Thursday , 17 October 2024
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क्राइम डेस्क : अंडरवर्ल्ड डॉन उत्तराखंड की इस जेल में बना बाबा, भगवा पहना, नाम भी बदला!

हल्द्वानी : आपने बाबा के रूप में कई बपराधियों को देखा होगा। बदमाशों के संन्यासी बनने की कहानियां भी सुनी होंगी। ऐसी ही एक कहानी उत्तराखंड से भी जुड़ी है। लेकिन, यह केवल काल्पनिक कहानी नहीं। बल्कि, एकदम सच्ची घटना है। एक बदमाशा जेल में ही संन्यासी बन गई। यह कोई छोटा-मोटा बदमाश नहीं। बल्कि, उम्रकैद की सजा काट रहा अंडरवर्ल्ड डॉन है।

अल्मोड़ा जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे कुख्यात डॉन प्रकाश पांडेय दो दिन पहले हल्द्वानी के काठगोदाम में अपने घर आया था। वो यहां अपने पिता की तेरहवीं में शामिल होने पहुंचा था। पीपी पांडे या प्रकाश पांडे, जो अब संन्यास के बाद प्रकाश नाथ बन चुका है।

सात घंटे की पैरोल पर जब कुख्यात डॉन पीपी पांडे कड़ी सुरक्षा के बीच अपने घर पहुंचा, तो उसे देखकर वो लोग हैरान रह गए, जो उसको पहले देख चुके थे। लोगों ने जिस डॉन पीपी पांडे को देखा था, वो अब पूरी तरह से बदल चुका था। कुर्ता-पजामा और पैंट टी-शर्ट पहनने वाला पीपी पांडे इस बार भगवा धारण कर अपनी घर पहुंचा।

17 मार्च को पीपी ने अल्मोड़ा जेल प्रशासन को पत्र लिखकर संन्यासी बनने व मंदिर में पूजा-पाठ करने की अनुमति मांगी थी, लेकिन जेल प्रशासन ने जेल के बाहर पूजा पाठ की अनुमति नहीं दी। काठमांडू के नाथ संप्रदाय के आचार्य दंडीनाथ महाराज ने दावा किया है कि 28 मार्च को उन्होंने अल्मोड़ा जेल के अंदर जेल प्रशासन की निगरानी में पीपी को संन्यास की दीक्षा दिलाई। जिसके बाद प्रकाश पांडे उर्फ पीपी नए नाम के साथ योगी प्रकाश नाथ बन गया।

मुंबई में ब्लास्ट का जिम्मेदार दाउद और छोटा राजन अलग हो गए थे। इसी दौरान प्रकाश पांडे की मुलाकात छोटा राजन से हुई। इसके बाद प्रकाश पांडेय ने दाउद को मारने की ठान ली थी। 2010 में पीपी वियतनाम से गिरफ्तार हो गया था। तब से वो कई जेलों में रह चुका है। उसे बाद में सितारगंज और पौड़ी में रखा गया। लेकिन, फिर सुरक्षा कारणों से पीपी पांडे को अल्मोड़ा शिफ्ट कर दिया गया।

प्रकाश पांडे रानीखेत में स्थित खनौइया गांव का मूल निवासी है। उसके पिता पिता फौजी थे,और मां गृहिणी। मां के निधन के बाद पिता ने दूसरी शादी कर ली। सौतेली मां की वजह से प्रकाश और उसके पिता लक्ष्मी दत्त पांडे के बीच अनबन रहने लगी। जिसका गुस्सा वह स्कूल में निकालने लगा। एक बार उसने अपने स्कूल के दो सीनियरों को बेरहमी से पीट दिया। जिसके बाद वह कुछ शातिर किस्म के छात्रों के संपर्क में आ गया। दुस्साहस बढ़ा तो कुछ समय बाद उसने कुछ बदमाश किस्म के लोगों के साथ मिलकर अपनी गैंग बना ली।

मुंबई पहुंचने के दौरान देश बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद फैली सांप्रदायिक हिंसा की आग में जल रहा था। इसी दौरान हुए मुंबई ब्लास्ट को लेकर लोगों में रोष था। ब्लास्ट का जिम्मेदार दाउद को बताया गया। यही वह दौर था जब छोटा राजन ने दाऊद इब्राहिम से अलग होकर अपना अलग गैंग बना ली। छोटा राजन को अपनी गैंग के लिए कुछ दुस्साहसी शूटरों की जरूरत थी। ऐसे में एक दिन मुंबई के सेंट्रल रेलवे स्टेशन पर प्रकाश की मुलाकात छोटा राजन गैंग के गैंगस्टर पुनीत तानाशाह और विक्की मल्होत्रा से हुई।

पुनीत और विक्की ने प्रकाश की मुलाकात छोटा राजन से करवाई थी। छोटा राजन गैंग में भर्ती करने से पहले सामने वाले का दुस्सहास और भरोसा परखता था। प्रकाश पांडे में कितना दमखम है, देखने के लिए उसने एक कॉन्ट्रेक्ट किलिंग का ठेका दिया। ये कांट्रैक्ट छोटे मोटे आदमी को मारने का नही था बल्कि राजनीति के दिग्गज एक नेता की हत्या का था। प्रकाश पांडे को तो मुंबई का डॉन बनना था सो उसने उस नेता के सुरक्षा घेरे को तोड़कर उसके माथे के बीचोबीच 9 एमएम की पिस्टल से गोली मार दी।

दिन दहाड़े हुई इस हत्या से महाराष्ट्र सरकार भी हिल गयी। उधर छोटा राजन प्रकाश का दुस्साहस देखकर उसे अपने गैंग में शामिल कर लिया। उसे ऐसे शूटरों की ज़रूरत थी। जल्द ही प्रकाश पांडे छोटा राजन के गैंग में उसका सबसे करीबी बन गया। इस बीच गैंग की सहाल पर प्रकाश पांडे ने अपना नाम बदलकर बंटी पांडे रख लिया। जिसे अविभाजित प्रदेश में लोग प्रकाश पांडे उर्फ पीपी पुकार रहे थे वो मुंबई में अब बंटी पांडे नाम से कुख्यात हो चुका था।

मुंबई का बम धमाकों से दहलाने के बाद दाऊद इब्राहिम धंध छोटा शकील सौंपकर पाकिस्तान में जा छुपा। जिसके बाद छोटा राजन बंटी पांडे, विक्की मल्होत्रा और पुनीत तानाशाह ने दाऊद क हत्या की प्लानिंग बनाई। 1998 में बंटी पुनीत और विक्की किसी तरह पाकिस्तान पहुंचे, जहां छोटा राजन के गुर्गों ने उन्हें हथियार उपलब्ध करवाए और इनपुट दिया कि दाऊद के घर से कुछ दूरी पर स्थत एक मस्जिद में नमाज पढ़ने जाता है। ये जानकारी मिलने के बाद तीनों ने सऊदी सिटीजन का भेष धरा और मस्जिद के आसपास घात लगाकर बैठ गए। लेकिन दाऊद छोटा राजन के साथ काम कर चुका था और उसे उसकी हरकतों के बारे में पता था, इसीलिए हत्या के प्लानिंग की भनक दाऊद को लग गयी और वो मस्जिद गया ही नहीं।

 

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

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