प्राण की इतनी ही परवाह थी तो राजनीति में काहे आये विधायक जी? परचून की दुकान खोल लिए होते और आराम से सौदा बेचते। न रोज-रोज पब्लिक से मिलने का झंझट होता और न ही प्राणों की चिन्ता। देश और दुनिया में लाखों लोग विभिन्न तरह से अपनी जान की बाजी लगाकर कोरोना से संघर्ष कर रहे हैं, यदि उन्होंने …
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