आधार कार्ड सकबो बनाना जरूरी है। पांच साल के बच्चे से लेकर बुजुर्गों तक के पास आधार होना आवश्यक है। आधार के बिना अब कोई भी सरकारी काम नहीं होता है। कोई भी छोटा सरकारी काम कराना जितना कठिन आधार के बगैर है। उतनी ही कठिन प्रक्रिया अब आधार में अपडेट कराने की है। अगर आपको डेट ऑफ बर्थ चेंज करवानी है, तो उसके लिए जरूरी दस्तावेज दिखाने ही होंगे।
यूनीक आईडेंटिटीफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (UIDAI) के बदले नियमों से आवेदक परेशान हैं। डेट ऑफ बर्थ में संशोधन के लिए बर्थ सर्टिफिकेट और हाईस्कूल की मार्कशीट को आवश्यक कर दिया गया है। पूरा नाम बदलने पर भारत सरकार की गजट प्रक्रिया से गुजरना पड़ रहा है।
बड़ी बात यह है कि आधार कार्ड में सबसे अधिक बदलाव इन्हीं दो चीजों को लेकर होते हैं। एक अनुमान के अनुसार 60 फीसदी संशोधन इन्हीं के होते हैं। अभी तक प्रधान, विधायक या किसी पीसीएस अधिकारी से प्रमाणित किए हुए पत्र के माध्यम से बदलाव हो जाता था। इन गलतियों के लिए जिम्मेदार भी यूडीआईडी का काम दखने वाली प्राइवेट कंपनियां हैं, जिन्होंने लोगों के नाम गलत फीड किए हुए हैं
इसके साथ ही जन्मतिथि में संशोधन के लिए एक और नाम के संशोधन के लिए केवल दो मौके दिए जा रहे हैं। आधार कार्ड बनाने का काम करने वाली कंपनियों ने गलत फीडिंग के कारण कई ग्रामीणों के पते ही बदल दिए।
सरकारी सेवा के लोग अपने पहचान पत्र का उपयोग कर सकते हैं। लेकिन, हाईस्कूल पास न करने वाली महिलाएं और पुरुषों के संशोधन में दिक्कत है। इनके लिए जन्म प्रमाण पत्र जरूरी है। अगर जन्म प्रमाण पत्र बनवाने में दिक्कत हो रही है तो फिर प्रधान के लेटर पैड पर बनवा कर दे सकते हैं। इसके लिए पड़ोसियों से पूछताछ भी की जाएगी।
इसके लिए एक हलफनामा बनवाकर देना होगा, साथ में माता-पिता का आधार कार्ड लगाना होगा। यही नहीं किसी एमबीबीएस डॉक्टर के पर्चे में उम्र की प्रमाणिकता भी कराना जरूरी है, उसको आधार कार्यालय में जमा करने के बाद ही जन्म तिथि में बदलाव हो पाएगा।