ये क्या हो रहा है, सोशल मीडिया में कोहराम मचा है। श्रेय लेने की होड़ मची है। सब धन्यवाद और आभार जताने में जुटे हैं। अपनी-अपनी चिट्ठियां और फोटो की भरमार लगा रहे हैं। समझ में यह नहीं आता कि हम इतरा किस बात पर रहे हैं।
लड़ क्यों रहे हैं? दिखाना किसे चाहते हैं? जताना क्या चाहते हैं? क्यों जतना चाहते हैं? अगर कोई काम हो भी गया है, तो उसका ढिंढोरा क्यों पीटा जा रहा है? क्यों नगाड़े बजाए जा रहे हैं? अगर हमें केवल इस बात के लिए इतराना चाहिए कि दो डॉक्टरों की तैनाती हुई है, तो हमारे जन प्रतिनिधियों को जनता से वोट लेने का कोई अधिकार नहीं है।
रंवाई घाटी बहुत बड़ा क्षेत्र है। हमें और प्रयास करना चाहिए। हमें इस दिशा में आगे बढ़ना चाहिए कि मोरी में भी डॉक्टर तैनात हो। आराकोट में भी अच्छे डॉक्टर हों। बड़कोट और नौगांव में बहुत बड़ी आबादी रहती है। अस्पताल हैं, लेकिन पर्याप्त डॉक्टर नहीं हैं। नौगांव ब्लॉक के सराड़ी में सबसे पुराना अस्पताल है। वहां वार्ड ब्वॉय दवा दे रहा है।
यमुनोत्री विश्व प्रसिद्ध धाम है। क्या वहां डॉक्टर तैनात हैं? वहां छोड़िए क्या जानकी चट्टी, हनुमान चट्टी, राना चट्टी और खरादी में डॉक्टर हैं? अगर नहीं हैं, तो हमें इतराना नहीं चाहिए। बब्लि, जनप्रतिनिधित्व करने वाले लोगों को सबक सिखाना चाहिए। उनकी नाकामी से उनको रु-ब-रु कराना चाहिए। क्या हम ऐसा कर रहे हैं?
बहुत अच्छी बात है, डॉक्टर की तैनाती हुई है। चाहे किसी की भी चिट्ठी से क्यों ना हुई हो? चाहे किसी की सीएम से मुलाकात करने से हुई हो? किसी भी तरह हुई हो। अगर अच्छा काम होता है, तो उसके साथ सबको शामिल होना चाहिए। सोशल मीडिया में सब पोस्ट कर यह साबित करने में जुटे हैं। अगर ऐसा ही रहा तो उसी श्रेय लेने के चक्कर में हमेशा ही चक्कर काटते रहेंगे।