- प्रदीप रावत ‘रवांल्टा’
बॉबी पंवार। उम्र भले ही अभी कम हो, लेकिन राजनीतिक परिपक्वता बड़े-बड़े नेताओं से कम बिल्कुल भी नहीं है। उनकी सोच भी पूरी तरह से साफ है। लक्ष्य तय है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ जो युद्ध शुरू किया है, उस लड़ाई को और मजबूत करेंगे। लेकिन, एक सवाल है, जो जौनसार-बावर क्षेत्र में राजनीति करने वालों को परेशान कर रहा है। चितां केवल आज की नहीं, 2027 की भी है। यह चिंता कितनी जायज है, यह हम आपको बताएंगे।
दरलअसल, बॉबी पंवार बेरोजगारों के नेता के तौर पर बड़ी पहचान रखते हैं। उनमें भविष्य का नेता बनने की काबलियत भी नजर आती है। बॉबी अपनी बात को हमेशा ही बेबाकी और मजबूती से रखते हैं। यही बेबाकी बॉबी को औरों से अलग करती है। बॉबी केवल जौनसार-बावर के नेता नहीं । बॉबी पंवार की पहचान पूरे उत्तराखंड में हैं। खास बात यह है कि उनको भाजपा-कांग्रेस दोनों ही राजनीतिक दलों के युवा कार्यकर्ता पसंद करते हैं।
बॉबी पंवार लोकसभा चुनाव में ताल ठोक रहे हैं। टिहरी सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में हैं। राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा है कि बॉबी पंवार को कांग्रेस ने मैदान में क्यों नहीं उतारा? क्या बॉबी ऐसा नहीं चाहते थे? असल में बॉबी पंवार ऐसा चाहते थे। हालांकि, उन्होंने कभी खुलकर नहीं कहा, लेकिन इशारों-इशारों में इस बात को कह चुके हैं।
कांग्रेस के लोकसभा प्रत्याशियों के नामों के दौरान कांग्रेस आलाकमान तक भी बॉबी का नाम गया था। लेकिन, आगे नहीं बढ़ पाया। खबरें हैं कि कांग्रेस नेता प्रीतम सिंह नहीं चाहते थे कि टिहरी लोकसभा सीट पर किसी और को मौका मिले। इसके पीछे का गणित यह है कि प्रीतम सिंह नहीं चाहते कि कोई जौनसार में उनके मुकाबले में खड़ा हो। इस बात की चर्चाएं इन दिनों सोशल मीडिया में खूब हो रही हैं।
राजनीति ऐसी ही होती है। लोगों का तो यहां तक कहना है कि प्रीतम सिंह भविष्य में अपने बेटे को सियासी मैदान में उतारना चाहते हैं। उनको डर है कि बॉबी पंवार अगर मजबूत होंगे, तो इसका नुकसान उनको उठाना पड़ सकता है। भविष्य की सही सियासत बॉबी के लिए रोड़ा बनती नजर आई। हालांकि, प्रीतम सिंह ने इस पर कोई बयान नहीं दिया। लेकिन, सोशल मीडिया में इस पर खबू बहस छिड़ी हुई है।
बॉबी पंवार जिस तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। उनकी लोकप्रियता बढ़ रही है। लोगों के बीच उनको लेकर जो सकारात्मकता है। भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी लड़ाई को लेकर लोगों का जिस तरह से उनको साथ मिला है और मिल रहा है, उससे एक बात साफ है कि सियासी पिच पर वो लंबी पारी खेलने की तैयारी में हैं और भविष्य में किसी एक क्षेत्र नहीं, बल्कि पूरे उत्तराखंड में एक मजबूत नेता के तौर पर स्थापित होने की और बढ़ रहे हैं।
इससे केवल प्रीतम सिंह को ही नहीं, बल्कि कई दूसरे नेताओं को भी चिंता सत्ता रही होगी। जिस क्षेत्र से बॉबी पंवार आते हैं, वहां से मुन्ना सिंह चौहान समेत कई दूसरे नेता भी आते हैं, जो इन दिनों राजनीति में बॉबी की दस्तक से घबराए हुए हैं। इसके लिए इंतजार करना होगा कि बॉबी राजनीति में टेस्ट मैच वाली लंबी पारी खेलते हैं या फिर वन-डे और टी-20 वाला गेम हैं।