बड़कोट : शिक्षक और साहित्यकार दिनेश रावत की पांचवी पुस्तक रवांई के देवालय एवं देव गाथाएं पुस्तक का विमोचन बनाल पट्टी के देव डोखरी में आयोजित समारोह में किया गया। पुस्तक में दिनेश रावत ने रवांई घाटी के पौराणिक मंदिरों के इतिहास के साथ ही उनसे जुड़ी देव गाथाओं को एक पुस्तक के रूप में पेश किया है।
वरिष्ठ साहित्यकार महावीर रवांल्टा की सोच को दिनेश रावत ने साकार किया। उनकी सोच थी कि इस तरह के कार्यक्रम अपनी माटी से जुड़कर किए जाएं, तो बेहतर होगा। इसके पीछे यह सोच है इससे लोगों को अपनी माटी और थाती से जुड़ने का संदेश मिलेगा। आमतौर पर लोग पब्लिसिटी के लिए इस तरह के कार्यक्रम शहरों में कराना पसंद करते हैं। लेकिन, दिनेश रावत के पुस्तक का विमोचन शहर छोड़ गांव में कराया गया। इससे लोगों को रिवर्स माइग्रेशन का संदेश देने का प्रयास किया गया।
उनके शोध प्रबंध से लोगों को रवांई घाटी के मंदिरों और देव गाथाओं के बारे में जानने का मौका मिलेगा।इससे जहां रवांई के समृद्ध सांस्कृतिक और अध्यात्मिक विरासत का देश दुनिया के लोगों को पता चलेगा।
वहीं, नई पीढ़ी के युवाओं को भी अपने रवांई घाटी के देवालय और उनसे जुड़ी देव गाथाओं, परंपराओं मान्यताओं और लोक विरासत को जानने और समझने में मदद मिलेगी। पुस्तक में रवांई के पौराणिक मंदिरों व ऐतिहासिक स्थलों पर भी गहन अध्ययन कर जानकारियां दी गई हैं। कार्यक्रम को साहित्यकार महावीर रवांल्टा ने रवांई की लोकल भाषा में संबोधित किया।
इस अवसर पर मुख्य शिक्षा अधिकारी विनोद प्रसाद सेमल्टी, शशी मोहन रावत, सीमा रावत, महिशण सेमवाल, इन्द्र सिंह नेगी, पूर्व ब्लॉक प्रमुख रचना बहुगुणा, रुकम सिंह रावत, ध्यान सिंह रावत, शिव प्रसाद गौड़, शान्ति प्रसाद सेमवाल, सरदार सिंह रावत, नरेश नौटियाल, ग्राम प्रधान बलवंत सिंह रावत, जे.एस रावत, अनिल, ललिता रावत समेत अन्य लोग मौजूद रहे।