प्रदीप रावत (रवांल्टा) देहरादून: वैसे तो इगास को लेकर कई कथा-कहानियां हैं। लेकिन, अगर इगास को वास्तव में जानना हो तो, केवल इन दो लाइनों में जाना जा सकता है। इन्हीं दो पंक्तियों में पूरे त्योहार का सार है। लाइनें कुछ इस तरह हैं…“बारह ए गैनी बग्वाली मेरो माधो नि आई, सोलह ऐनी श्राद्ध मेरो माधो नी आई”। मतलब साफ …
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