देहरादून: आशीष डंगवाल। इन शिक्षक का नाम आपने सुना ही होगा। यह केवल नाम नहीं, शिक्षा विभाग के स्कूलों के लिए एक ब्रांड बन चुके हैं। उत्तरकाशी के केलसू घाटी से ट्रांसफर के बाद आशीष डंगवाल वायरल हो गए थे। उनके स्टूडेंट्स की उनसे लिपटे हुए रोने की तस्वीरें इस कदर वायरल हो गई थी कि आशीष डंगवाल से मिलने की लोगों में होड़ लग गई। शिक्षा मंत्री भी उनसे मिले। सोशल मीडिया साइट फेसबुक ने उनको ब्लू टिक दे दी। उनकी उन तस्वीरों के बाद शिक्षकों के लिए लोगों का नजरिया ही बदल गया।
स्कूल की सूरत बदल चुकी है
कुछ लोग ऐसे होते हैं, जो कुछ करने के बाद चुप बैठ जाते हैं। आशीष डंगवाल उन लोगों में नहीं हैं। आशीष डंगवाल को ट्रांसफर होने के बाद वो जिस स्कूल में आए। उनको वो बदहाल हालत में मिला था, लेकिन आज उस स्कूल की सूरत बदल चुकी है। स्कूल खूबसूरत नजर आ रहा है। पगार के पैसे से विद्यालय को संवार रहे हैं। प्रोत्साहन, संस्कार, अनुशासन, पहाड़ व प्रकृति प्रेम की शिक्षा वह बच्चों को दे रहे हैं, जिसमें अपनी जन्मभूमी-कर्मभूमी प्रेम, देशसेवा, करियर व गुरु का धर्म समाहित है।
बगैर बजट के ही इतना बड़ा काम
उत्तराखंड सरकार को आशीष डंगवाल जैसे शिक्षकों से सीखने की जरूरत है, जिन्होंने बगैर बजट के ही इतना बड़ा काम कर दिखाया। दिल्ली माॅडल को राज्य का एक शिक्षक ही टक्कर देने के लिए काफी है। इससे एक बात यह भी साफ होती है कि शिक्षा पर लगे भ्रष्टाचारी दीमकोंा की सफाई कर इमानदार प्रयासों से कुछ भी संभव है।
स्कूल का कायाकल्प
आशीष डंगवाल एक ऐसे शिक्षक बन चुके हैं, जहाँ भी जाते हैं, बस जुनून और इच्छाशक्ति से सरकारी स्कूल का कायाकल्प कर देते हैं। शिक्षक आशीष डंगवाल तब चर्चाओं में आए थे,जब उनकी पोस्टिंग उत्तरकाशी जिले के दुर्गम क्षेत्र से टिहरी जिले में हुई थी और उत्तरकाशी के जिस स्कूल में वह पढ़ाते थे, उस स्कूल के छात्रों के साथ अभिभावक की इमोशनल वाली तस्वीरें खूब वायरल हुई थी, लेकिन एक शिक्षक के रूप में आशीष डंगवाल जिस तरीके से काम कर रहे हैं वह एक प्रेरणा के स्रोत बनते जा रहे हैं।
“साल बदल रहे हैं, हाल भी बदलेंगे..”
शिक्षक आशीष डंगवाल “साल बदल रहे हैं, हाल भी बदलेंगे..” की सोच के साथ पहल करते जा रहे हैं। वर्तमान में वह राजकीय इंटर कॉलेज गरखेत में अपनी सेवाएं दे रहे हैं । एक शिक्षक के रूप में उन्होंने जो छाप छोड़ दी है, हर कोई उनका कायल सा होता नजर आ रहा है। उनकी एक और पहल “प्रोजेक्ट स्माइलिंग स्कूल” सोशल मीडिया पर खूब धमाल मचा रही है। राजकीय इंटर कॉलेज घरखेत की चारदीवारी जो बदहाल स्थिति में थी, अब वह न सिर्फ चमक उठी हैं, बल्कि एक शानदार सन्देश और प्रोत्साहन भी दे रही हैं। शिक्षक आशीष डंगवाल की सोच और उनके छात्रों के जज्बे ने इन चार दिवारी में ऐसी छाप छोड़ी है जो अब चर्चा का विषय बन गई है।
उत्तराखंड इसी स्कूल में बसा हो
एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमें पूर्व में बदहाल सरकारी स्कूल की चार दिवारी पर अब चमक के साथ शानदार सन्देश देते नजर आ रही है। इस दीवार पर ऐसा प्रतीत हो रहा है मानो जैसे उत्तराखंड इसी स्कूल में बसा हो। स्कूल की दीवारों पर जहां आस्था का धामा बाबा केदारनाथ का मंदिर का चित्र नजर आ रहा है, तो वही हर की पैड़ी का चित्रण भी आस्था के रूप में नजर आ रहा है, चिपको आंदोलन का चित्रण, टिहरी झील का नजारा, अल्मोड़ा बाजार भी नजर आ रहा है। छात्रों के लिए प्रेरणा के रूप में आईएमए कि वह तस्वीर जहां से उत्तराखंड के ही नहीं देश और विदेशों के भी अवसर ट्रेनिंग लेते हैं।
डोबरा चांठी पुल का चित्रण
नेहरू पर्वतारोहण संस्थान भी छात्रों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना हुआ है। छात्राओं के लिए विशेषकर महिला आईपीएस का चित्रण प्रेरणा के रूप में नजर आ रहा है तो इंजीनियर बनने के लिए डोबरा चांठी पुल का चित्रण छात्रों को एक इंजीनियर बनने की प्रेरणा पेश कर रहा है। पर्यटक स्थल, हाई कोर्ट, जल संरक्षण, साइंस कॉर्नर, अंतरिक्ष विज्ञान, आदि को भी छात्र चित्रण के माध्यम से समझ सकते हैं। यह अनोखी पहल शिक्षक आशीष डंगवाल की सोच से ही संभव हुई है।
3D आर्ट पेंटिंग के जरिए
शिक्षक आशीष डंगवाल का कहना है कि, कोविड-19 के बाद जब छात्रों के लिए स्कूल खुले तो उसके बाद पढ़ाई से छुट्टी होने पर कक्षा 11 और 9 के छात्रों के द्वारा स्कूल की दीवारों को इस तरह के पेंट के माध्यम से चित्रण के जरिए सजाया गया है कि, आज स्कूल में प्रवेश करते ही एक अद्भुत दृश्य आंखों के सामने नजर आता है। छात्रों के लिए कई प्रेरणा की चीजें जहां 3D आर्ट पेंटिंग के जरिए संजोए सँवारी गई है,तो वहीं यह सब उनके छात्रों की वजह से ही संभव हो पाया है। छात्रों के लिए यह एक गर्व का पल भी है कि जिन चीजों में वह अपना भविष्य बना सकते हैं उनको वह अपनी स्कूल की दीवारों पर खुद चित्रण के माध्यम से समझ रहे हैं और समझा रहे हैं।
ये सम्मानित कर चुके हैं
शिक्षक आशीष डंगवाल को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय सम्मानित कर चुके हैं। जो काम वह कर रहे हैं, उसकी सराहना पूरे उत्तराखंड में हो रही है और हर कोई कह रहा है कि ऐसे ही शिक्षक की जरूरत आज हर स्कूल में है। लोग कह रह हैं कि इस तरह के शिक्षक पूरे देश के विद्यालय में हो जाए तो सरकारी विद्यालयों का कायाकल्प ही पलट जाए। उन्होंने बेहतर कार्य से देश के भावी भविष्य को तरासने के साथ ही विद्या के मंदिर को संवारकर गुरु का मान बढ़ाया है।