Monday , 23 December 2024
Breaking News

‘खंडहरों’ के बीच रह रहे लोगों के लिए अब ‘ग्रहण’ बन रहे हैं ‘खंडहर’  

  • मैठाणा (चमोली) में बाल-बाल बचा मदन कोठियाल का परिवार !

पूरा पहाड़ पलायन का दंश झेल रहा है । लोग अपना बोरा बिस्तर समेटकर पहाड़ छोड़ मैदानों की ओर चले जाते हैं और जाते-जाते अपने घरों में ताले कस लेते हैं । लेकिन सालों साल जब ये परिवार अपने मूल घरों में नहीं लौटते हैं तो इनके भवन ‘भूतहा’ (खण्डहरों) में तब्दील हो जाते हैं । जिनमें जगह-जगह से पानी रिसने लगता है । तालों में जंक लग जाता है, और देखते ही देखते चंद वर्षों में अच्छे-खासे भवन खण्डहर हो जाते हैं । जो इनके अगल-बगल में बचे खुचे ग्रामीण परिवारों के लिए हर वक़्त खतरे का सबब बन जाते हैं ।

 

खंडहर भवन भर-भराकर जमींदोज हो गया

बताते चलें कि एक ऐसा ही वाकिया जनपद चमोली में नंदप्रयाग और चमोली के मध्य में बसे मैठाणा गांव में देखने को मिला । कल 18 अगस्त की रात में करीब साढ़े ग्यारह बजे मैठाणा गांव के रहवासी मदन कोठियाल अपने परिवार के साथ सोए थे । कि तभी अचानक से उनके नए बने मकान से सटे दो तीन परिवारों का सामूहिक खंडहर भवन भर-भराकर जमींदोज हो गया । मदन कोठियाल ने बताया कि अचानक से ऐसी आवाज आई कि जैसे कोई भारी जलजला आ गया हो, जिससे पूरी जमीन तक हिलने लगी थी । आनन फानन में उठे बाहर आए तो देखा तेज बारिश हो रही थी । चारों तरफ घुप्प अंधेरा छाया हुआ था, जिसकी वजह से पूरा परिवार सहम सा गया । उन्हें लगा कि बादल फट गया और अब उन सबकी जान पर भी खतरा आ गया, इतने में उन्होंने जब ट्रॉच की रोशनी से आंगन में देखा तो पुराने जर्जर खण्डहर भवन का एक हिस्सा ठीक उनके आंगन आ गिरा था । इसी हादसे के बीच मदन कोठियाल उनकी पत्नी व बच्चों ने तेज बारिश के बीच गिरते भवन के एक हिस्से से अपने मवेशियों को सबसे पहले बाहर निकालकर उनकी जान बचाई । फिर रातभर बारिश थमने का इंतजार करते रहे । साथ ही साथ आंगन से भारी मलवे के साथ आए मिट्टी और पत्थरों को हटाने में सपरिवार लगे रहे ।

 

कुछ आवश्यक दिशा-निर्देश बनाने होंगे

मैठाणा ग्रामवासी मदन कोठियाल का परिवार तो आज बाल बाल बच गया लेकिन ऐसे हादसों को शासन प्रशासन को भी गम्भीरता से लेकर पलायन करने वालों को कुछ आवश्यक दिशा निर्देश बनाने होंगे । जो लोग गांवों को छोड़ मकानों में ताला लगाकर अन्यत्र बस जाते हैं, उन्हें यहां रह रहे लोगों की जानमाल की भी चिंता करनी होगी । ऐसे लोग पहाड़ में गढ़वाल व कुमायूँ में कहीं से भी हों उन्हें गांव छोड़ने से पहले या तो अपने मकानों को बराबर निगरानी में रखना चाहिए या फिर गांव छोड़ने से पहले उन्हें गिराकर ही गांव से अन्यत्र जगह पलायन करना चाहिए । ऐसे खण्डहरों के बीच सर्दी हो या गर्मी जिंदगी को हर मौसम में खतरा बना रहता है । कभी इनमें जहरीले सांप आते-जाते देखे जाते हैं तो कभी खूंखार जंगली जानवरों के छुपने लिए ऐसे भूतहा भवन सबसे मुफीद अड्डे बन जाते हैं ।

 

मदन कोठियाल ने भी शहरों का जीवन जिया,अब वापस लौटे हैं 

मदन कोठियाल दो दशक पहले तक देश के अलग अलग प्रांतों में अच्छी खासी नौकरी कर चुके हैं । लेकिन उन्हें पितृ भूमि का मोह वापस मैठाणा गांव खींच लाया । फिर उन्होंने यहां पर इन्हीं खण्डहरों के बीच उम्मीद की नई लौ जलाई । अपना एक खूबसूरत आधुनिक सुख सुविधाओं वाला मकान तैयार किया और सपरिवार यहीं पर रहने लगे । लेकिन आज उनकी रचनात्मक सोच पर यह खण्डहर ग्रहण बन गए हैं । मदन कोठियाल और उनके परिवार को अब और भी अधिक डर इस बात का है कि इन भवनों का आगे का हिस्सा गिर गया है जिससे वह और खतरनाक व डरावने बन गए हैं । साथ ही अब उन्हें चिंता इस बात की भी है कि इन मकानों के जिस कदर गुफा जैसे मुंह खुल गए हैं, ऐसे में अब ये भवन भालू, तेंदुआ और जंगली सुवर का अड्डा भी बन जाएंगे । जिससे अब आने वाले दिनों में ज्यादा खतरनाक स्थिति हो सकती है । मदन कोठियाल ने खण्डहर भवन के हिस्सेदारों को फोटो क्लिक कर भेज दी है और सबसे अपील की है कि सभी लोग अपने इन खण्डहरों के मलवे को साफ करें ताकि आगे उन्हें व उनके परिवार को किसी प्रकार का खतरा न हो ।

  • शशि भूषण मैठाणी “पारस”

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

Check Also

उत्तराखंड : गायब हो गई पहाड़ की खास ज्वंगड़ी, हर घर की रौनक होती थी ये

एक्सक्लूसिव उत्तराखंड अपनी परंपराओं और समृद्ध सांस्कृति विरासत के लिए जाना जाता है। राज्य की …

error: Content is protected !!