देहरादून : ग्रीन और रेड जोन निर्धारण को लेकर त्रिवेंद्र सरकार पर सवाल खड़े हो रहे थे। तब सरकार ने गेंद केंद्र के पाले में सरका दी थी। लेकिन, अब केंद्र ने गेंद को किक मार कर वापस त्रिवेंद्र सरकार के पाले में ला दिया है। ग्रीन, रेड और ऑरेंज जोन निर्धारण को लेकर भले ही केंद्र और राज्य सरकारों ने सार्वजनिक तौर पर कुछ नहीं कहा हो, लेकिन हाईकोर्ट में एक याचिका पर सुनवाई के दौरान राज्य की त्रिवेंद्र और केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार आमने-सामने खड़ी हो गई है। कोर्ट ने दोनों ही सरकारों से जवाब तलब किया है।
कोरोना पॉजिटिव केस के आधार पर जिलों को ऑरेंज व रेड जोन घोषित करने के मानक पर केंद्र व राज्य सरकार आमने-सामने आ गए हैं। अब हाईकोर्ट ने दोनों सरकारों से पूछा है कि रेड, ग्रीन व ऑरेंज जोन निर्धारण के मानक क्या हैं। कोर्ट ने स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया है।
हरिद्वार के आकाश शर्मा ने जनहित याचिका दायर कर कहा है राज्य सरकार की ओर से कोविड-19 के केसों के आधार पर जिलों के जोन निर्धारण में भेदभाव किया जा रहा है।
याचिका में 30 अप्रैल तक के मामलों का जिक्र करते हुए बताया गया कि देहरादून में 18, नैनीताल में सात केस पॉजिटिव मिलने के बाद भी दोनों जिलों को ऑरेंज जोन जबकि दो केस पॉजिटिव के बाद हरिद्वार को रेड जोन घोषित कर दिया गया। इससे आम नागरिकों को तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
उत्तराखंड में सैंपलिंग की रफ्तार बेहद धीमी, नौ पर्वतीय जिलों से अब तक सिर्फ 831 सैंपल लिए गए
उत्तराखंड में सैंपलिंग की रफ्तार बेहद धीमी, नौ पर्वतीय जिलों से अब तक सिर्फ 831 सैंपल लिए गए
यह भी पढ़ें
केंद्र सरकार की ओर से असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल राकेश थपलियाल ने कोर्टको बताया कि राज्य सरकार की सिफारिश पर केंद्र द्वारा जिलों के जोन का निर्धारण किया गया, जबकि राज्य सरकार की ओर से सीएससी परेश त्रिपाठी व स्टेंडिंग काउंसिल अनिल बिष्ट ने कहा कि मानकों का निर्धारण केंद्र द्वारा किया गया है, राज्य की इसमें कोई भूमिका नहीं है। राज्य सरकार की ओर से सिफारिश भेजने का कोई प्रावधान नहीं है। आंकड़े मांगे जाने पर केंद्र को भेजे जाते हैं। कोर्ट ने केंद्र व राज्य सरकार की दलीलें सुनने के बाद दोनों सरकारों से स्थिति स्पष्ट करने के लिए कहा है।