Friday , 22 November 2024
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उत्तराखंड : लाल चावल बनेगा ब्रांड, आज इनको मिली GI टैगिंग पहचान

देहरादून: सचिवालय स्थित वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली सभागार में बौद्धिक संपदा भारत के अंतर्गत उत्तराखंड राज्य के उत्पादों के भौगोलिक संकेतांक (ज्योग्राफिकल इंडिकेशन) वितरण समारोह आयोजित किया गया। कार्यक्रम के दौरान राज्य के सात उत्पादों कुमांऊ च्यूरा ऑयल, मुनस्यारी राजमा, उत्तराखण्ड का भोटिया दन, उत्तराखण्ड ऐपण, उत्तराखंड रिंगाल क्राफ्ट, उत्तराखण्ड ताम्र उत्पाद और उत्तराखंड थुलमा को भौगोलिक संकेतांक (ज्योग्राफिक इंडिकेशन) प्रमाण पत्र दिया गया। इस दौरान पीएम एमोदी के के सलाहकार भास्कर खुल्बे और सचिव डीपीआईआईटी भारत सरकार अनुराग जैन भी वीडियो कार्न्फ्रेन्स के माध्यम से जुड़े।

कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि राज्य के लिए बहुत बड़े गौरव का विषय है कि यहां के मौलिक उत्पादों को वैश्विक पहचान मिलती जा रही है। उन्होंने कहा कि वोकल फॉर लोकल और स्थानीय प्रोडक्ट के प्रचार-प्रसार में जीआई टैग महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। स्थानीय प्रोडक्ट को देश के साथ ही इंटरनेशनल मार्केट में पहचान दिलाने मे जीआई टैग महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में और भी अनेक ऐसे परम्परागत कृषि उत्पाद हैं, जो अपने भौगोलिक क्षेत्र विशेष के आधार पर लगातार वैश्विक पहचान बनाते जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि राज्य में कुल 6.48 लाख हैक्टेयर कृषि भूमि है, जिसमें 3.50 लाख हैक्टेयर क्षेत्रफल पर परम्परागत कृषि उत्पादों का उत्पादन हो रहा है।

अभी तक तेजपत्ता प्रदेश का पहला जीआई टैग प्राप्त करने वाला उत्पाद था। उन्होंने कहा कि उपरोक्त के अतिरिक्त उत्तराखण्ड सरकार के निर्देशन पर उत्तराखड लाल चावल, बेरीनाग चाय, गहत, उत्तराखंड मंडुआ, झंगोरा, बुरांस सरबत, काला भट्ट, चौलाई/रामदाना, अल्मोड़ा लाखोरी मिर्च, पहाड़ी तोर दाल, माल्टा फ्रूट जैसे 11 कृषि उत्पादों का जीआई टैग लिये जाने का कार्य भी फाईल कर दिया गया है।

इस दौरान उद्योग मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि जिन उत्पादों को भौगोलिक संकेतांक प्रमाण-पत्र प्राप्त हुए है, अब उन उत्पादों की मार्केट में ब्राडिंग बढ़ने से अधिक डिमांड बढ़ेगी तथा उनको अच्छा मूल्य प्राप्त होगा। जिससे इन उत्पादों से जुड़े हुए उत्पादक सीधे-सीधे लाभान्वित होंगे।

उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड सरकार के निर्देशन पर अन्य उत्पादों का जीआई टैग किये जाने का भी कार्य जारी है। इस कार्यक्रम के अवसर पर तकनीकी कार्यशाला का भी आयोजन किया गया जिसमें पदमश्री डॉ रजनीकांत एवं उप रजिस्ट्रार, जीआई सचिन शर्मा ने भौगोलिक संकेतांक से सम्बन्धित जानकारी दी।

इस दौरान कार्यक्रम में संयुक्त सचिव, डीपीआईआईटी भारत सरकार श्रुति सिंह और संयुक्त सचिव, डीपीआईआईटी भारत सरकार राजेन्द्र रतनू, सचिव कृषि एवं उद्यान मीनाक्षी सुन्दरम, सचिव राधिका झा, महानिदेशक/आयुक्त उद्योग रोहित मीणा, निदेशक उद्योग सुधीर चन्द्र नौटियाल, निदेशक कृषि गौरीशंकर सहित उद्योग एवं कृषि विभाग के अधिकारी/कर्मचारी तथा प्रदेश से आए हुए जैविक किसान/काश्तकार मौजूद रहे। साथ ही प्रदेशभर के अन्य लोग वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से उपस्थित रहे।

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

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