देहरादून : उत्तराखंड पुलिस के डीजीपी अनिल कुमार रतिदी ने कहा कि मेरी सेवानिवृति के अवसर पर आपके द्वारा विशेष परेड हुई है। आप के द्वारा यह भव्य और शानदार परेड देखकर जिस प्रकार से आपने मार्च किया, जो आपका टर्न आउट है, जो आपका जोश है। जो आपका भाव है उससे मैं अभिभूत हूं। मैं आपके द्वारा इस शानदार परेड के जरिये जो आपका भाव है उससे अभिभूत हूं और मै आपके द्वारा इस शानदार परेड़ के जरिये जो इस वर्दी में सम्मान दिया जाता है उसके सामने अपने आप को बहुत छोटा महसूस कर रहा हूं। मैं इस परेड में सभी प्रतिभागियों को धन्यवाद तथा शुभकामनाएं देना चाहता हूं। आज के इस शानदार आयोजन के लिए इस भव्य आयोजन के पीछे समस्त टीम को भी धन्यवाद देना चाहता हूं। जिन्होंने इतने स्नेह से इसको तैयार किया।
इस अवसर पर एक लम्बी सेवा अन्तराल के पश्चात विभिन्न जगहों में काम करने के बाद आज मैं केवल यहीं कह सकता हूं कि जो भी हम कर पाये वो एक टीम के आधार पर कर पाये। कोई भी व्यक्ति बहुत छोटा होता है, उसको एक स्थान ही कोई बडा दिया जा सकता है लेकिन व्यक्ति के पास Generally कोई सुपर ह्युमन की Qualities नहीं होती, जब तक वह टीम के साथ एक होकर मिलकर लक्ष्य की ओर काम नहीं करेगी तब तक कोई काम नहीं हो सकता। आज इस अवसर पर मैं विशेष तौर से जब से मैं ओएसडी उत्तराखण्ड आया अगस्त 2000 से और आज 30 नवम्बर 2020 को सौभाग्य से मैं पुलिस महानिदेशक के पद से सेवानिवृत हो रहा हूं। उस पद पर रहते हुए मुझे खासतौर से उत्तराखण्ड पुलिस को बहुत नजदीकी से देखने का अवसर मिला।
मैं यह कह सकता हूं कि हमारे खासतौर के जो सिपाही है वो देश के बहुत ही विवेकशील, अनुशासित, कर्मठ सिपाहियों में गिने जायेंगे। उनके पसीने के बलबूते पर आज हम उत्तराखण्ड पुलिस को यहां तक ले आये और हमारे सब इन्सपेक्टर हमारे इन्सपेक्टर बहुत शालीन, बहुत सभ्य, बहुत मानवीय बहुत प्रोफेश्नल है । ये एक बहुत बड़ा नया Chapter हम लोगों ने इस प्रान्त में पिछले 20 वर्ष में हम सबने मिलकर इस ओर कार्य किया है और मुझे खुशी है कि आज हम देश की सभ्य पुलिसों में, मानवीय पुलिसों में हमारी गिनती होती है। ये सब आप सब की हमारे सिपाहियों की विशेष तौर से जो अल्प वेतन के बावजूद इतनी कठिन चित व्रग्य तलवार की ढाल पर चलने वाली चुनौतीपूर्ण नौकरी क रहे है।
जहां कभी –कभी अपनी जान को भी जोखिम में डालना होता है। मैं आप सबको बहुत बहुत धन्यवाद देना चाहता हूं। जिस प्रकार से विशेषतौर से आपने एक कोविड के जो विश्वव्यापी एक नायाब किस्म की चुनौती विगत कुछ माह विशेषतौर से मार्च के आखिरी सप्ताह के हमारे देश में लॉकडाउन हुआ। विश्वव्यापी ये एक अभूतपूर्ण किस्म की चुनौती जिसके बारे में किसी को कोई समझ तक नहीं थी क्या किया जाये। ऐसी परिस्थिति मे हमारे समस्त अधिकारी/ कर्मचारियों ने जिस प्रकार से सामने आकर वर्दी के शौर्य को डर से आगे रखा, निडर होकर जनसेवा में अपनी जान को भी जोखिम में डाला। लॉकडाउन का Implement किया। देश के सबसे Efficient लॉकडाउन में उत्तराखण्ड का नाम भारत सरकार ने भी माना। मैने जिन-जिन जगहों पर कार्य किया है. मैं उन सभी का धन्यवाद करना चाहता हूं, साथ ही मैं शासन के समस्त अधिकारियों, जिनके साथ मुझे काम करने का अवसर प्राप्त हुआ सभी का धन्यवाद करना चाहता हूं।
राज्य के 11वे डीजीपी का कार्यभार संभालने से पहले अशोक कुमार खा कि 24 Aug 1987 को उन्होंने भारतीय पुलिस सेवा कदम रखा। अपनी स्कूलिंग Convent of Jesus & Marym, Hampton Court, St, George College Mussoorie, M.A.(Honours) English Literature University of Delhi से किया है। उन्होने अपने कार्यकाल में ASP Barely, SP City Lucknow, SP Pilibhit, SP Raibareilly, SSP Azamgarh, Itava, Meerut, AD(OD) NPA, राज्य गठन के उपरान्त सबसे पहले OSD के पद पर आगमन किया DIG, IG, ADG, अभिसूचना सुरक्षा, ADG Admin, ADG L/O, ADG CID, PROSECUTION, Dir Viglence, CBCID तथा 24 JULY 2017 को डीजीपा का पदभार ग्रहण किया।
उन्हे Director NPA’s Coomendation Disc- 1997, Police medal for long & meritorious service 2003, President police medal for distinguished service 2011 से अलंकृत किया गया। उत्तराखण्ड पुलिस की स्थापना एवं विकास में महत्वपूर्ण भुमिका रही। उत्तराखण्ड पुलिस की 20 साल की विकास यात्रा के साक्षी रहे। उनका नाम उत्तराखण्ड पुलिस के इतिहास में हमेशा स्वर्णिम अक्षरों मे लिखा जायेगा। वे force के महान Leader थे। अधिकारियों की कार्यक्षमता को पहचानते थे। जहाँ एक ओर उन्होने उत्तराखण्ड पुलिस को professional Policing में दक्ष बनाया। वहीं, दूसरी ओर उनके लिए कहीं कल्याणकारी कदम भी उठाये।
उनके नेतृत्व में उत्तराखण्ड पुलिस के कही महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल की कहीं नए एप्प लोंच किए गए HPV, ADTF, Operation Mukti, e सुरक्षा चक्र, पहली बार देश के 15000 से अधिक थानों में उत्तराखण्ड पुलिस के 03 थाने देश के Top 10 में उत्कृष्ठ रहे। चतुर्थ श्रेणी से पुलिस उपाधीक्षक स्तर के अधिकारी व कर्मचारी की अधिवर्षता आयु पूर्ण होने पर प्रशस्ति पत्र दिये जाने की व्यवस्था की गयी। जहा तक मैं महोदय व्यक्तिगत रुप से जानता हूं उनका अधीनस्थों को पूर्ण सम्मान देना तथा उनके द्वारा किये जा रहे अच्छे कि सराहनाव उत्साहवर्द्धन व सदैव पुलिस बल का मनोबल उच्च रखने हेतु निरन्तर प्रयासरत रहे। अपने सहयोगी अधिकारियों के साथ सहानुभूति व विवाद रहित सम्बन्ध रहा प्रत्येक अधिकारी व कर्मचारियों को जो भी कार्य दिया गये उसके साथ उनको पूर्ण स्वतन्त्रा के साथ कार्य करने का अवसर दिया गया तथा समय समय पर अधिकारियों का प्रोत्साहन थी करते रहे। हमेशा posting /training मे स्थाकयत्व को महत्व दिया ।
उनके डीजीपी के कार्यकाल में उनके 2I/C के रुप में मैने उनसे बहुत कुछ सीखा है। मै प्रयास करुंगा की उनके सभी कार्यों को ओर आगे बढाऊं, मेरा यह भी परियास रहेगा हम सब मिलकर उनके पद चिन्हों पर चल कर उत्तराखण्ड पुलिस को नयी ऊंचाई पर ले जायेंगे। DGP महोदय द्वारा पुलिस मुख्यालय में तैनात हेड का. नागरिक पुलिस विनोद प्रकाश डबराल को सराहनीय एवं उत्कृष्ट सेवा हेतु तथा 40 वीं वाहिनी पीएसी हरिद्वार में तैनात हेड का. सुषमा रानी को मानवाधिकार वाद विवाद प्रतियोगिता में राज्य में प्रथम स्थान तथा राष्ट्रीय स्तर पर द्वितीय स्थान प्राप्त करने पर स्मृति चिन्ह भेंट किया गया।