हनोल मंदिर महासू देवताओं की संयुक्त राजधानी कहा जाता है। हनोल मंदिर का पुनर्निर्माण किया गया था। इस मंदिर पर शानदार नक्काशी की गई है। हनोल महासू मंदिर को पांचवां धाम भी कहा जाता है। इस धाम पर शानदार कलाकीर्तियां बनाई गई हैं। मंदिर का पुनर्निर्माण तीन देव मिस्त्रियों ने किया। जिनमें गंगा राम ने मुख्य भूमिका निभाई थी। मंदिर पर बनी चित्रकारी भी देव मिस्त्री गांग राम ने ही बनाये थे।
देव मिस्ती गंगा राम ने ही लकड़ी काष्टकला और वास्तुकला से हनोल मंदिर का फिर से निर्माण किया। 1993 में श्री मूल बोठा महासू देवता ने मंदिर के पुनर्निर्माण के आदेश दीए थे। 10 साल की अवधि के दौरान, देव मिस्त्री गंगा राम ने हनोल मंदिर का निर्माण पूरा किया। मंदिर पुनर्निर्माण के वक्त नियमानुसार देव मिस्त्रियों, बनबाड़ियांे को अपने बाल एवं अपनी दाढ़ी नहीं कटवानी पड़ती है। 10 साल तक उन्होंने इसका पूरा पालन किया।
2003 में मंदिर की प्रतिष्ठा हुई, जिसमें 54 से ज्यादा देवी-देवता शामिल हुए। 22 मई 2003 को मंदिर की प्रतिष्ठा शुरु हुई, जो 7 दिनों तक चली। गांग राम मूल रुप से बंगाण छेत्र के कोठीगाड़ पट्टी के गांव चिंवा के निवासी थे। गंगा राम मूल पवांसी महासू देवता के मिस्त्री थे। उनको जुईया बाबा के नाम से जाना जाता है।
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हनोल मंदिर निर्माण के बाद गंगा राम उर्फ जुईया बाबा को मूल चालदा महासू देवता ने अपनी एकमात्र चांदी की खोली सराजी के मंदिर की जिम्मेदारी सांैप दी थी। लेकिन, मंदिर का निर्माण करते-करते 2010 में उनका निधन हो गया। आज गंगा राम भले ही इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उन्होंने हनोल मंदिर पर जो कलाकीर्तियां बनाई हैं। जो अद्भुत नक्काशी की है, वो लोगों को आज भी मोह रही है।