- प्रदीप रवांल्टा ‘रवांल्टा’
उत्तरकाशी जिले के मोरी ब्लॉक का जखोल गांव पूरे देश में अलग पहचान रखता है। गांव की खूबसूरती की तस्वीरें अक्सर सामने आती रहती हैं। किसी ना किसी वजह से ये गांव चर्चाओ में भी आ ही जाता है। इन दिनों जखोल समेत 22 गांवों के लोगों के आराध्य देव सोमेश्वर महादेव के मंदिर का नवीनीकरण हो रहा है। मंदिर का निर्माण नए सिरे से किया जा रहा है। मंदिर और दो भाइयों सतपाल महाराज और भोजे जी महाराज के कारण गांव चर्चा में है।
सतपाल महाराज ने उस पर तत्काल जांच के आदेश
मंदिर निर्माण को लेकर एक विवाद को गढ़ा जा रहा है। ऐसा विवाद जो धरातल पर कहीं नजर ही नहीं आता। उस विवाद को हवा देने का प्रयास किया जा रहा है, जो है ही नहीं। सतपाल महाराज के पास एक शिकायत आती है और सतपाल महाराज उस पर तत्काल जांच के आदेश भी जारी कर देते हैं। लेकिन, सवाल यह है कि आखिर शिकायत की किसने है?
पहले इसी सवाल का जवाब खोज लेते हैं
पहले इसी सवाल का जवाब खोज लेते हैं। दरअसल, मंदिर समित के उपाध्यक्ष जयवीर सिंह रावत और सह सचिव राम लाल विश्वकर्मा ने इस मामले की शिकायत की है। जयवीर सिंह रावत सतपाल महाराज के करीबी माने जाते हैं। सूत्रों की मानें तो यह पूरा मामला राजनीतिक है। मंदिर के पुनर्निर्माण को लेकर सभी 22 गांवों के लोगों ने तय किया था कि मंदिर निर्माण की पूरी जिम्मेदारी हंस फाउंडेशन की होगी।
स्थानीय लोगों को इसमें काम दिया जाना चाहिए
कुछ लोग चाहते थे कि स्थानीय लोगों को इसमें काम दिया जाना चाहिए। लेकिन, हंस फाउंडेशन ने तय किया कि मंदिर का पूरा काम हिमाचल के कारीगरों से कराया जाएगा। इससे कुछ लोगों को परेशानी है। शिकायत के पीछे इसीको कारण माना जा रहा है। मंदिर निर्माण जोरों पर है।
मंदिर से छेड़छाड़ का मामला
मंदिर से छेड़छाड़ का जो मामला उठाया जा रहा है। उस पर भी सवाल हैं कि अगर देवता को कोई परेशानी नहीं है, तो फिर जयवीर सिंह और रामलाल को ही क्यों दिक्कत हो रही हैं? 22 गांवों के आराध्य देव सोमेश्वर महादेव ही अपने किसी भी काम को लेकर अंतिम फैसला लेते हैं। देवता के आदेश पर ही सहमति बनी थी, फिर अब सवाल क्यों?
सतपाल महाराज और भोले जी महाराज के बीच विवाद
सतपाल महाराज और भोले जी महाराज के बीच विवाद सालों पुराना माना जाता है। दोनों भाइयों के बीच कई सालों से बातचीत तक नहीं हुई है। भोले जी महाराज नेतृत्व में उत्तराखंड सरकार के स्वास्थ्य से लेकर शिक्षा और दूसरे विभागों में सहयोग किया जा रहा है। हंस फाउंडेशन का काम केवल उत्तराखंड में ही नहीं, बल्कि देश के लगभग सभी राज्यों में हैं। हंस फाउंडेशन लगातार लोगों की मदद करता आ रहा है।