अल्मोड़ा : राज्यमंत्री रेखा आर्या और अधिकारीयों के बीच अक्सर झगड़े होते रहते हैं। उनके साथ ऐसा एक बार नहीं, बल्कि बार-बार हो रहा है। आईएएस अफसर के साथ उनका विवाद सब जानते हैं। अब उनका एक और विवाद सामने आ गया है। इस बार उनके निशाने पर कोरोनाकाल में अपनी जान दांव पर लगाकर लोगों की जान बचने वाले अल्मोड़ा मेदिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आरगई नौटियाल हैं। मंत्री रेखा आर्या ने अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आरजी नौटियाल को हटाने की मांग कर दी है।
सचिव स्वास्थ्य को पत्र भी भेजा
इस मामले में सचिव स्वास्थ्य को पत्र भी भेजा है। इस पत्र के सामने आने के बाद मंत्री फिर चर्चा में आ गई है। हालांकि रेखा आर्या उस वक़्त भी बेहद चर्चा में रही। जब अल्मोड़ा के डीएम रहे सविन बंसल और रेखा आर्या का विवाद मीडिया में सामने आया। तत्कालीन DM के तबादले के बाद भी कई तरह की चर्चा रही। उस वक़्त अल्मोड़ा के लोगों ने कुशल प्रशासक रहे सविन बंसल का काफी समर्थन किया। उनके द्वारा शुरू की गई नगर में वन वे व्यवस्था को लोगों ने खूब सराहा। अब मंत्री ने कुशल प्रशासक और बेहतरीन डाक्टर और बेदाग छवि वाले अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आरजी नौटियाल को हटाने के लिए सचिव स्वास्थ्य को पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने कई तरह के आरोप मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य पर लगाए हैं।
विधान सभा उपाध्यक्ष का फोन उठाने से नाराज
ये विवाद आजका नहीं,, बल्कि कुछ दिन पहले का है। मंत्री रेखा आर्या ने विकास भवन में कोविड-19 की समीक्षा बैठक ली थी। इस बैठक में अल्मोड़ा मेडिकल काॅलेज के प्राचार्य डॉ. आरजी नौटियाल, डीएम नितिन सिंह भदौरिया सहित जिले के अफसर मौजूद रहे। कुछ विधायक भी बैठक में मौजूद रहे। इस दौरान मेडिकल काॅलेज के प्राचार्य पाॅवर प्वाइंट्स के माध्यम से व्यवस्थाओं के बारे में जानकारी दे रहे थे। इस दौरान उनके फोन पर अचानक विधानसभा उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह चौहान का फ़ोन आ गया।
प्रोटोकाल के हिसाब से बात की
बताया जाता है की डॉ. नौटियाल ने प्रस्तुतिकरण रोक उनकी कॉल रिसीव कर ली। उपाध्यक्ष से ये कहा कि अभी वह मंत्री जी की बैठक में हैं, बाद में वह बात करेंगे। इसके बाद फ़ोन रख दिया। ये बात मंत्री को खटक गई। बैठक में मौजूद अफसरों ने बताया कि मंत्री ने डीएम से कहा कि मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य को प्रोटोकॉल बताओ। लेकिन प्राचार्य ने मंत्री से शालीनता पूर्वक बात की। इसके बाद मीडिया में भी यह बात सामने आई।
विधानसभा उपाधय्क्ष का फोन नहीं उठान चाहिए था ?
अब मंत्री ने इस मामले में बीते 25 जून को सचिव स्वास्थ्य को पत्र लिख मेडिकल कालेज के प्राचार्य को हटाने की मांग की है। पत्र में कई अन्य आरोप भी लगाए हैं। इस मामले में मंत्री रेखा आर्या से बात करने का प्रयास किया गया उनसे संपर्क नहीं हो पाया। (उनका पक्ष आने पर लिखा जाएगा)। अब लोग यह सवाल उठा रहे हैं कि क्या प्राचार्य को विधानसभा उपाधय्क्ष का फोन नहीं उठान चाहिए था। क्या वो उनका प्रोटोकाल नहीं था।
कम संसाधन में बेहतरीन काम कर रहे प्राचार्य
मेडिकल कालेज के प्राचार्य डॉ. आरजी नौटियाल ने कोरोना संक्रमण काल मे बेहद सराहनीय काम किया। बेहद कम संसाधनों में उन्होंने लोगों की जान बचाने के लिए 18 से 20 घंटे तक काम किया। साल 2018 से आक्सीजन प्लांट लगाने के लिए सबसे पहले पहल की। यहां पर डॉक्टर लाने के लिए खुद प्रयास किया। सरकार की ओर से हल्द्वानी में दफ्तर बनाये जाने के आदेश के बाद वह अल्मोड़ा में काम की लगातार निगरानी करते।
CM कर चुके तारीफ़
कोरोना जांच लैब, अल्मोड़ा मेडिकल कालेज के लिए पानी की योजना तैयार करने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कोरोना संक्रमण काल मे जब उनके परिवार के लोग कोरोना संक्रमित हो गए। वह उस दौरान भी अल्मोड़ा में कोविड वार्ड में मरीजों का उपचार कर रहे थे।डीएम नितिन सिंह भदौरिया, मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव भी उनके काम की लगातार तारीफ करते हैं।
पत्रकार की पोस्ट को भी लोगों ने सराहा
पत्रकार शैलेन्द्र नेगी ने सोशल मीडिया में इस मामले पर एक पोस्ट लिखी है। उन्होंने मंत्री को यह बताया कि मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य का ओहदा क्या होता है।
क्यों हो रहे विवाद
सवाल यह है कि आखिर सारे अधिकारीयों के विवाद मंत्री रेखा आर्य के साथ ही क्यों हो रहे हैं। ऐसा क्या है कि वो हर बार चिट्ठी लिख देती हैं।कभी सचिव के खिलाफ, कभी डीएम के खिलाफ और अब मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य के खिलाफ। क्या इस तरह की विवादों से अधिकारी सही से काम कर पायेंगे।
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