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पंचायत चुनावों से पहले प्रेमचंद अग्रवाल के बयान पर बढ़ता विवाद, क्या करेगी BJP

  • प्रदीप रावत ‘रवांल्टा’

उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों की तैयारियां चल रही हैं, लेकिन इससे पहले भाजपा को एक नए राजनीतिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। प्रदेश के संसदीय कार्य मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल का हालिया बयान भाजपा के लिए सिरदर्द बन गया है। उनके विवादित बयान से पहाड़ और मैदान के बीच विभाजन की भावना को बढ़ावा देने का आरोप लगाया जा रहा है। विपक्ष इस मुद्दे को भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा, जिससे यह विवाद अब सियासी रंग ले चुका है।

बयान से उपजा आक्रोश और भाजपा की मुश्किलें

प्रेमचंद अग्रवाल के बयान पर जनता से लेकर राजनीतिक दलों तक में तीखी प्रतिक्रियाएँ सामने आ रही हैं। खासतौर पर पहाड़ी क्षेत्रों में इस बयान ने असंतोष को हवा दी है। भाजपा के कई नेता भी इससे असहज महसूस कर रहे हैं, लेकिन खुलकर विरोध नहीं कर पा रहे हैं। हालांकि, इस विवाद ने कांग्रेस को बड़ा राजनीतिक हथियार दे दिया है। कांग्रेस इस मुद्दे पर आक्रामक रुख अपनाते हुए सदन से लेकर सड़क तक भाजपा को घेरने में लगी हुई है।

पंचायत चुनावों पर प्रभाव

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह विवाद आगामी पंचायत चुनावों में भाजपा के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। पहले ही भाजपा ने पंचायत चुनाव समय पर न करवा पाने के कारण निर्वतमान पदाधिकारियों को प्रशासक नियुक्त कर विपक्ष को एक मुद्दा दे दिया था। अब प्रेमचंद अग्रवाल का बयान पार्टी के लिए एक और चुनौती बनकर खड़ा हो गया है। चुनावों के दौरान यदि विपक्ष इसे स्थानीय जनता के असंतोष से जोड़ने में सफल रहा, तो भाजपा को इसका सीधा खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।

ऋषिकेश नगर निगम चुनाव और पुरानी नाराजगी

यह पहली बार नहीं है जब प्रेमचंद अग्रवाल को जन आक्रोश का सामना करना पड़ा हो। ऋषिकेश नगर निगम चुनाव के दौरान भी उन्हें तीखी प्रतिक्रियाओं का सामना करना पड़ा था। ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या भाजपा नेतृत्व इस बयानबाजी से होने वाले संभावित नुकसान को भांपने में सफल होगा या नहीं।

नुकसान की भरपाई कैसे करेगी भाजपा?

भाजपा के सामने अब इस विवाद को संभालने की चुनौती है। पार्टी के लिए सबसे अहम है कि वह जल्द से जल्द डैमेज कंट्रोल करे। यदि पार्टी इस बयान से खुद को अलग कर लेती है और पहाड़-मैदान की एकता को मजबूत करने के लिए ठोस कदम उठाती है, तो वह स्थिति को संभाल सकती है। लेकिन, अगर विपक्ष इसे पंचायत चुनावों तक जिंदा रखने में सफल रहा, तो भाजपा को इसका राजनीतिक नुकसान उठाना पड़ सकता है।

नुकसानदेह साबित हो सकता है

प्रेमचंद अग्रवाल का बयान भाजपा के लिए एक राजनीतिक चुनौती बन चुका है। यदि पार्टी इसे हल्के में लेती है तो यह विवाद उसके लिए बड़ा नुकसानदेह साबित हो सकता है। पंचायत चुनाव से पहले भाजपा को इस मुद्दे पर अपनी स्थिति स्पष्ट करनी होगी और पहाड़ी एवं मैदानी क्षेत्रों के मतदाताओं को एकजुट रखने के लिए ठोस रणनीति बनानी होगी। अन्यथा, यह मामला भाजपा के चुनावी समीकरणों को गड़बड़ा सकता है।

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

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