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उत्तराखंड: जिंदा व्यक्ति की बना दी अर्थी, पत्नी ने कफ़न ओढ़ाया, बेटी ने चढ़ाए फूल, वजह जानकर आप भी करेंगे सेल्यूट

हल्द्वानी: इनसे मिलिए। ये हैं डॉ. संतोष मिश्र। डॉ. संतोष मिश्र एमबीपीजी कॉलेज में प्रोफेसर हुआ करते थे, लेकिन उन्होंने 15 साल पहले स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली। उसके पीछे यह वजह रही कि उनकी जगह कोई युवा लें सके और उसे रोजगार मिले। डॉ. संतोष मिश्र अपनी अनोखी मुहिम के लिए जाने और पहचाने जाते हैं।

सबसे पहले डॉ. मिश्र ने रिश्तों की गर्माहट अभियान शुरू किया था, जिसके जरिए उन्होंने हजारों लोगों को कपड़े देने का काम किया, जिनके पास सर्दियों में पहनने के लिए कपड़े नहीं होते थे। डॉ. संतोष मिश्र ने ऐसी ही एक और मुहिम शुरू की है। आप वीडियो देखकर खुद अंदाजा लगा लेंगे कि डॉक्टर संतोष मिश्र किस तरह से लोगों को जागरुक करते हैं।

कफन ओढ़कर, अर्थी पर लेटकर जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण मुक्त शहरों के लिए पूर्व प्राध्यापक डॉ सन्तोष मिश्र ने विद्युत शवदाह गृह के प्रयोग के प्रति जनसामान्य को जागरूक किया। डॉ मिश्र ने कहा कि आम जनमानस की वर्षों की मांग पर करोड़ों की लागत से बने विद्युत शवदाह गृहों में प्रायः लावारिश लाशों का ही अंतिम संस्कार किया जा रहा है।

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कई जगह दाह संस्कार निःशुल्क करने के बावजूद लोग इसे अपनाने में हिचक रहे हैं। जबकि शहरों की बढ़ती आबादी, घटते जंगल और सूखती नदियां इस बात के लिए आगाह कर रही हैं कि हमें परम्परागत साधनों के साथ बिजली और गैस आधारित शवदाह गृहों को यथाशीघ्र अपनाने की आवश्यकता है।

पर्यावरण के प्रति चिंतित डॉ. मिश्र ने लोगों का ध्यान आकृष्ट करने के लिए यह नाटक रचा। उन्होंने अपने हाथों अपनी अर्थी बनाई। उनकी धर्मपत्नी गीता मिश्र ने कफन ओढ़ाकर, नाक में रुई लगाई। डॉ. सन्तोष की छोटी बेटी हिमानी मिश्र ने अर्थी पर फूल चढ़ाकर अगरबत्ती जलाई।

डॉ. मिश्र ने बताया कि हाल ही में दिवंगत प्रसिद्ध उद्योगपति रतन टाटा, टाटा संस के पूर्व अध्यक्ष साइरस मिस्त्री, वरिष्ठ भाजपा नेता सुषमा स्वराज, जार्ज फर्नांडिस, वरिष्ठ भाकपा नेता ए.बी. वर्धन, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टी एन शेषन, पूर्व केंद्रीय मंत्री रतनलाल कटारिया, अभिनेता ऋषि कपूर, गिरीश कर्नाड, विजू खोटे, विक्रम गोखले, नीरज वोहरा, गजल गायक पंकज उधास, वरिष्ठ लेखक खुशवंत सिंह, कृष्णा सोबती, अरुण कुमार, वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैयर, नीलाभ मिश्र, निहाल सिंह, पी.के. शिवदास जैसे प्रसिद्ध व्यक्तियों का दाह संस्कार विद्युत शवदाह गृह में ही किया गया। दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का दाह संस्कार गैस आधारित शवदाह गृह में किया गया।

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डॉ. सन्तोष मिश्र ने 65 के बजाय 50 की उम्र में 15 वर्ष पहले ही स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी, ताकि बेरोजगारी से जूझते युवाओं को मौका मिले। डॉ. मिश्र इससे पहले भी गरीबों के लिए वस्त्र दान के लिए रिश्तों की गर्माहट, देहदान, अंगदान, नेत्रदान जैसे मानवतावादी अभियानों का संचालन करते रहे हैं।

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

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