Friday , 22 November 2024
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राष्ट्रपति से की मांग, रद्द हो मजदूर विरोधी कानून

देहरादून : उत्तराखंड कि वाम और जनवादी पार्टियों ने राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा है। ज्ञापन के जरिए वाम-जनवादी पार्टियों ने राष्ट्रपति से केंद्र सरकार के मजदूर विरोधी कानून को रद्द करने की मांग की है। जनवादी संगठनों का कहना है कि कोरोना महामारी के चलते देश में लॉकडाउन के कारण देश में सभी काम-धंधे ठप्प हैं. इसकी सबसे बड़ी मार देश के मेहनतकश तबके पर पड़ी है. रोज कमा कर खाने वाले मजदूरों के लिए कोरोना से अधिक मारक काम-धंधे के अभाव के चलते उपज रही भूख सिद्ध हो रही है. 

इसलिए ऐसे समय में जरूरत तो यह थी कि मजदूरों के अधिकारों को संरक्षित किया जाता,उन्हें और अधिक कानूनी सुरक्षा प्रदान की जाती. परंतु केंद्र और उत्तर प्रदेश,उत्तराखंड समेत विभिन्न राज्य सरकारों ने इस लॉकडाउन अवधि को अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय संघर्षों के बूते मजदूरों को हासिल आधिकारों के खात्मे के अवसर के रूप में किया है. केंद्र और विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा श्रम क़ानूनों को समाप्त करने का यह षड्यंत्र सरकारों की मजदूर विरोधी और पूँजीपतियों के प्रति अंध समर्थक मानसिकता का प्रदर्शन है.यह मानसिकता मजदूरों को मनुष्य के तौर पर नहीं बल्कि मुनाफा कमाने के औज़ार के तौर पर देखती है और इसलिए मजदूर के खून के अंतिम कतरे को तक पूंजीपतियों के मुनाफे के लिए चूसने का का रास्ता सुगम करने के लिए श्रम क़ानूनों को खत्म किया जा रहा है.विडम्बना यह है कि श्रमिकों के अधिकारों के खात्मे को “श्रम सुधार” कहा जा रहा है. ये तथाकथित श्रम सुधार दरअसल श्रमिकों की तबाही का फरमान हैं.

उत्तराखंड की वाम-जनवादी पार्टियां मांग करती हैं कि कार्यस्थलों पर काम के घंटे आठ से बढ़ा कर बारह किए जाने का फैसला कामगार वर्ग के शोषण को तीव्र करने वाला कदम है. यह मजदूर वर्ग द्वारा संघर्ष और शहादतों के बूते हासिल आठ घंटे के कार्यदिवस को खत्म करने की कोशिश है. अतः हम यह मांग करते हैं कि आठ घंटे के कार्य दिवस को बढ़ा कर बारह घंटे करने के केंद्र और विभिन्न राज्य सरकारों के आदेशों को निरस्त किया जाये और आठ घंटे का कार्यदिवस बहाल किया जाये. ‌विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा श्रम कानूनों को लॉकडाउन की आड़ में अगले तीन साल तक निलंबित किए जाने के फैसले का हम पुरजोर विरोध करते हैं.ओवरटाइम वेतन खत्म करने,मनमाने तरीके से बिना वेतन की छंटनी जैसे तमाम प्रावधान, लॉकडाउन के नाम पर श्रमिकों के अधिकारों को ही लॉकडाउन करने यानि उनकी तालाबंदी करने की कोशिश है. यह फैसला कामगार वर्ग के सभी कानून सम्मत अधिकार छीनता है और उनके हर तरह की शोषण की राह आसान करता है. यह मजदूरों को पूंजी का गुलाम बनाने की कोशिश है,जिसे तत्काल रद्द करते हुए श्रम कानून अनिवार्य रूप से बहाल किए जाने चाहिए. ज्ञापन देने वालों में समर भंडारी राज्य सचिव भाकपा, राजेंद्र नेगी राज्य सचिव माकपा, डॉ.एस.एन.सचान पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सपा, इन्द्रेश मैखुरी
गढ़वाल सचिव भाकपा(माले) और जयकृत कंडवाल
संयोजक उत्तराखंड पीपल्स फोरम शामिल रहे।

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

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