गडोली (बड़कोट): यमुना घाटी की सबसे पुरानी रोड़ों में से एक गडोली-राजगढ़ी मार्ग की हालत बेहद खस्ता है। इस रोड़ पर जगह-जगह गड्ढे बने हुए हैं। काफी प्रयासों के बाद इस मार्ग पर डामरीकरण का काम फिर से शुरू हुआ है, लेकिन जिस तरह से काम किया जा रहा है। उससे लगता नहीं है कि इस मार्ग पर घटिया पेटिंग कुछ दिनों तक भी टिक सकेगी।
खबर के साथ लगे फोटो के जरिए समझने का प्रयास कीजिए कि कैसे पेटिंग की जा रही है। निर्माण करने वाली कंपनी सड़क पर डामर डालने से पहले जो प्रक्रिया और मानक अपनाए जाने चाहिए। उन्हीं का ख्याल नहीं रख रही है। एक नंबर फोटो में साफ नजर आ रहा है कि सड़क पर कोलतार नाममात्र के लिए डाला गया है। उस पर डामर किसी भी हालत में कुछ दिनों से ज्यादा नहीं टिक सकता है।
फोटो नंबर दो को ध्यान से देखेंगे तो उसमें भी साफ नजर आ रहा है कि किस तरह से डामर बिछाने वाले कर्मचारी मिट्टी पर ही डामर डाल रहे हैं। कोलतार डालना तो दूर मिट्टी को तक नहीं हटाया गया है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि कितनी घटिया गुणवत्ता का डामर डाला जा रहा है। फोटो नंबर तीन में साफ नजर आ रहा है कि सड़क पर जो डामर डाला जा रहा है वह पूरी तरह से काला भी नजर नहीं आ रहा है। इससे साफ पता लग रहा है कि उसमें कोलतार की मात्रा बेहद कम है। कंपनी के कर्मचारियों को स्थानीय लोगों ने जब इस बारे में कहा तो उनको जवाब था कि उनको जितना काम बताया गया है। वो बस अपना काम कर रहे हैं।
इस मामले को लेकर गडोली निवासी राकेश नोटियाल ने गंभीर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने डामरीकरण कार्य की जांच करने की मांग की है। उनका कहना है कि इतनी घटिया गुणवत्ता के डामर डाला जा रहा है कि पांव से ही टूट रहा है। उस पर वाहन चलने से वो कितने दिन टिकेगा अंदाजा लगाया जा सकता है। लोगों ने जनप्रतिनिधियों की चुप्पी पर भी सवाल उठाए हैं। कुंणी गांव निवासी सुखदेव रावत ने भी मौके पर जाकर काम कर रहे कर्मचारियों से सही मानक के अनुसार काम करने के लिए कहा।