Wednesday , 12 March 2025
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उत्तराखंड: मिनी स्विटजरलैंड की खूबसूरती बढ़ाएंगे ‘ईको-टूरिज्म जोन’, ये है प्लानिंग

  • मिनी स्विटजरलैंड चोपता वैली में तैयार होगा इको टूरिज्म जोन।

  • इको टूरिज्म बोर्ड को वन विभाग ने भेजा प्रस्ताव।

  • मुख्य सचिव के निर्देश के बाद विभाग ने की कवायद।

  • साढे तीन करोड की लागत से तैयार होगा टूरिज्म जोन।

रुद्रप्रयाग: मिनी स्विटजरलैंड के नाम से प्रसिद्ध रूद्रप्रयाग जिले की चोपता घाटी में इको टूरिज्म जोन तैयार होने जा रहा है। वन विभाग ने इसके लिए कवायद शुुरू कर दी है। विभाग ने इको टूरिज्म बोर्ड को साढे तीन करोड रूपये की लागत का प्रस्ताव भेजा है। बोर्ड से स्वीकृति मिलने के बाद विभाग अग्रिम कार्रवाई शुुरू कर देगा।

प्रभागीय वनाधिकारी (DFO) रुद्रप्रयाग अभिमन्यु ने बताया कि मुख्य सचिव ने सभी जिलों मेें इकोे टूरिज्म जोन तैयार करने के निर्देश दिए हैं। वन विभाग द्वारा किए गए सर्वे के आधार पर चोपता घाटी को जिले में इसके लिए सबसे उपयुक्त स्थान माना गया है। चोपता में देश-विदेश से पर्यटक हर साल पहुंचते हैं। यहां दुनिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर तुंगनाथ स्थित है जिसके दर्शनों को प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु यहां पहंुचते हैं।

इसके अलावा विंटर टूरिज्म के लिए भी हजारों पर्यटक हर साल यहां आते हैं। यहां पर व्यवस्थित टूरिज्म जोन विकसित होने से राज्य सरकार एवं स्थानीय जनता दोनों को लाभ होगा। विभाग ने लैंडस्केप आर्किटेक की मदद से साढ़े तीन करोड़ की लागत की डीपीआर इको टूरिज्म बोर्ड एवं शासन को भेज दी है। स्वीकृति मिलने पर फेज-1 का कार्य 2023-24 व फेज-2 का कार्य 2024-25 में किया जाएगा।

500 हैक्टेयर में तैयार होगा जोन

चोपता इको-टूरिज्म जोन कुल 500.00 है। क्षेत्रफल में तैयार होगा। जिसमें एनएच-107ए के आस-पास के रागसी, मक्कू और उषाडा आरक्षित वन के क्षेत्र को सम्मलित किया जाएगा। इसका मुख्य आकर्षण इको पार्क, ट्री हाउस, बर्ड-इण्टरप्रेटेशन सेंटर और कल्चरल व हेरिटेज सेंटर होंगे। इको-टूरिज्म विकास के समस्त कार्यों को इको-फ्रेंडली तरीके से प्रकृति को अनावश्यक छेड़छाड किए बिना तैयार किया जाएगा। एनएच-107-A के आस-पास फोटो प्वाइंट, साइनेज एवं एन्टेंªस प्लाजा और जानवरों के थ्री डी माॅडल भी स्थापित किए जाएंगे।

उषाडा वन पंचायत के आरक्षित वन क्षेत्र में इको-पार्क विकसित किया जाएगा। इसमें इको-टेल, ट्री हाउस, एडवेंचर गतिविधियाँ व कैनोपी ब्रिज, फोटो प्वाइंट, साइनेजेज आदि विकसित किए जाएंगे जिससे पर्यटकों को प्रकृति के बीच सुखद समय व्यतीत करने का मौका मिले। बर्ड-इंटरप्रेटेशन सेंटर में क्षेत्र के स्थानीय पक्षियों के माॅडल व उनके संबंध में जानकारी तथा साथ ही दुर्लभ वन्यजीव व पक्षियों का विवरण व रोचक जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी। यहाँ बर्ड वाचिंग हेतु आये सैलानियों को बर्ड गाइड, दूरबीन, बर्ड बुक व पक्षियों से संबंधित सोवेनियर/मरकेन्डाइज की सेवाएं भी उपलब्ध कराई जाएंगी।

स्थानीय लोग करेंगे संचालन

तैयार होने जा रहे इको-टूरिज्म जोन का संचालन के संचालन में स्थानीय लोगों एवं वन पंचायत की अहम भूमिका होगी। इनकी मदद से ही कैम्पिंग साइट का संचालन, पार्किंग, एडवेंचर स्पोर्ट का संचालन, ट्रेकिंग, बर्ड वाचिंग गाइड, अपशिष्ट कूडा प्रबंधन आदि कार्य वन विभाग की देखरेख में किए जाएंगे।

 काम होंगे ये

इको-टूरिज्म जोन में पर्यावरण संरक्षण एवं सुधार कार्य हेतु बुग्यालों को जियो जूट विधि से उपचार, जल एवं मृदा संरक्षण कार्य एवं सुरक्षा व संचालन हेतु इन्टेंन्स प्लाजा, चेकपोस्ट का निर्माण व अपशिष्ट प्रबंधन हेतु उचित व्यवस्था की जाएगी। स्थानीय लोगों व पर्यटकों की सुविधा के लिए बायो-टाॅयलेट, फूड कैफे, टूरिस्ट इन्फाॅरमेशन बूथ, सोवेनियर शाॅप भी विकसित किए जाएंगे।

वहीं, औषधीय एवं सगंध पादपों के संरक्षण हेतु हर्बल गार्डन की भी स्थापना की जाएगी। कल्चर एंड हेरिटेज सेंटर में पारंपरिक वेशभूषा, पुरातन औजार, क्षेत्र के हस्तकृति की झलक के साथ-साथ स्थानीय लोक कथा, धार्मिंक आस्था व आध्यात्मिक महत्व की जानकारी मिलेगी। कैम्प साइट हेतु चयनित क्षेत्र में ही परमिट के आधार पर स्थानीय ग्रामीणों को सर्शत अनुमति दी जाएगी।

 DFO अभिमन्यु ने बताया कि जिले में टूरिज्म जोन की तर्ज पर चोपता घाटी के साथ ही चिरबटिया एवं कार्तिक स्वामी घिमतोली सर्किट को भी विकसित किया जाएगा। तीनों ही स्थान पर्यटन के लिहाज से बेहद क्षमता रखते हैं।

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

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