- प्रदीप रावत (रवांल्टा)
का सुदी बोलूं उत्तराखंड ली देवभूमि। चार धामु क सात यख डाकसुणियूं-डाकसुणियूं फंडू देवताऊं की वास। मंदिरू की त छुईं का लाणी। एक से एक मंदिर आमरी देवभूमि मां। । उत्तरकाशी जिला का नौगांव बिलोक क बनाल पट्टी क गौल गां क जंगलु फुंडू एक एंणु मंदिर, जेख साक्षात र भगवान भालेनाथ रऊँ। खास बात यी कि एतरा तांई कोई यु पता ना कि मंदिर फुंडू छ का।
मंदिर फुंड गौड़ बामण सकुऊं नैई। सी पूजा लाऊं। त्युं किनी मंदिर छंवाए। बनाल पट्टी अर सैइद्या सेरांई क मानूं मड़केश्वर माराज की माया। मंदिर ज पर्यटन की नजरी किनी हेरूं त तेख भौत किछी होई सक, पर एतरा तांई त्यां दिशा मा ना त कोईनी काम करी अर ना सोची। पर मान्यता सार दुनियांउंदी तेइकी।
जणु मुंई पैली लेखी कि मंदिर फुंडू का, तेइक बार मा कोई ना पता, पर एंणी लोक लाऊं छुुईं कि तेख साक्षात भगवान शंकर कु वास। भगवान भोले क दगड़ ब्रह्मा अर विष्णु की वास बि। मंदिर क दार सदईं ढकीं रौं। साल मा एक बार ह हवन-पजून। देवलांगी क दिना, ज देवलांग जई जा, तेइक बाद देवता कु जु पूर्ण हवन ह, तेइकि आहुति मड़केश्वर मंदिर मा दिए।
यी परंपरा सालू बाटी चलनी लगीं। पूजा क दिना गौल गां क लोक गौड़ कु निपणु दूध अर गाया घिव धरुऊं। सुई घिव पाछा लोकु प्रसाद मा बांटे। आमु 1998-1999 की टग र। आमर ईष्ट राजा रघुनाथ नि बोलीति कि मंदिर की छवांई करनी। पर मुश्किल येंणी फंसी कि मंदिर फुंडू जु शक्ति पुंज, तेई कूंण ल्यालु बैर।
कालिकि गडोली गां क गौड़ बामणु क अलावा कोई ओर ना त मंदिर फुंडू नैई सकदू, ना पूजा सकद करी। पाछा तेई काम ली गडोली गां कु शिव प्रसाद गौड़ होई राजी। पूरी नीति-नियम। येंणु बोलूं कि शिव प्रसाद गौड़ किनी पैली बस तेइकु दादा नैई तुं मंदिर फुंडू। तेइनी दार उगाड़ी तु अर तेईनी ढकितु। मंदिर फुंडू नण क नेम-धरम भी भौत काठ। जु बि मंदिर फुंडू नलु, तेई सात दिनु तांई गौड़ कु निपणु दूध पड़ पिणूं। जेखतांई पेटौंदु अन्न कि चूर ना रली, तेखतांई।
1999 मा शिव प्रसाद गौड़ नि पूरा सात दिन तांई व्रत धरी, गौड़ कु निपणु दूध पी। तेइक बाद पालक्यौंदु बेसाई किनी गौड़ जी मड़केश्वर महादेव मंदिर बिड़ी पौंछाइणु। दुध अर घे किनी न्हाण-धोण करन क बाद सु मंदिर भितर नैई, अर बैर बि आई।
जंण्या सु बैर आई त तेईनी अपड़ सात रिंगाई क डालकौंदु खांतर फुंडू लेई भितर नी किछी। जु बि शक्ति हली। ऐतरा तांई कोई ना पता। सुई जांणी सक जेइनी सि लेई अर फुंडू घरी। बोल सुबी एंणु कि मुंई बि ना पता कि तेख का छ अर का ना। पर जु बि छ, सु महाशक्ति। जति दिना तांई मंदिर कु काम चली।
तति दिनु तांई शिव प्रयाद गौड़ नि ना कोईकु मूख हेरी अर ना कोई नि त्युंकु मूख सकी हेरी। खाण लि मात्र एक गिलास दुध कु बस। ओठा किछीना। बड़ी छुंई यि कि वन विभाग नि तेई जमान मंदिर छंवाण लि एका द्यार क बुट की अनुमति दी ती। एक बुट किनी का बाजु तु।
लोक परेशान त कि कणंगु हलु अब काम पुरु। लोक का सक त करी, सबुनि बोली की देवता हलु त आफंुई करलु आपुली। येति बोलनु का तु कि रुब्ंयाट-भुंब्याट चली बथाऊं अर, द्यार क सात बूट गाठ। त करी लोकुनी त्यूंकिनी मंदिर की छवांई।
लोक भौं किछी बोल्याण पर, तेख किछी ना किछी शक्ति छनीण। तेइक कई प्रमामण अर परच लोकु बिड़। वे वेदु की र्छुुइं नाऊं ज त स्कंद पुराण क केदारखंड मां महेश्व सिद्ध पीठ नऊं लेखियूं।
पुराण मा यु बि लेखियूं कि येई सिद्ध पीठ मड़क, माहेश्वर अर मड़केश्वर बि बोली सकूं। स्कंद पुराण की मानुं जत यु जु सिद्ध पीठ येईक दर्शन किनी सार पाप नऊं छुटी। मोक्ष मिल। येंणु बि लेखियूं कि येख ब्रह्मा, विष्णु अर हमेश तिना रौं। तिनु कु वास येख।