Tuesday , 11 February 2025
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दून-टू-इसोटी और इसोटी-टू-दून : इनके लिए गांव ही सबकुछ है…

पहले दून-टू-इसोटी के बारे में बताते हैं फिर आगे की कहानी समझाएंगे। दून का मतलब सभी समझते हैं। इसोटी पौड़ी जिले का एक गांव है। दून-टू-इसोटी ना तो किसी बस सेवा का नाम है और ना किसी टैक्सी सर्विस का। यह कहानी उस इंसान से जुड़ी है, जिसके लिए अपना गांव ही सबसे जरूरी है। केवल अपना गांव ही नहीं। बल्कि पूरा पहाड़ ही पहली प्राथमिकता है। जिनका चिंतन शुरू और समाप्त इस बात पर होता है कि कैसे पहाड़ के लोगों को समृद्ध किया जा सके। वह नाम है समाजसेवी कवींद्र इष्टवाल का।

सबसे पहले दून-टू-इसोटी के बारे में बताते हैं। कवींद्र इष्टवाल समाजसेवा में जुटे रहते हैं। लेकिन, समाज सेवा तभी हो पाएगी, जब आप खुद से सक्षम होंगे। लोगों का जीवन कैसे बेहतर किया जा सकता है? कैसे उनकी मदद की जा सकती है? कवींद्र इष्टवाल बस इसी चिंता में डूबे रहते हैं। देहरादून आने के बाद फिर अपने गांव इसोटी और क्षेत्र के लोगों से मिलने पहुंच जाते हैं। उनका सफर बस ऐसे ही चलता रहता है। दून-टू-इसोटी और इसोटी-टू-दून।

कवींद्र इष्टवाल हर सुख-दुख में लोगों के साथ खड़े नजर आते हैं। अपनी खुशियों में लोगों को शामिल करते हैं। ऐसा ही एक वाकया हाल का ही है। उनके छोटे भाई की शादी का मौका था। शादी दिसंबर माह में देहरादू में हो चुकी थी। लेकिन, कवींद्र इष्टवाल इस बात से चिंतित थे कि उनके गांव और क्षेत्र के लोग नहीं पहुंच पाए।

उन्होंने तय किया कि अपनी इस खुशी को अपने गांव और अपने पहाड़ के लोगों के साथ भी साझा करेंगे। पांच जनवरी को उन्होंने अपने गांव में गांव और क्षेत्र के लोगों के लिए सहभोज का आयोजन किया। सांस्कृति कार्यक्रमों का आयोजन भी किया। उनका कहना है कि उनको तब तक पूरी तरह से संतोष नहीं मिलता, जब तक वो अपने लोगों के बीच में ना पहुंच जाएं। अपनी खुशी उनके साथ साझा ना कर लें। यही बात उनको सबसे अलग बनाती है।

इसोटी से दूहरादून आने से पहले वो यह प्लान बना लेते हैं कि फिर इसोटी किसी दिन आना है। कई बार देहरादून पहुंचने के तुरंत बाद ही अपने गांव की ओर लौट जाते हैं। कवींद्र इष्टवाल समाजसेवी के साथ ही राजनीतिक कार्यकर्ता भी हैं। दो बार विधानसभा का चुनाव भी लड़ चुके हैं, हालांकि उनको इसमें अपेक्षित परिणाम नहीं मिल पाए।

उनका कहना है कि सत्ता के पास ही गांवों की सभी समस्याओं का हल है। अगर सत्ता में होते तो, क्षेत्र की बड़ी समस्याओं का भी समाधान निकाल पाते। कई समस्याएं ऐसी होती हैं, जिनका रास्ता सत्ता के गलियारों से ही होकर निकलता है। उनका राजनीति में आने का एक मात्र उद्देश्य यही है कि अपने क्षेत्र की उन समस्याओं का समाधान किया जा सके, जो सालों से अब भी जस की तस खड़ी हैं। कोई उनकी सुध लेने वाला नहीं है। इन्हीं समस्याओं के लिए उनका सफर दून-टू-इसोटी और इसोटी-टू-दून के बीच बस चलता ही रहता है।

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

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