Wednesday , 4 December 2024
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उत्तराखंड : 26 नवंबर से भूख हड़ताल पर बैठेंगे मोहित डिमरी, निर्णायक लड़ाई लड़ने का ऐलान

देहरादून। मूल निवास,भू- कानून संघर्ष समिति ने अब आर-पार की लड़ाई का मन बना दिया है। संघर्ष समिति आंदोलन को निर्णायक मोड़ पर ले जाने की तैयारी कर चुकी है। संविधान दिवस 26 नवंबर से संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी की अगुवाई में भूख हड़ताल शुरू करने जा रही है।

देहरादून के कचहरी स्थित शहीद स्मारक में हुई संघर्ष समिति की एक महत्वपूर्ण बैठक में कई प्रस्ताव पारित किए गए। बैठक में प्रस्ताव पारित किया गया कि 26 नवंबर (संविधान दिवस) से शहीद स्मारक देहरादून में भूख हड़ताल शुरू की जाएगी। संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी भूख हड़ताल पर बैठेंगे। इनके समर्थन में विभिन्न सामाजिक और राजनैतिक दल धरना देंगे।

बैठक में बताया गया कि सरकार से 26 नवंबर से पूर्व 2018 के बाद भूमि कानूनों में हुए संशोधनों को रद्द करने की मांग की गई है। इसके लिए सरकार कैबिनेट बैठक बुलाकर अध्यादेश ला सकती है। इसके साथ ही भूमि कानून का ड्राफ्ट सार्वजनिक करने की भी मांग की गई है। भूमि कानून की धारा 2 हटाने की भी मांग प्रमुख मांग शामिल है। यह धारा होने से लगातार निकायों का विस्तार के चलते गांव की कृषि भूमि खत्म हो रही है। पूरे उत्तराखंड में एक जैसा भू-कानून होना चाहिए। अभी शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में भू-कानून अलग-अलग हैं।

इसके साथ ही सरकार मूल निवास की परिभाषा तय करे। यूसीसी के कानून में सरकार ने एक साल से रह रहे लोगों को स्थायी निवासी माना है। इस फैसले को वापस लिया जाय। बैठक में उपस्थित राजनीतिक और सामाजिक संगठनों के पदाधिकारियों ने कहा कि अब निर्णायक लड़ाई लड़ने का समय आ गया है। उन्होंने संघर्ष समिति के भूख हड़ताल के निर्णय का पूर्ण समर्थन किया।

इस मौके पर राज्य आंदोलनकारी एवं पूर्व सैन्य अधिकारी पीसी थपलियाल संतन सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखंड की अस्मिता को बचाने की इस लड़ाई में हम सभी को आगे आना होगा और युवाओं को ताकत देनी होगी। यह संघर्ष करो या मरो का है। समानता पार्टी के महासचिव एलपी रतूड़ी, सुरेंद्र सिंह नेगी, महेश सिंह मेहता ने कहा कि संघर्ष समिति लंबे समय से सड़कों पर लड़ रही है। हम संघर्ष समिति के साथ हैं। अपनी जमीनों और संसाधनों को बचाने की इस लड़ाई में उत्तराखंड की जनता साथ खड़ी है।

वरिष्ठ पत्रकार जय सिंह रावत ने भू-कानून और मूल निवास की मांग का समर्थन करते हुए कहा कि सरकार को उत्तराखंड की जनता के हित में जल्द निर्णय लेना चाहिए। पहाड़ के पहाड़ खरीदे जा चुके हैं। सरकार मूल निवास की परिभाषा भी तय नहीं कर पा रही है।

राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवप्रसाद सेमवाल, महिला अध्यक्ष सुलोचना इष्टवाल ने कहा कि उनकी पार्टी उत्तराखंड के भविष्य से जुड़े इस मुद्दे को लेकर साथ में खड़ी है। अब इस संघर्ष को निर्णायक मोड पर ले जाना है।

सुराज सेवा दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष रमेश जोशी, उपनल कर्मचारी संगठन के संयोजक विनोद गोदियाल, ओपीएस के अध्यक्ष जीतमणि पैन्यूली, धाद संस्था के सचिव तन्मय ममगाई ने कहा कि यह आंदोलन ही उत्तराखंड का भविष्य तय करेगा। आंदोलन में सभी लोगों की भागेदारी जरूरी है। जनता की भागेदारी से ही उत्तराखंड की अस्मिता को बचाने की इस लड़ाई को मजबूती से लड़ा जा सकता है।

इस मौके पर संघर्ष समिति के सह संयोजक लुशुन टोडरिया, सचिव प्रांजल नौडियाल, दिनेश भंडारी, हिमांशु धामी, विनय प्रसाद, अंबुज शर्मा, विभोर जुयाल, विजय राणा अतुल, टीएस नेगी, प्रभात डंडरियाल, हेमा रावल, उषा डोभाल, आरआर पैन्यूली, महेश सिंह मेहता, खिलाफ सिंह बिष्ट ,संतन सिंह रावत, संजय तिवारी, अश्वनी मैंन्दोला, जगदीश सिंह, राधा कृष्ण तिवारी, प्रताप सिंह रावत, अतुल रमोला सहित अन्य लोग मौजूद थे।

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.
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