Friday , 22 November 2024
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उत्तराखंड: वरिष्ठ पत्रकार दिनेश जुयाल का निधन, खमोश हो गई जनपक्षधरता की मुखर कलम

देहरादून: जनपक्षधरता की मुखर कलम के सिपाही वरिष्ठ पत्रकार दिनेश जुयाल का निधन हो गया है। उन्होंने अपने पत्रकारिता करियर के दौरान हमेशा ही जनपक्षधरता वाली पत्रकारिता की और उसी तरह के पत्रकार भी तैयार किए। अमर उजाला और हिंदुस्तान अखबारों में संपादक रहे वरिष्ठ पत्रकार दिनेश जुयाल करीब 65 वर्ष के थे और पिछले दो-तीन माह से गंभीर बीमारी से ग्रस्त थे। PGI चंडीगढ़ में उनका इलाज चल रहा था। एक हफ्ते पहले ही वह इलाज कराकर लौटे थे। अचानक उनकी तबीयत बिगड़ी, उनको अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनका निधन हो गया। 

मिलनसार व्यक्तित्व के धनी दिनेश जु़याल अखबारों में रहते हुए तो पहाड़ की बात करते ही थे। रिटायारमेंट के बाद भी वे लगातार पहाड़ के गंभीर मसलों पर अपनी बात खुलकर लिख रहे थे और संदेश न्यूज के नाम से यूट्यूब चैनल पर बेबाकी से अपनी बात को रख भी रहे थे। अपनी आखिरी सांस तक सरकार की जनविरोधी नीतियों और प्रशासनिक अधिकारियों के गलत निर्णयों के खिलाफ जमकर लिखते रहे।

उनके निधन पर मुख्यमंत्री पुष्क सिंह धामी, महानिदेशक सूचना ने शोक जताया है। पत्रकारिता जगत में शोक की लहर है। सोशल मीडिया में पत्रकार उनको याद कर श्रद्धांजलि दे रहे हैं। वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला ने अपने सोशल मीडिया में एक पोस्ट लिखकर उनको श्रद्धांजलि दी है। उन्होंने लिखा कि मई माह की बात है। चारधाम यात्रा शुरू हुई और मनमीत की एक रिपोर्ट कि यात्रा में 10 लोगों की मौत हो गयी। सरकार ने उस पर केस कर दिया।

ये सरकारी धमकी थी कि यदि यात्रा अव्यवस्थाओं पर कुछ लिखा तो केस झेलो। चाहे वो सच ही क्यों न हो। तब वरिष्ठ पत्रकार दिनेश जुयाल ने सोशल मीडिया पर इसका खुला विरोध किया। उन्होंने पत्रकार पर लगाई गयी धाराओं पर भी सवाल उठाए और सरकार की मंशा पर भी। पत्रकार गजेंद्र रावत की सोने के पीतल में बदलने की खबर पर केस की बात भी उठाई।

पिछले साल 24 दिसम्बर की मूल-निवास भूकानून वाली स्वाभिमान रैली पर भी वरिष्ठ पत्रकार जुयाल की कलम खूब चली। उन्होंने मूल निवास की पुरजोर वकालत की। जोशीमठ धंसाव और हिमालय में हो रहे विस्फोट पर वो अक्सर चिंतित रहते थे। उन्होंने यूट्यूब पर भी स्पेशल एपीसोड दिखा यह बताने की कोशिश की कि प्रकृति के साथ अधिक मानवीय छेड़छाड़ ठीक नहीं। ऐतिहासिक रैणी गांव को बचाने और तोता घाटी के मौत की घाटी बनने की कहानी उन्होंने यूटयूब पर भी दिखाई।

यह बात मैं इसलिए कह रहा हूं कि दिनेश जुयाल अमर उजाला और हिन्दुस्तान के संपादक रहे। वह चाहते तो कहीं सरकार में ‘एडजस्ट‘ हो जाते, पर नहीं हुए। पत्रकारिता के विद्यार्थियों को पढ़ाते रहे, हम जैसों को सिखाते रहे। उनकी कलम खूब चली। जमकर चली और झुकी नहीं।

डेढ़ माह से ब्लड कैंसर से पीड़ित दिनेश जुयाल जी का कल रात इंद्रेश अस्पताल में निधन हो गया। उनकी कलम खामोश हो गयी, लेकिन उनकी जनपक्षधरता की बात उनके पत्रकारिता के अनेक शिष्यों और पत्रकारों के लिए हमेशा प्रेरणास्रोत रहेगी। वरिष्ठ पत्रकार दिनेश जुयाल को विनम्र श्रद्धांजलि।

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.
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