Friday , 22 November 2024
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EXCLUSIVE : मंत्री ने तो हद कर दी, कृषि कानूनों का समर्थन कराने दिव्यांग को उठा ले गए दिल्ली…VIDEO

किसान 22 दिनों से लगातार कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं। उनकी एक मात्र मांग कृषि कानूनों को रद्द करने की है। केंद्र सरकार ने कान बंद कर लिए और आंखें भी मूंद लीं। किसानों के आंदोलन को दबाने और कुचलने के लिए हर संभव हथकंडे अपनाए जा रहे हैं। देशभर के राज्यों में कृषि बिलों में समर्थन में किसान रैलियां आयोजित की जा रही हैं। हालांकि ये बात अलग है कि किसानों के नाम पर खनन में लगे ट्रेकटरों को जुटा कर यह दिखाने का प्रयास हो रहा है कि किसान सरकार के साथ हैं। लेकिन, सरकार के इन हथकंडों की अब पोल खुलने लगी है।

मंत्री अरविंद पांडे के कारनामों की पोल खुल रही है

उत्तराखंड में भी कुछ ऐसा ही हो रहा है। राज्य की भाजपा सरकार के मंत्री अरविंद पांडे ने खुद को चार कदम आगे साबित करने का प्रयास किया। वो कुछ किसानों को दिल्ली में कृषि मंत्री के सामने लेजाने में कामयाब रहे। वहां किसानों को इस तरह पेश किया गया कि वो कृषि कानूनों के पक्ष में हैं। लेकिन, अब मंत्री अरविंद पांडे के कारनामों की पोल खुल रही है।

किसानों के सामने पूरी सच्चाई रखी

दिनेशपुर के गुरुद्वारा माता साहिब कौर में हुए एक कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री अरविंद पांडे के साथ दिल्ली के किसानों ने क्षेत्रवासियों और किसानों के सामने पूरी सच्चाई रखी। उन्होंने अरविंद पांडे के कारनामें की पोल खोलकर रख दी। गदरपुर के हरलोक सिंह नामधारी ने बताया कि कैबिनेट मंत्री अरविंद पांडे के साथ वह लोग दिल्ली गए थे।

किसान आंदोलन के समर्थन में गए थे

उन्होंने कहा कि वो किसान आंदोलन के समर्थन में गए थे, लेकिन कैबिनेट मंत्री ने जब उनको कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर पेश किया तो उन्होंने किसानों को सम्मान के साथ उनकी बातें मानने के बाद आंदोलन से उठाने की बात कही थी। उन्होंने यह कभी नहीं कहा था कि वो कृषि कानूनों के पक्ष में हैं। लेकिन, गोदी मीडिया ने पूरी बात दिखाने के बजाय पूरे मामले को ही पटलकर रख दिया।

दिव्यागों का भी अपमान किया

और तो और शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने दिव्यागों का भी अपमान किया। लोगों का आरोप है कि मंत्री बहलर-फुसलाकर एक दिव्यांग को भी अपने साथ ले गए। वो ना बोल सकते हैं और सुन सकते हैं। कुछ ऐसे भी लोग थे, जो पगड़ी नहीं पहनते थे। उनको भी जबरन पगड़ी पहनाई गई। सवाल यह है कि आखिर सरकार और उनके मंत्री क्या साबित करना चाहते हैं।

http://किसानों के साथ उत्तराखंड के मंत्री ने की ठगी, जानें कैसे…? >> https://pahadsmachar.blogspot.com/2020/12/Uttarakhand-minister-cheated-with-farmers-know-how.html

MSP पर कानून बनाने में क्या दिक्कत

सरकार को अपनी गलती मान लेनी चाहिए और कृषि कानूनों को वापस ले लेना चाहिए। सरकार के कानून अगर गलत नहीं हैं, तो एमएसपी पर कानून बनाने में क्या दिक्कत है। क्यों नहीं सरकार इस पर कानून बनाने के लिए तैयार है। सरकार को दावा है कि मंडियों को समाप्त नहीं किया जा रहा है। अगर यह सही है तो इसके लिए सरकार कानून क्यांें नहीं लाना चाहती। कुल मिलाकर कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के जरिए सरकार बड़ी-बड़ी कंपनियों को लाभ पहुंचना चाहती है। चुनावी फंड के बदले किसानों को ही दांव पर लगा दिया।  

-प्रदीप रावत (रवांल्टा)

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

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