स्पेशल स्टोरी
उत्तराखंड कांग्रेस में पार्टी के भीतर ही समीकरण बदल गए हैं। चुनाव में जाने से पहले कांग्रेस को इन बदले समीकरणों की उलझनों को दूर करना होगा। उलझन को ऐसा सुलझाना होगा कि चुनाव में पार्टी एकजुट नजर आए और फिर से सत्ता में वापसी की राह भी बना पाए। कांग्रेस के सामने संकट यह है कि उनकी पुरानी पीढ़ी ने नए पीढ़ी के नेताओं को आगे नहीं आने दिया। नेताओं की सेकेंड लाइन को तैयार किया ही नहीं गया, जो तैयार हुए भी उनको वापस बैकफुट पर धकेल दिया गया।
नेता प्रतिपक्ष कौन बनेगा
बहरहाल, बात कांग्रेस में बदलते समीकरणों की है। कांग्रेस की सीनियर लीडर इंदिरा हृदयेश के निधन के बाद सबसे बड़ी बात मुश्किल यह है कि कांग्रेस अब तक यह तय नहीं कर पाई है कि नेता प्रतिपक्ष कौन बनेगा। इस पद के लिए कई दावे भी किए जा रहे हैं। सबसे बड़े और मजबूत दावेदार वर्तमान में प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह हैं। दूसरे मजबूत दावेदार करन माहरा हैं, जो फिलहाल उप नेता प्रतिपक्ष हैं। उनका तर्क एक तरह से सही भी है कि पार्टी को चुनाव में जाने से ठीक पहले संगठन में बदलाव नहीं करना चाहिए।
कांग्रेस की मजबूरी
अब संकट यह है कि अगर उनको नेता प्रतिपक्ष बनाया जाता है, तो फिर प्रदेश अध्यक्ष किसको बनाया जाएगा। पहले इस बात पर चर्चा हुई थी। राहुल गांधी से तब कुछ नेता मिले भी थे, लेकिन उनकी बात बन नहीं पाई थी। अब नए सिरे बदले समीकरणों के बीच कांग्रेस के लिए फैसला लेना भी थोड़ा आसान हो गया है। इंदिरा हृदयेश के निधन के बाद कांग्रेस की मजबूरी हो गई है कि उनको पार्टी संगठन में बदलाव करना ही पड़ेगा। दूसरा इसे समय की जरूरत भी माना जा रहा है।
युवा और नए हाथों में कमान
समय की जरूरत के पीछे जो कारण माना जा रहा है। वह यह है कि कांग्रेस का नेतृत्व 2022 के चुनाव से पहले युवा और नए हाथों में सौंपा जाएगा। यह कांग्रेस के लिए जरूरी भी और फायदे का सौदा भी साबित हो सकता है। माना जा रहा है कि कांग्रेस में नेता प्रतिपक्ष का पद वर्तमान अध्यक्ष प्रीतम सिंह के खाते में जाएगा। क्षेत्रीय और जातीय समीकरण के हिसाब से अध्यक्ष का पद कुमाऊं के किसी नेता का जाएगा। यह चेहरा कौन होगा। इसकी अटकलें भी लगाई जा रही हैं।
कांग्रेस दांव खेल सकती है
अटकलों में सबसे पहला नाम कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय महासिचव प्रकाश जोशी का है। राजनीति जानकारों की मानें तो प्रकाश जोशी पर कांग्रेस दांव खेल सकती है। कांग्रेस आला कमान उनकी क्षमता और प्रतिभा से अच्छी तरह वाकिफ है। प्रकाश जोशी कांग्रेस के केंद्रीय संगठन में काम किया। उनको राहुल गांधी का करीबी भी माना जाता है। खास बात यह है कि उनके साथ ना तो किसी तरह का कोई विवाद जुड़ा है और ना ही किसी गुट में कभी शामिल रहे हैं।
कमान किसी निर्विवाद चेहरे के हाथ
कांग्रेस भी राज्य की कमान किसी निर्विवाद चेहरे के हाथ में देना चाहती है। फिलहाल उनके पास जो सबसे उपयुक्त चेहरा नजर आ रहा है, वो प्रकाशी जोशी ही हैं। उन पर पूर्व सीएम हरीश रावत भी भरोसा जता सकते हैं और प्रीतम सिंह भी। उनके अध्यक्ष बनने के साथ ही कांग्रेस के लंबे समय से चली आ रही धड़ेबाजी भी हमेशा के लिए समाप्त हो सकती है। उनकी अध्यक्षता में अगर कांग्रेस बिना किसी गुटबाजी और धड़ेबाजी के चुनावी रण में कूदती है, तो उसका लाभ भी साफतौर पर नजर आएगा। इससे कार्यकर्ताओं को भी नया जोश मिलेगा।
गंभीरता से विचार
संभावना यह भी है कि संगठन में बदलाव नहीं किया जाए और करन माहरा को उप नेता सदन बना दिया जाए। कांग्रेस चुनावी लिहाज से इस विकल्प कह भी गंभीरता से विचार कर रही होगी। इन सबके बीच जो सबसे महत्वपूर्ण है। वह यह है कि हरीश रावत का रुख क्या रहता है। हालांकि, अब पहले जैसी स्थिति नहीं रही है। इंदिरा हृदयेश के निधन के बाद गुटबाजी काफी हद तक कम हो गई होगी।
हरीश रावत की राय जरूरी
हालांकि एक नया समीकरण यह भी है कि हरीश रावत के बेहद करीबियों में गिने जाने वाले रणजीत रावत अब उनके दुश्मन बने बैठे हैं। प्रीतम सिंह से भी उनकी जनदीकियां हैं। इस बीच उन्होंने उप नेता सदन बनाने के लिए करना माहरा की वकालत भी की है। आलाकमान हरीश रावत की राय जरूर लेगा और वो जिसके पक्ष में खड़े हो जाएंगे, उसकी गाड़ी चल निकलेगी। राजनीति गलियरों में इन बातों की चर्चा जारों पर है।
-प्रदीप रावत (रवांल्टा)