देहरादून: कोरोना वायरस के कारण दुनियाभर में महामारी फैली है। हमारा देश और राज्य भी इस महामारी से अछूता नहीं है। देशभर को लाॅकडाउन किया गया है। हर तरह के काम बंद हैं। सबसे बड़ी समस्या भी यही है। काम बंद होने से उत्तराखंड में ऐसे हजारों मजदूर हैं, जिनके घर दो वक्त की रोटी भी रोजाना की मजदूरी से आती है। उनके पास खाने के लिए कुछ नहीं है। ऐसे में उनको मदद की जरूरत है। सरकारी मदद केवल आदेशों में ही नजर आ रही है। लेकिन, कुछ ऐसे लोग भी हैं, जो लाॅकडाउन में फंसे लोगों के घरे राशन पहुंचा रहे हैं।
यूं तो इनके लिए ये कोई नया काम नहीं है, लेकिन इनके काम करने का तरीका और मुहिम को हर जरूरतमंद तक पहुंचाने का हुनर जुदा है। ये सख्श हैं। समाजसेवी Shashi Bhushan Maithani। वो अपनी दोनों बेटियों मनस्विनी मैठाणी और यशस्विनी मैठाणी को साथ लेकर सर्दियों में गरीब असहायों के लिए उनके घर-घर जाकर गरम कपड़े अपने हाथों से पहनाते हैं। इसी वर्ष 2020 में फरवरी तक उन्होंने देहरादून से लेकर भारत चीन सीमा से सटे गांवों तक 7 हजार 142 लोगों को गर्म कपड़े और कम्बलें बाटें और पहनाए थे, मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने भी इस परिवार के हाथों अपनी ओर से व्यक्तिगत मदद पहाड़ के लोगों तक पहुंचाई।
लाॅकडाउन में फंसे लोगों के लिए एक बार फिर से मैठाणी परिवार मुसीबत की घड़ी में जरूरतमंद परिवारों की मदद के लिए आगे आया है। इस बार पूरी दुनियां में महामारी का रूप ले चुकी कोरोना वायरस के बीच लॉकडाउन की स्थिति में उन्होंने स्वयं अपने ओर से एक और रचनात्मक शुरुआत गरीब और मजदूर परिवारों को मदद पहुंचाने के के लिए शुरू की है। समाजसेवी शशि भूषण मैठाणी ने बताया कि उनकी ये मदद ऊंट के मुंह में जीरे के बराबर है, लेकिन, उन्होंने जहां तक संभव हो समाज में अपनी नैतिक जिम्मेदारी निभाने का संकल्प लिया।
मैठाणी ने बताया कि उन्होंने 20 परिवारों के लिए 4 दिन की राशन उपलब्ध कराने से अभियान की शुरूआत की। उन्होंने बताया कि इस मुहिम को समौण में कुट्यारी स्वाभिमान की नाम दिया गया है। पहाड़ में कुट्यारी मतलब एक पोटली से होता है। इस पोटली के अंदर एक परिवार के लिए 3 किलो आटा और ढाई किलो चावल, के अलावा मसाले, नमक, चीनी, गुड़, तेल, मिल्क पाऊडर, दलिया, नहाने और कपड़े धोने के साबुन, माचिस, मोमबत्ती के पैकेट रखे गए हैं।
#Shashi Bhushan Maithani ने बताया कि इस मुहिम में वह अपनी दोनों बेटियों को साथ नहीं ले जाएंगे, क्योंकि मेरी जिम्मेदारी उन्हें भी कोरोना के संक्रमण से बचाने की भी है। नन्ही समाजसेवी मनस्विनी मैठाणी और यशस्विनी मैठाणी को इस बात का मलाल है कि वह अपने पापा के साथ इस बार इस सेवा कार्य में घर से बाहर नहीं जा पाएंगी। दोनों बेटियां घर में जरूरतमंद लोगों के लिए बराबर मात्रा में राशन की कुट्यारी (पोटली) बनाने में अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभा रहीं हैं।
शशि भूषण मैठाणी ने बताया कि वह प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की घोषणा का सम्मान करते हुए पूरे कायदे कानूनों का पालन करते हुए ही घर से बाहर मदद करने जाएंगे। वह बिना प्रशासन की अनुमति के नहीं जाएंगे। इतना ही नहीं उन्होंने यह भी बताया कि मैंने राज्य सरकार से भी आग्रह किया है कि इस बीच सरकार किसी भी सोशल मिशन में उन्हें जिम्मेदारी देगी तो उन्हें खुशी होगी। शशि भूषण ने यह भी बताया कि यदि उन्हें सरकार के सेवा कार्य में शामिल किया जाता है तो वह अपनी गाड़ी व उसमें तेल का खर्चा स्वयं वहन करेंगे।