देहरादून : देहरादून DM सविनय बंसल लगातार एक्शन में नजर आ रहे हैं। एक के बाद कार्रवाई के बाद मातहत अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है। एक ही दिन में उन्होंने एक पंचायत अधिकारी के खिलाफ FIR दर्ज कराई, तो वहीं ऋषिकेश के सरकारी अस्पताल के सीएमएस और डॉक्टरों के खिलाफ बड़ा एक्शन लिया है।
DM ने 4 अक्टूबर को स्मृता परमार, उप जिलाधिकारी ऋषिकेश और डॉ. संजय जैन, मुख्य चिकित्साधिकारी देहरादून की उपस्थिति में एसपीएस राजकीय चिकित्सालय ऋषिकेश का निरीक्षण किया गया।निरीक्षण के दौरान 8 डॉक्टर, 2 नर्सिंग स्टाफ, 10 आउट सोर्स कर्मी और 2 डाटा एन्ट्री ऑपरेटर अनाधिकृत रूप से अनुपस्थित पाये गये।
चिकित्सालय की कुल 165 बेडों की क्षमता के सापेक्ष चिकित्सालय में मात्र 74 मरीज ही भर्ती पाये गये। चिकित्सालय स्थित शौचालयों एवं वार्डों में में सफाई व्यवस्था न्यून स्तर की पाई गई। Intensive Care Unit (ICU) को जाने वाले गेट पर ताला लगा पाया गया। जिसके बारे में उपस्थित स्टाफ ने कोई कारण स्पष्ट नहीं किया।
अस्पताल द्वारा उपलब्ध कराये गये सितम्बर माह के सर्जरी विवरण के अवलोकन में पाया गया कि माह में कुल नेत्र सर्जरी शून्य, जर्नल सर्जरी में औसतन दो दिन में एक सर्जरी व आर्थो विभाग में औसतन तीन दिन में एक सर्जरी की जा रही है, जो कि न्यून है।
उपस्थिति पंजिकाओं का अवलोकन करने पर पाया गया कि मुख्य चिकित्सा अधीक्षक द्वारा पंजिकाओं का पर्यवेक्षण नहीं किया जा रहा है एवं न ही पंजिका पर कोई अभियुक्ति दर्ज की गयी है।
एसपीएस राजकीय चिकित्सालय ऋषिकेश, सम्पूर्ण गढवाल क्षेत्र के निवासियों को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने हेतु मुख्य बिन्दु है। चारधाम यात्रा एवं सम्पूर्ण पर्वतीय क्षेत्रों में दैवीय आपदा एवं पब्लिक हेल्थ रिस्क के दृष्टिगत Tertiary Treatment care एवं Surge management एवं उच्च कोटि की स्वास्थय सेवायें उपलब्ध करान हेतु केन्द्र बिन्दु है।
वर्तमान में राज्य में चारधाम यात्रा गतिमान है एवं दैवीय आपदा सीजन भी समाप्त नही हुआ है। निरीक्षण के दौरान मुख्य चिकित्सा अधीक्षक एस०पी०एस० राजकीय चिकित्सालय ऋषिकेश की कार्यशैली उदासीन, असंवेदनशील एवं निष्प्रभावी पायी गयी।
मुख्य सचिव, उत्तराखण्ड शासन द्वारा जिलाधिकारियों को प्रदत्त अधिकार सम्बन्धी जारी शासनादेश संख्या 1194/तीस-1/2016-12 (6) 16, दिनांक 06 जुलाई, 2016 के पैरा-2 में स्पष्ट है कि, “आपात स्थितियों के दौरान जिलाधिकारी को पूर्ण रूप से विभागाध्यक्ष के अधिकार प्राप्त रहेंगे।
इसी क्रम में मुख्य सचिव, उत्तराखण्ड शासन द्वारा जारी शासनादेश सं० 267/ सु०भ्र० उ० ज० से०वि० / 2012/02 (11) 2012, 11 सितम्बर, 2012 के पैरा-2 (ख) के द्वारा जिलाधिकारी को जनपदीय विभागों के अनुश्रवण एवं प्रभावी
नियंत्रण एवं पैरा 3 (IV) में वार्षिक गोपनीय प्रविष्टि के अंकन हेतु विशेष शक्तियां प्रदत्त की गयी हैं। अतएव उपरोक्त शासनादेश संख्या 1194/ तीस-1/2016-12(6) 16, दिनांक 06 जुलाई, एवं शासनादेश सं० 267/सु०भ्र० उ० ज० से०वि० / 2012/02 (11) 2012, दिनांक 11 सितम्बर, 2012 में दी गयी व्यवस्था एवं निरीक्षण आख्या में उल्लिखित तथ्यों के आलोक में निम्नवत आदेश पारित किये जाते हैं।