इन दिनों सुबह-सुबह बुलबुल और कोयल के मधुर गीत सुन कर पास के ही घने पेड़ के रैन बसेरे में बसंता भी जाग उठता है। उनके प्रेम गीतों से शायद प्रिया की याद में उसका भी मन मचल उठता होगा। तभी तो पांच बजते न बजते अपनी तेज आवाज में वह भी टेर लगा देता है- कु र्र र्र र्र….कुटरु …
Read More »