए उचित कदम उठाए जाने की मांग है, जिससे लोगों को मुश्किल से बाहर निकाला जा सके।
दीपक बिजल्वाण ने कहा कि माननीय उच्च न्यायालय ने प्रशासन को राष्ट्रीय एवं राज्य हाईवे के साथ नदियों एवं अन्य सड़कों के किनारे सरकारी एवं वन भूमि पर किए गए अतिक्रमण को हटाने के निर्देश दिए हैं जिसके पालन करने हेतु जनपद उत्तरकाशी में भी स्थानीय प्रशासन की टीम द्वारा अतिक्रमण हटाने के लिए चिन्हीकरण का कार्य किया जा रहा है।
इस फैसले के प्रति आम जनमानस में मिली जुली प्रतिक्रिया भले ही हो परंतु जो इस फैसले से विपरीत रूप से प्रभावित हुए हैं उनके वर्तमान एवं भविष्य के बारे में भी सोचना आवश्यक है।
लोग कई सालों से उस स्थानों पर रह रहे हैं और उन्हें ज्ञात भी न होगा कि वो जगह अतिक्रमण की है; चिन्हीकरण के दायरे में आने वाले कई आवास के मालिकों ने मकान किसी और से खरीदा है, उनका कहना है कि उस जगह को खरीदने के लिए बैंकों से ऋण तक लिया हुआ है, सरकार ने वहां रहने को बिजली पानी तक के कनेक्शन भी दिए हैं कोई कैसे अनुमान लगा सकता था कि जगह अतिक्रमण की है।
जो व्यापारी साथी इन जगहों पर अपना स्वरोजगार चलाते थे/हैं उन पर तो ये आदेश चौतरफा मार की तरह है एक व्यापारी को अपना व्यापार जमाने में अपना नाम बनाने में सालों लग जाते हैं और उन्हें इस फैसले से सब कुछ खत्म होता दिख रहा है।
कुछ व्यापारी तो अपना व्यापार इन जगहों पर 50-60 सालों से भी अपने व्यापार को चला रहे हैं तो कुछ ने स्वरोजगार संबंधित ऋण लेकर अपना प्रतिष्ठान का स्टार्टअप किया है….भारत एवं उत्तराखंड सरकार की स्टार्टअप बिजनेस की नीतियों पर भरोसा कर के बिजनेस शुरू करने वाले कई साथियों का कार्य भी खत्म होने की कगार पर है। इस प्रकार के क्रियाओं से अपने ही लोगों अपने राज्य के निवासियों को आर्थिक एवं मानसिक रूप से अस्थिर कर देना कदापि न्यायोचित नहीं प्रतीत होता है।
कोर्ट के कई मामलों में देखा जाता है कि सरकार अध्यादेश या विभिन्न कानून बना कर कोर्ट के आदेशों में परिवर्तन कर देती है मैं माननीय मुख्यमंत्री से आग्रह करता हूं कि अतिक्रमण से संबंधित माननीय उच्च न्यायालय के फैसले को लेकर अपने प्रदेश की जनता एवं व्यापारियों का मजबूत पक्ष न्यायालय के समक्ष रखें या आवश्यकता होने पर नीति संगत अध्यादेश ला कर जनता के हितों को सुरक्षित रखने के प्रति कार्य करें ।