केंद्र सरकार ने UPSC में लेटरल एंट्री के विज्ञापन पर रोक लगा दी है। इस मामले को लेकर कार्मिक मंत्री ने यूपीएससी चेयरमैन को पत्र लिखा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर सीधी भर्ती के विज्ञापन पर रोक लगा दी गई है। केंद्रीय कार्मिक मंत्री जितेंद्र सिंह ने UPSC के अध्यक्ष को चिट्ठी लिखी है। मंत्री ने UPSC की तरफ से सीधी भर्ती (लेटरल एंट्री) से जुड़े विज्ञापन को रद्द करने के लिए कहा है।
जितेंद्र सिंह ने चिट्ठी में कहा है कि सैद्धांतिक तौर पर सीधी भर्ती की अवधारणा का समर्थन 2005 में गठित प्रशासनिक सुधार आयोग की तरफ से किया गया था, जिसकी अध्यक्षता वीरप्पा मोइली की तरफ से की गई थी। हालांकि, लेटरल एंट्री को लेकर कई हाई-प्रोफाइल मामले सामने आए हैं।
UPSC अध्यक्ष को लिखा पत्र
1. ”2005 में वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता में बने दूसरे प्रशासनिक सुधार आयोग ने लेटरल एंट्री का सैद्धांतिक अनुमोदन किया था। 2013 में छठे वेतन आयोग की सिफारिशें भी इसी दिशा में थीं। हालांकि, इससे पहले और इसके बाद लेटरल एंट्री के कई हाई प्रोफाइल मामले रहे हैं।”
2. ”पूर्ववर्ती सरकारों में विभिन्न मंत्रालयों के सचिवों, UIDAI के नेतृत्व जैसे अहम पदों पर आरक्षण की नियुक्ति के बिना लेटरली एंट्री वालों को मौके दिए जाते रहे हैं।”