Tuesday , 11 February 2025
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उत्तराखंड : माओवादियों और माहौल बिगाड़ने वालों पर चुप क्यों है सरकार?

देहरादून : जोशीमठ में जो कुछ हुआ, पूरी दुनिया ने देखा। लोग अपनी समस्याओं को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। सरकार उनको अपने प्लान तो बता रही है, लेकिन लोगों को कोई सही रास्ता नहीं दिखा पा रही है। इस बीच भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने लोगों के आंदोलन को माओवादियों का आंदोलन बता दिया, जिससे लोग भड़क गए हैं। स्थानीय लोग पहले भी भाजपा प्रदेश अघ्यक्ष को विरोध कर चुके हैं। ऐसे में उन्होंने एक बार फिर बयान दिया है, जिससे आंदोलन और तेज हो सकता है।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष का कहना है कि राज्य के बाहर दिल्ली और मुंबई समेत अन्य स्थानों से वामपंथी संगठनों से जुड़े लोग जोशीमठ पहुंच रहे हैं। इस मामले में अब सुरक्षा एजेंसियों को भी नजर रख रही हैं। दावा किया जा रहा है कि इससे सामरिक दृष्टि से बेहद अहम इस सीमांत क्षेत्र में अस्थिरता का माहौल बनने का अंदेशा सुरक्षा एजेंसियों को सता रहा है।

जोशीमठ में आपदा आने के बाद से ही यहां स्थानीय लोग मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। इन्हें समर्थन देने के नाम पर अब राज्य के बाहर से भी लोग आने शुरू हो गए हैं। इस पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि एक ओर चीन, भारत के आखिरी गांव तक अपनी ढांचागत सुविधा को मजबूत कर रहा है और उसने आसपास पावर स्टेशन और सड़कें बनाई हैं। इसी दिशा में भारत सरकार भी कदम बढ़ा रही है।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भट्ट ने कहा कि उन्होंने किसी भी स्थानीय निवासी को आंदोलन से नहीं रोका है। वह तो स्थानीय निवासियों को वामपंथी विचारधारा वाले संगठनों से सचेत करना चाहते हैं, जिनकी रुचि राहत और पीड़ितों में कम और अपने एजेंडे को साधने में अधिक है। ये लोग दिल्ली, मुंबई और जेएनयू दिल्ली से आ रहे हैं।

सवाल यह है कि जब सरकार के पास अतनी पुख्ता जानकारी है, तो फिर ऐसे लोगों को गिरफ्तार क्यों नहीं किया जा रहा है? मडिया रिपोट्स में कहा गया है कि बाहर से आकर वामपंथी माओवादी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं। सरकार के पास जानकारी होने के बाद भी एक्शन नहीं लिया जा रहा है। स्थानीय लोगों की भी यही मांग है कि अगर सरकार के पास जानकारी है, तो कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है?

लोगों का कहना है कि जोशीमठ के लोगों को अधर में छोड़कर सरकार अब इस तरह की बातें कर रही है। कामरेड अतुल सती का कहना है कि सरकार अपना काम नहीं कर रही है। लोगों को अब तक कुछ भी साफ-साफ नहीं कहा गया है। पुनर्वास और विस्थापन पर भी अत तक कुछ साफतौर पर नहीं कहा गया है।

आंदोलन लोग मजबूर होकर कर रहे हैं। उनके पास भविष्य का सवाल है। सरकार अपनी नाकामी छुपाने के लिए अब पूरे आंदोलन को दूसरी ओर मोड़ना चाहती है। आंदोलन में अगर माओवादी और बाहरी लोग हैं तो फिर सरकार क्या कर रही है? क्यों नहीं एक्शन लिया? आखिर क्यों अचानक इस तरह के बयान सामने आने लगे? ये तमाम सवाल लोगों के मन में हैं, जिनका जवाब सरकार नहीं दे पा रही है।

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

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