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उत्तराखंड: यहां बिकती हैं नौकरियां, पुराने भर्ती घोटाले की नई जांच, मुकदमा दर्ज

  • उत्तराखंड में भर्ती घोटाला कोई नई बात नहीं।

  • भर्तियों में गड़बड़ी के मामले हर भर्ती के बाद सामने आते रहे हैं।

देहरादून: उत्तराखंड में भर्ती घोटाला कोई नई बात नहीं हैं। भर्तियों में गड़बड़ी के मामले हर भर्ती के बाद सामने आते रहे हैं। बहुत कम ही ऐसी भर्ती परीक्षाएं हुई होंगे, जिनमें कोई विवाद ना जुड़ा हो। अधिकांश परीक्षाओं के परिणामों और गलत सवाल, जवाबों को सही करवाने के लिए युवाओं को हाईकोर्ट की शरण में जाना पड़ता है। आए दिन सरकारी नौकरी के नाम पर ठगी की खबरें भी सामने आती रहती हैं।

सबसे बदनाम अधीनस्त चयन सेवा आयोग रहा है। आयोग की ज्यादातर परीक्षाएं सवालों के घरे में रही हैं। ऐसा नहीं है कि परीक्षाओं में गड़बड़ी की शिकायतें नहीं हुई हैं। शिकायतें भी हुई और जांच में भी हुई, लेकिन कभी ऐसी सख्त कार्रवाई नहीं हुई की गड़बड़ी करने वालों के लिए मिसाल बन जाए। असल आरोपियों की गर्दने हमेशा बची रह जाती हैं। उनकी हाथों पर लगने वाली हथकड़ी का माप सरकारों के पास नहीं होता है।

उत्तराखंड अधीनस्त चयन सेवा आयोग () में 2021 की जिस भर्ती की जांच हुई। उसमें पेपर को लीक करने के लिए मोटी रकम ली और दी गई थी। मामले की जांच हुई तो दो दिन में खुलासा हो गया। लेकिन, अब भी कार्रवाई के नाम पर केवल खानापूर्ति कर दी गई है। आयोग में काम करने वाले एजेंसी के कर्मचारियों को गोपनीय कार्यों से हटा दिया गया है। सवाल यह है कि क्या जिम्मेदारी अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई नहीं होनी चाहिए थी।

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अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की एक और भर्ती, जो पहले भी विवादों में रही। जांच भी हुई थी, लेकिन कार्रवाई नहीं की गई थी। पहले भी विजिलेंस ने ही जांच की थी। जांच में कई गड़बड़ियां भी पाई गई थी, लेकिन कार्रवाई नहीं की गई। अब जब नया मामला सामने आया है तो विजिलेंस ने पुराने मामले में भी मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी है। 2016 में हुई इस परीक्षा को रद्द किया गया था। इस मामले में विजिलेंस ने मुकदमा दर्ज करने के बाद कार्रवाई शुरू कर दी है। इस भर्ती घोटाले मामले में आयोग के कई अधिकारियों पर गाज गिरनी तय मानी जा रही है।

अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने छह मार्च 2016 को ग्राम पंचायत विकास अधिकारी (वीपीडीओ) के 196 पदों पर भर्ती की परीक्षा कराई थी। इसका परिणाम उसी साल 26 मार्च को जारी किया था। इस भर्ती परीक्षा में आरोप लगे थे कि ओएमआर शीट को दो सप्ताह तक किसी गुप्त स्थान पर रखकर उससे छेड़छाड़ की गई थी। इसके बाद रिजल्ट जारी हुआ था।

इस भर्ती में दो सगे भाईयों के टॉपर बनने के साथ ही ऊधमसिंह नगर के एक ही गांव 20 से ज्यादा युवाओं के चयनित होने की बात जांच में सामने आई थी। तत्कालीन सीएम हरीश रावत ने परीक्षा की उच्च स्तरीय जांच बैठाई थी। विवादों के बीच ही तत्कालीन आयोग के अध्यक्ष आरबीएस रावत ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। 2017 में त्रिवेंद्र सरकार ने इस भर्ती को रद्द कर दिया और मामले की फिर से जांच बिठा दी थी। उसी जांच के आधार पर विजिलेंस ने मुकदमा दर्ज किया है।

हाईकोर्ट ने भर्ती परीक्षा मामले में दायर सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया गया और भर्ती को निरस्त कर दोबारा से लिखित परीक्षा कराने के आदेश दिए थे। आयोग ने 25 फरवरी 2018 को दूसरी बार परीक्षा कराई। पूर्व परीक्षा में चयनित हुए 196 उम्मीदवारों में से दूसरी परीक्षा में केवल आठ का चयन हुआ था।

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

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