Friday , 22 November 2024
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उत्तराखंड : शुगर है तो छोड़ दें टेंशन, AIIMS प्रोफेसर का दावा, नहीं लेनी पड़ेगी इंसुलिन

ऋषिकेश: अगर आपको भी शुगर है तो टेंशन छोड़ दें। यह हम ऋषिकेश के AIIMS  प्रोफेसर के दावे के आधार पर कह रहे हैं। उन्होंने ऐसा दावा किया है, जिससे शुगर से परेशान लोगों के चेहरों पर मुस्कार आ जाएगी। केवल एक कैप्सूल से आपको इस समस्या से निजात मिल सकती है। AIIMS  जनरल मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. रविकांत ने अपने शोध के आधार पर दावा किया कि अब बिना दवा और इंसुलिन इंजेक्शन ही लंबे समय तक शुगर को नियंत्रित रखा जा सकता है।

शुगर के मरीजों को अब दवाई और नियमित इंसुलिन के इंजेक्शन से निजात मिलेगी। AIIMS  के   ने एनकैप्सुलेटेड ह्यूमन बीटा सेल तकनीक से बीटा सेल का नैनो कैप्सूल तैयार किया गया है, जिसे शरीर में प्रत्यारोपित किया जाएगा। इससे लंबे समय तक शुगर कंट्रोल रहेगी।मरीजों को शुगर नियंत्रण के लिए हर दिन नियमित दवाइयों का सेवन करना पड़ता है। जब दवाइयां भी काम करना बंद कर देती हैं तो मरीजों को बाहर से इंसुलिन के लिए प्रतिदिन टीका लगाना पड़ता है।

AIIMS जनरल मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष  प्रो. रविकांत ने अपने शोध के आधार पर दावा किया कि अब बिना दवा और इंसुलिन इंजेक्शन ही लंबे समय तक शुगर को नियंत्रित रखा जा सकता है।  उन्होंने बताया कि एनकैप्सुलेटेड ह्यूमन बीटा सेल तकनीक से बीटा सेल का नैनो कैप्सूल तैयार किया है। कैप्सूल को शरीर में प्रत्यारोपित कर लंबे समय तक शुगर को कंट्रोल किया जा सकता है। प्रयोगशाला में परीक्षण के दौरान यह कारगर साबित हुआ है। अभी इस कैप्सूल का पशुओं पर प्रयोग चल रहा है। प्रो. रविकांत ने उक्त शोध के पेटेंट के लिए आवेदन भी किया है।

कैसे शुगर को करती है प्रभावित

बीटा सेल अग्नाशय (पैंक्रियाज) में होती हैं, जो इंसुलिन का उत्पादन करती हैं। इंसुलिन शरीर में कार्बोहाइड्रेट के मेटाबॉलिज्म का कार्य करती है, जिससे शुगर लेवल सामान्य रहता है। टाइप वन के शुगर में बीटा सेल इंसुलिन का उत्पादन नहीं कर पाती, जिससे मरीज को बाहर से इंसुलिन देनी पड़ती है। वहीं टाइप टू शुगर में शुरुआती चरण में बीटा सेल अत्यधिक कार्य करती हैं। शरीर में मौजूद इंसुलिन प्रतिरोध को ज्यादा इंसुलिन की जरूरत होती है, लेकिन बाद में बीटा सेल की हानि होती है और शुगर लेवल बढ़ जाता है। एक समय ऐसा आता है कि दवाइयां काम करना बंद कर देती हैं। तब मरीज को बाहर से इंसुलिन देनी पड़ती है।

क्या है बीटा सेल तकनीक

चिकित्सक एक स्वस्थ व्यक्ति के अग्नाशय से बीटा सेल को निकालते हैं। इससे कई अन्य बीटा सेल का निर्माण करते हैं। प्रयोगशाला में निर्मित इन बीटा सेल को नैनो कैप्सूल के अंदर बंद कर दिया जाता है। नैनो कैप्सूल में बीटा सेल के लिए जरूरी पोषक जैसे आक्सीजन आदि भी मौजूद होते हैं। जिससे बीटा सेल इंसुलिन का निर्माण करती हैं। इस नैनो कैप्सूल को पेट के उस हिस्से पर प्रत्यारोपित किया जाता है, जहां इंसुलिन के इंजेक्शन लगाए जाते हैं। बीटा नैनो कैप्सूल से उत्पादित इंसुलिन मरीज के रक्त में पहुंचता है और शुगर को नियंत्रित करता है।

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

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