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श्री हेमकुंट साहिब के कपाट 25 मई को खुलेंगे, श्रद्धालुओं के लिए तैयारियां पूरी

देहरादून: उत्तराखंड सरकार और गुरुद्वारा श्री हेमकुंट साहिब प्रबंधन ट्रस्ट ने घोषणा की है कि सिखों के पवित्र तीर्थ स्थल श्री हेमकुंट साहिब के कपाट 25 मई को श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाएंगे। यह यात्रा 10 अक्टूबर तक जारी रहेगी, जिससे भक्तों को लगभग पांच महीने तक दर्शन करने का अवसर मिलेगा।

बैठक में हुआ निर्णय

यह निर्णय उत्तराखंड सरकार की मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतुरी और गुरुद्वारा श्री हेमकुंट साहिब प्रबंधन ट्रस्ट के अध्यक्ष श्री नरेंद्र जीत सिंह बिंद्रा के बीच हुई बैठक में लिया गया। बैठक में यात्रा की सुरक्षा, सुविधाओं और व्यवस्थाओं पर भी चर्चा की गई।

श्री हेमकुंट साहिब का धार्मिक महत्व

उत्तराखंड के चमोली जिले में 15,200 फीट की ऊंचाई पर स्थित श्री हेमकुंट साहिब सिख समुदाय के लिए सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक माना जाता है। यह वही स्थान है जहां सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी ने कठिन तपस्या कर आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त किया था।

यह तीर्थ स्थल न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि आध्यात्मिक शुद्धि, आत्म-नियंत्रण और भक्ति की गहराई को महसूस करने का स्थान भी माना जाता है। यहां की यात्रा कठिन होती है, लेकिन श्रद्धालु इसे अपने आत्म-संयम और भक्ति का प्रतीक मानते हैं।

श्रद्धालुओं के लिए विशेष तैयारियां

उत्तराखंड सरकार और गुरुद्वारा ट्रस्ट ने श्रद्धालुओं की सुरक्षा और सुविधा के लिए व्यापक तैयारियां की हैं। इनमें शामिल हैं:

चिकित्सा सुविधाएं और आपातकालीन सेवाएं: यात्रा मार्ग में आवश्यक मेडिकल कैंप और प्राथमिक चिकित्सा केंद्र स्थापित किए जाएंगे।

आवास और भोजन व्यवस्था: गुरुद्वारा ट्रस्ट द्वारा शिविरों और विश्राम स्थलों की व्यवस्था की जा रही है। साथ ही भोजन, पानी और अन्य आवश्यक वस्तुओं की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित की जाएगी।

सुरक्षा इंतजाम: यात्रा मार्ग पर पुलिस बल और सुरक्षा कर्मी तैनात किए जाएंगे ताकि कानून व्यवस्था बनी रहे और यात्रियों को किसी प्रकार की परेशानी न हो।

यात्रा मार्ग की मरम्मत और रखरखाव: कठिन पहाड़ी मार्ग को सुगम बनाने के लिए सड़क, पुल और ट्रैक की मरम्मत का कार्य भी पूरा किया जा रहा है।

गुरुद्वारा ट्रस्ट ने श्रद्धालुओं से अपील की

गुरुद्वारा श्री हेमकुंट साहिब प्रबंधन ट्रस्ट के अध्यक्ष  नरेंद्र जीत सिंह बिंद्रा ने कहा,”हम देश-विदेश से श्रद्धालुओं को आमंत्रित करते हैं कि वे श्री हेमकुंट साहिब की यात्रा करें और इसकी पवित्रता व आध्यात्मिक शक्ति का अनुभव करें। यह यात्रा केवल एक धार्मिक स्थल तक पहुंचने की नहीं, बल्कि आत्मचिंतन और आध्यात्मिक विकास की भी यात्रा है।”

यात्रा मार्ग और मौसम की चुनौतियां

श्री हेमकुंट साहिब की यात्रा अत्यंत कठिन मानी जाती है, क्योंकि यह बर्फीले पहाड़ों और दुर्गम रास्तों से होकर गुजरती है। मौसम भी एक चुनौती हो सकता है, क्योंकि ऊंचाई पर अचानक बर्फबारी और ऑक्सीजन की कमी महसूस हो सकती है। इसलिए श्रद्धालुओं को पर्याप्त तैयारी और सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है।

कैसे पहुंचे श्री हेमकुंट साहिब?

श्री हेमकुंट साहिब पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को पहले हरिद्वार या ऋषिकेश पहुंचना होगा। वहां से गोविंदघाट तक सड़क मार्ग से यात्रा करनी होगी। इसके बाद गोविंदघाट से घांघरिया तक पैदल, घोड़े या पालकी से पहुंचा जा सकता है। घांघरिया से हेमकुंट साहिब की 6 किलोमीटर की अंतिम चढ़ाई पैदल ही पूरी करनी होती है।

श्रद्धालुओं के लिए जरूरी निर्देश

  • ऊंचाई वाले क्षेत्रों में जाने से पहले अपनी स्वास्थ्य जांच करवा लें।
  • गर्म कपड़े, दवाइयां और जरूरी सामान साथ लेकर जाएं।
  • यात्रा के दौरान पर्यावरण का ध्यान रखें और कचरा इधर-उधर न फैलाएं।
  • धैर्य और संयम के साथ यात्रा करें और ट्रस्ट व प्रशासन के दिशा-निर्देशों का पालन करें।

गुरु गोबिंद सिंह जी की तपस्या भूमि

श्री हेमकुंट साहिब यात्रा न केवल सिख समुदाय के लिए बल्कि सभी आध्यात्मिक साधकों के लिए एक अनमोल अनुभव है। कठिन चढ़ाई और कठोर परिस्थितियों के बावजूद हर साल हजारों श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं और गुरु गोबिंद सिंह जी की तपस्या भूमि पर अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हैं। इस वर्ष भी हजारों भक्तों के यात्रा में शामिल होने की उम्मीद है, और सरकार व ट्रस्ट ने इसे सुरक्षित व सुव्यवस्थित बनाने के लिए सभी आवश्यक इंतजाम किए हैं।

(रिपोर्ट: पहाड़ समाचार)

 

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

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