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उत्तराखंड के नौकरशाहों की बदबूदार कहानियां : पार्ट-1

  • वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की कलम से…

इन सवालों की लंबी फेहरिस्त है, सिलसिले वार चलते हैं। शुरुआत तत्कालिक कारण से करते हैं। यूपी के बाहुबली अमरमणि त्रिपाठी के विधायक बेटे अमनमणि त्रिपाठी को बदरीनाथ के कपाट खुलने से पहले वहां सैर-सपाटे के लिए पास जारी किया जाता है। दो गनर और नौ अन्य लोगों के साथ विधायक महाशय कर्णप्रयाग तक पहुंच जाते हैं। मामले को तूल पकड़ता देख यूपी के सीएम योगी बिजनौर पहुंचे विधायक अमनमणि को गिरफ्तार कर लेते हैं, लेकिन उत्तराखंड में क्या हुआ? एक पत्ता भी नहीं हिला। न कोई जांच न कोई सवाल। सरकार के प्रवक्ता मदन कौशिक बोले, महज चूक है? कितना गैर-जिम्मेदाराना बयान। लेकिन मरणासन्न कांग्रेस इस मुद्दे को नहीं भुना सका। यदि भुना भी लेता तो भी कुछ नहीं होता। कारण, मामला अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश से जुड़ा है।

उत्तराखंड का सबसे पावरफुल नौकरशाह। सियासी हलकों में कहा जाता है कि सीएम कोई भी हो, सरकार ओमप्रकाश चलाता है। ओमप्रकाश अपने आप में एक बड़ी सरकार है। कहा जाता है कि ओमप्रकाश के आगे हरीश रावत सरकार भी बौने थी तो त्रिवेंद्र चचा की लुंज-फुंज सरकार क्या चीज है? यही कारण है कि मदन कौशिक ने इसे चूक कहा। जबकि यह नियोजित षड़यंत्र माना जा सकता था कि कैसे एक विधायक सारे वैरिकेडिंग को धत्ता बता कर देहरादून पहुंचा और यहां से पास लेकर तीन कारों में सवार अपने गुर्गों के साथ तमाम नाके पार कर चमोली तक जा पहुंचा।

सूत्रों के अनुसार उत्तराखंड में गैर-उत्तराखंडी नौकरशाहों के दो गुट हैं। ज्यादातर गैर-उत्तराखंडी नौकरशाह ओमप्रकाश से दूरी बना कर रखते हैं। ओमप्रकाश गुट में गिने-चुने नौकरशाह हैं लेकिन चलती इन्हीं की है। ये गुट पत्रकारों और सत्ताधारी दल के दोयम दर्जे के नेताओं को टूल के रूप में इस्तेमाल करता है। कुछ पत्रकारों के माध्यम से सत्ताधारी नेताओं के स्टिंग कराना, उनको ऐश कराना और कमाई का हिस्सा पहुंचाना शामिल है। इस मुद्दे का खुलासा आगे की कड़ियों में करूंगा। अभी विधायक अमनमणि त्रिपाठी को पास दिये जाने का मामला।

विधायक अमनमणि को पास जारी करने की कहानी 17 सितम्बर 2019 को हिन्दू नेशन स्कूल से शुरू होती है। बिहारी महासभा के विश्वकर्मा पूजा के नाम पर 24 लोगों को सम्मानित किया। सूत्रों का कहना है कि बिहारी महासभा एसीएस ओमप्रकाश का जेबी संगठन है। इस संगठन से ओमप्रकाश अपना हित साधते हैं। सम्मान के नाम पर घेरा-घेरी देहरादून के डीएम आशीष श्रीवास्तव की भी हुई। डा. आशीष श्रीवास्तव तब एमडीडीए के वीसी थे। सम्मान के लिए उन्हीं नामी-गिरामी लोगों को चयनित किया जाता है, जिनका उपयोग लाभकारी हो। राजनीतिक लोग वोट के लिए शामिल होते हैं तो अधिकारी ओमप्रकाश के नाम से। विश्वकर्मा सम्मान से अभिभूत आशीष श्रीवास्तव ने पिछले सात महीनों में पता नहीं एसीएस ओमप्रकाश के कितना कर्ज और किस तरह चुकाया होगा। कौन पूछता है? सूत्रों का कहना है कि अमनमणि को पास जारी करने के पीछे भी यही सम्मान है।

कहानी जारी – आखिर किन लोगों को डीएम श्रीवास्तव ने करार दिया कोरोना वारियर?

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

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